World Blood Donor Day 2019: 1% आबादी पूरी कर सकती है जरूरत, बहुत पीछे है भारत
World Blood Donor Day 2019 प्रत्येक वर्ष ये दिन उस महान वैज्ञानिक के जन्मदिन पर मनाया जाता है जिन्हें ब्लड ग्रुप की पहचान करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नोबल पुरस्कार मिला था।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। रक्तदान को ऐसे ही महादान नहीं कहा जाता है। दानकर्ता के लिए इसके कई फायदे हैं। साथ ही रक्त एक ऐसी चीज है, जिसका कोई विकल्प नहीं है। गंभीर बीमारी हो या दुर्घटना में रक्त की कमी से भारत में हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसद आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है। हैरानी की बात है कि विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत रक्तदान में काफी पीछे है। यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश भी इस महादान में हमसे बहुत आगे हैं। रक्त की कमी को खत्म करने के लिए दुनिया भार में 14 जून 2019 को विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है। आइये जानते हैं इस मौके पर रक्तदान से जुड़ी कुछ अहम जानकारी, जो हमें इसके बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
पूरी दुनिया में हर साल करीब 10 करोड़ लोग रक्तदान करते हैं। इनमें से आधे रक्तदाता विकसित देशों से होते हैं। मतलब भारत समेत अन्य विकासशील देशों में रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता कम है। भारत में हर साल बीमारियों या गंभीर दुर्घटनाओं में घायल लोगों को करीब एक करोड़ बीस लाख यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। इसमें से मात्र 90 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है और करीब 30 लाख लोगों को समय पर खून नहीं मिल पाता है। आंकडे बताते हैं कि रक्तदान के प्रति छोटी सी जागरूकता इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि किसी भी देश की मात्र एक फीसद आबादी अगर रक्तदान करे तो उस देश को कभी रक्त की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसलिए मनाया जाता है World Blood Donor Day
विश्व रक्तदान दिवस, शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहित करना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। इसी दिन 14 जून 1868 को वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था। उन्होंने इंसानी रक्त में एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर ब्लड ग्रुप ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी। खून के इस वर्गीकरणम ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी खोज के लिए कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
पड़ोसी देशों में रक्तदान की स्थिति
भारत में जहां रक्तदान से जरूरत का मात्र 75 फीसद खून ही एकत्र होता है, वहीं पड़ोसी देश इस मामले में हमसे काफी आगे हैं। नेपाल में जरूरत का 90 फीसद रक्तदान होता है। श्रीलंगा में जरूरत का 60 फीसद, थाईलैंड में 95 फीसद, इंडोनेशिया में 77 फीसद और म्यामांर में कुल आवश्यकता का 60 फीसद रक्तदान होता है। भारत रक्तदान में भले ही बहुत पीछे है, लेकिन यहां भी लोगों में तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। पंजाब और मध्य प्रदेश रक्तदान के मामले में देश में सबसे आगे हैं। तंजानिया में 2005 में स्वैच्छिक रक्तदान मात्र 20 फीसद था जो 2007 में बढ़कर 80 फीसद पहुंच गया था। ब्राजील में रक्तदान या अन्य मानव अंग अथवा ऊतकों के लिए रुपये लेना या कोई मुआवजा लेना गैर-कानूनी है। इटली में रक्तदाताओं को विश्व रक्तदान दिवस पर सवैतनिक अवकाश मिलता है। यहां नियोक्ता कई बार रक्तदाता को प्रोत्साहन के लिए अतिरिक्त लाभ भी देते हैं।
सिर्फ 10 फीसदी महिलाएं कर पाती हैं रक्तदान
रक्तदान और बढ़ सकता है, लेकिन महिलाएं चाहकर भी रक्तदान नहीं कर पा रही हैं। वजह, वे मेडिकली फिट नहीं मिलती हैं। चिकित्सकों के अनुसार स्वैच्छिक रक्तदान में महिलाओं का योगदान करीब 10 फीसद ही रहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनका हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से कम होता है, जो रक्तदान के लिए जरूरी है। हीमोग्लोबिन ठीक भी रहा तो वजन बहुत कम या ज्यादा रहता है।
रक्तदान से कमजोरी नहीं आती
तमाम चिकित्सकीय रिसर्च में साबित हो चुका है कि रक्तदान से शरीर में किसी तरह की कमजोरी नहीं होती है। गर्मियों में भी रक्तदान से किसी तरह की कमजोरी नहीं होती है। यह अलग बात है कि लोग धूप और गर्मी को देखकर रक्तदान करने से बचते हैं। जबकि गर्मियों में खून की डिमांड काफी बढ़ जाती है।
