अभाव में पढ़कर इन बच्चों ने किया टॉप, सभी के लिए हैं मिसाल
जिले के छोटे से गांव बीचकवाड़ा में रहने वाली शिवानी पवार ने 12वीं के कला संकाय की मेरिट में पहला स्थान प्राप्त किया है।
[जागरण स्पेशल]। कौन कहता है कि पढ़ने वालों को बच्चों को सारी सहूलियतें ही मिलनी जरूरी होती है। इस बात को बारंबर गलत साबित किया गया है। अब भी जैसे-जैसे राज्यों में दसवीं और बारहवीं के नतीजे सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे ये बात और पुख्ता हो रही है। हम आज यहां पर ऐसे बच्चों की बात कर रहे हैं जो अभाव में न सिर्फ पढ़े बल्कि टॉपर भी रहे हैं। इसके पीछे उनकी अपनी कड़ी मेहनत रही है। इनमें से कुछ ने लालटेन की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी की तो कुछ ने दिन में हल चलाया और रात में तैयारी की। इन सभी ने यह साबित किया है यदि इच्छा शक्ति हो तो सबकुछ हासिल किया जा सकता है।
शिवानी बनीं टॉपर
जिले के छोटे से गांव बीचकवाड़ा में रहने वाली शिवानी पवार ने 12वीं के कला संकाय की मेरिट में पहला स्थान प्राप्त किया है। शिवानी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, उमरेठ की छात्रा है। हर दिन उन्हें 10 किमी का सफर तय कर स्कूल जाना पड़ता था, जिसमें से 5 किमी कच्चे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता। शिवानी के पिता दिनेश पवार मजदूरी करते हैं।
परिस्थितियां काफी मुश्किल होने के बाद भी शिवानी ने हार नहीं मानी, वो सुबह 4 बजे उठकर हर दिन 10 घंटे तक पढ़ाई करती थी। आस-पास के लोगों ने भी उसे प्रोत्साहित पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और आज शिवानी ने यह मुकाम पाया। शिवानी का सपना टीचर बनना है, वो चाहती हैं कि उसकी तरह मुश्किल परिस्थितियों में रह रहे बच्चे अच्छे से पढ़े और आगे चलकर अपने माता-पिता और गांव का नाम रोशन करे।
दादी की पेंशन से मिली मदद और बन गई टॉपर
अगर आपका व्हील पावर मजबूत है तो दुनिया की कोई भी समस्या आपको पीछा नहीं कर पाएगी। इसे साबित कर दिखाया है कक्षा दसवीं में सातवीं रैंक प्राप्त करने वाली राजधानी के पुराने राजेंद्र नगर निवासी चुनेश्वरी साहू ने। रायपुर में दुनिया की सारी सुविधाएं मौजूद हैं, यहां के छात्र तकनीक और इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया से जुड़े हैं उन सबको पछाड़ते हुए अपने आप को स्थापित किया है चुनेश्वरी ने।
चुनेश्वरी का घर दादी की पेंशन से चलता है। उसके दादाजी बिजली विभाग में नौकरी करते थे, जिनके निधन के बाद दादी को पेंशन मिलती है। दादी चुनेश्वरी को बहुत बड़े पोस्ट में नौकरी करते देखना चाहती हैं। इसके लिए वह घर का राशन बाद में, पहले चुनेश्वरी के लिए किताबें और उसकी जरूरत की चीजें खरीदती हैं। चुनेश्वरी ने बताया कि घर के हालात चाहे जैसे भी हों, लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए दादी कोई कमी नहीं होने देतीं। उनके मम्मी-पापा भी पूरा सपोर्ट करते हैं। उससे घर का कोई भी काम-काज नहीं करवाते।
लक्ष्य
देश सेवा के लिए किसी बड़े पोस्ट में नौकरी करना चाहती हैं। इसके लिए चुनेश्वरी ने मन लगाकर रात-दिन घर में अकेले बैठकर पढ़ाई की। घर में पढ़ाई के लिए उनका एक सेप्रेट कमरा है। इस साल उनके घर में कई सारी फैमिली प्रॉब्लम आई, इसके बाद भी उन्होंने अपने आप को टूटने नहीं दिया, पढ़ाई करती रहीं।
सक्सेस मंत्र
चुनेश्वरी पढ़ाई में बचपन से ही अच्छी हैं। उनकी लगन और मेहनत देखकर उनके घरवालों के साथ उनकी एक मैम नीरा गुप्ता उसे पढ़ाई के लिए टिप्स देती थीं। यहां तक परीक्षा के समय उसे अपने घर बुलाकर पढ़ाती थीं। उनकी करीबी दोस्त अनामिका बंजारे भी मदद करती थीं।
मां हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। स्कूल के टीचर्स ने काफी सपोर्ट किया। चुनेस्वरी ने परीक्षा प्रबोध, नोट्स, पुस्तक, अनसॉल्वड पेपर्स से अध्ययन किया।
और लैंप में पढ़कर बना टॉपर...
पिता के साथ खेत में हाथ बटाया, हल चलाए और बारिश में कीचड़ से कपड़े भी सने। सुदूर वनांचल गांव में बमुश्किल 15 घरों की बस्ती में बिजली गुल होना भी आम बात है, पर पिता ने खास इसी मौके लिए एक लैंप खरीदकर दिया। रात में जब कभी बिजली चली जाती, लैंप जलाकर परीक्षा की तैयारी में जुटे पुत्र के सामने रख देते। कठिन संघर्ष का नतीजा भी सुखद मिला। दसवीं की बोर्ड परीक्षा में गांव के होनहार कृषक पुत्र अभय ने राज्य की मेरिट सूची में 10वां रैंक हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। जिले से चार विद्यार्थियों ने मेरिट लिस्ट में जगह बनाई है। दसवीं में तीन व 12वीं में एक छात्र शामिल है। अभय को छोड़ शेष तीन विद्यार्थी सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल सीतामढ़ी के हैं।
पिता जसवंत व मां लक्ष्मी दोनों ने ही दसवीं तक पढ़ाई की है और आगे की शिक्षा अधूरी रह जाने का मलाल करने की बजाय वे अपने बच्चों में अधूरे सपनों को पूरा करने जुटे हैं। पुत्री रुचि ई-राघवेंद्र महाविद्यालय बिलासपुर में बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा है। पुत्र अभय छोटा है, जो शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गुरसियां में अध्ययनरत है।
अभय ने बताया कि रात के एकांत में उसे पढ़ाई करना अच्छा लगता है, लेकिन बिजली गुल होने पर थोड़ी समस्या होती। उसकी तैयारी में बाधा न हो, इसके लिए पिता ने एक लैंप खरीदकर दिया। दिन-रात की मेहनत रंग लाई और उसने इस वर्ष दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 96.33 फीसदी अंक लेकर राज्य की मेरिट सूची में दसवां स्थान हासिल किया है। उसे न्यूज चैनल व क्रिकेट देखना व पसंद है और खेल में ऑलराउंडर है।