भारत में Blood Donation की जरूरत
- भारत में हर साल लगभग 10 हजार बच्चे थैलिसिमिया जैसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें से कई बच्चों की वक्त पर खून न मिलने की वजह से मौत हो जाती है।
- भारत में एक लाख से ज्यादा थैलिसिमिया के मरीज हैं, जिन्हें बार-बार खून बदलने की जरूरत पड़ती है।
- भारत में प्रति एक हजार लोगों में से मात्र आठ लोग ही स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं।
- दुनिया के 60 देशों में 100 फीसद स्वैच्छिक रक्तदान होता है। यहां लोग खून देने के बदले पैसे नहीं लेते।
- दुनिया के 73 देशों में मरीजों को खून के लिए करीबीयों या खून बेचने वालों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत इनमें से एक है।
- रक्त की जरूरत पड़ने पर इसकी कमी किसी दवा या थैरेपी से दूर नहीं की जा सकती है। मतलब रक्त का कोई विकल्प नहीं है।
- दुनिया भर में प्रति वर्ष तकरीबन 10 करोड़ लोग रक्तदान करते हैं।
- भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ 20 लाख लोगों को बीमारी या दुर्घटना की वजह से रक्त की जरूरत पड़ती है।
- भारत में प्रतिवर्ष मात्र 90 लाख लोगों को ही रक्त मिल पाता है, जबकि 30 लाख लोगों की रक्त न मिलने से मौत हो जाती है।
- वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसद स्वैच्छिक रक्तदान की शुरूआत की थी।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 124 प्रमुख देशों को अभियान में शामिल कर स्वैच्छिक रक्तदान की अपील की थी।
रक्तदान से जुड़े तथ्य
- 17 से 68 वर्ष की आयु के लोगों को जिनका वजन 45 किलो से ज्यादा हो, रक्तदान कर सकता है।
- एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट (तकरीबन 5-6 लीटर) रक्त होता है।
- रक्तदान में केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है।
- कई बार केवल एक कार दुर्घटना में ही 100 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ जाती है।
- एक बार रक्तदान से तीन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
- भारत में केवल सात फीसद लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O’ निगेटिव है।
- ‘O’ निगेटिव ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर होता है, मतलब ये ग्रुप का रक्त किसी को भी चढ़ाया जा सकता है।
- रक्तदान की प्रक्रिया काफी सरल है और इसमें किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है।
- रक्तदाता का वजन पल्स रेट, ब्लड प्रेशर आदि सामान्य पाए जाने पर ही रक्तदान किया जा सकता है।
- पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।
- हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। रक्तदान के लिए आपका स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।
- अगर रक्तदान के बाद आपको चक्कर आने, पसीना आने, वजन कम होने या किसी अन्य तरह की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो आप रक्तदान न करें।
रक्तदान के फायदे
- रक्तदान से हार्टअचैक का खतरा बहुत कम हो जाता है। रक्दान से नसों में खून का थक्का नहीं जम पाता है। नियमित रक्तदान से खून पतला बना रहता है और शरीर में खून का बहाव सही रहता है।
- रक्तदान से वजन कम करने में मदद मिलती है। साल में कम से कम दो बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए।
- रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है, क्योंकि शरीर में नया खून बनता है। इससे शरीर भी तंदरूस्त होता है।
- रक्तदान से लिवर से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है। शरीर में आयरन बढने पर लिवर पर दबाव पड़ता है। रक्तदान से आयरन की मात्रा संतुलित होती है।
- शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित होने से लिवर संबंधी बीमारी और कैंसर दोनों का खतरा दूर हो जाता है।
- एक यूनिट ब्लड डोनेट करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज कम हो जाती है।
खून दान करने से पहने रखें इन बातों का ध्यान
- रक्तदान 17 साल की आयु के बाद ही करें।
- रक्तदाता का वजन 45 से 50 किलोग्राम से कम ना हो।
- खून देने से 24 घंटे पहले शराब, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन ना करें।
- रक्तदान करते वक्त आपको कोई गंभीर अथवा संक्रामक बीमारी नहीं होनी चाहिए या किसी दवा का सेवन न कर रहे हों।
- पीरियड के दौरान या बच्चों को दूध पिलाने के दौरान महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकतीं।
- रक्तदान से पहले अच्छी नींद और स्वस्थ भोजन लें।
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