जानें सेना में महिलाओं को कमांड पोस्ट दिए जाने पर क्या कहते हैं रिटायर्ड मेजर जनरल सहगल
भारतीय सेना में महिलाओं को कमांड पोस्ट का हिस्सा बनाने पर भले ही सवाल उठ रहे हों लेकिन रिटायर्ड मेजर जनरल मानते हैं कि उन्हें सेना में बराबरी का दर्जा मिलना ही चाहिए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को लेकर जो सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है वो एक अहम मुकाम पर पहुंचती दिखाई दे रही है। इस सुनवाई का सबसे अहम पहलू महिलाओं को कमांड पोस्ट सौंपे जाने को लेकर है। आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि कमांड पोस्ट सेना की किसी यूनिट या सबयूनिट का हेडक्वार्टर होता है, जहां का मुखिया या कमांडर अपनी यूनिट के दूसरे साथियों या जवानों के साथ मिलकर अपने काम को अंजाम देता है। यहां पर ही किसी भी ऑपरेशन से जुड़ी रणनीति बनाई जाती है, जिसमें कमांडर अपने जूनियर को अपना आदेश देता है और आगे की रणनीति बताता है।
जहां तक भारतीय सेना में महिलाओं की बात है तो वर्तमान में केवल भारतीय वायुसेना में महिलाओं को लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल किया गया है। वायुसेना में महिला अधिकारियों की बात करें तो यह अन्य सेना के मुकाबले कहीं अधिक हैं। वायुसेना में जहां 13.09 फीसद महिला अधिकारी हैं वहीं नौसेना में 6 फीसद और सेना में यह करीब 4 फीसद तक है। वहीं सेना के पूर्व अधिकारी भी इस बात से इत्तफाक नहीं रखते हैं कि महिलाओं को सेना में कमांडर पोस्टिंग न दी जाए। रिटायर्ड मेजर जनरल का कहना है कि महिलाओं को इस काबिल न मानना ही उस मानसिकता को दर्शाता है जो महिलाओं को हीन मानती है, जबकि हकीकत ये नहीं है। उनके मुताबिक महिलाएं आज देश की रक्षा में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। ऐसे में उन्हें इस तरह की पोस्टिंग से नकारना सही नहीं है।
वह मानते हैं कि महिलाओं को लेकर जिन परेशानियों की बात की जा रही है वह भी सही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के कई देशों में महिलाओं को कई अहम पोजिशन दी गई हैं। इजरायल समेत अमेरिका में भी महिलाएं कमान संभाल रही हैं। भारत में जो सवाल महिलाओं की शारीरिक बनावट और उन्हें होने वाली परेशानी को लेकर उठ रहा है उसका जवाब जैसे इन देशों ने पा लिया है वैसे ही भारत को भी इनका जवाब मिल जाएगा। सहगल
इस बात से भी इत्तफाक नहीं रखते हैं कि महिलाएं पुरुषों की यूनिट को हेड करेंगी तो वो उनका कहा नहीं मानेंगे, क्योंकि वो एक महिला हैं, ऐसा नहीं होगा। उनके मुताबिक, फौजी कभी अपने कमांडर का हुक्म इसलिए नहीं स्वीकारता है कि वह एक पुरुष दे रहा है, बल्कि इसलिए स्वीकारता है, क्योंकि वो उससे सुपीरियर है और उसका बॉस है। लिहाजा ये कहना कि पुरुषों की बटालियन महिला अधिकारी का हुक्म मानने से इनकार कर सकती है सरासर गलत है। उनके मुताबिक, हमें इतिहास से सबक लेने की जरूरत है जहां पर हमारे सामने रानी लक्ष्मीबाई का उदाहरण है, जिसने जंग के मैदान में अंग्रेजों से लोहा लिया और वीरगति प्राप्त की थी। भारतीय इतिहास में इस तरह के एक नहीं, बल्कि कई उदाहरण मौजूद हैं। दूसरे विश्व युद्ध में कई देशों की सेनाओं में महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा भी लिया था।
आपको यहां पर बता दें कि भारत में जहां महिलाओं को सेना में अहम कमान सौंपने पर चर्चा चल रही है। वहीं, कई देश ऐसे हैं जहां की सेना में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। यह पुरुषों के साथ जहां मोर्चों पर खड़ी हैं वहीं कई दूसरी जगहों पर भी अहम भूमिकाओं में हैं। आइये जानते हैं इन देशों के बारे में:-
- रोमानिया में महिलाओं को पुरुषों के बराबर ही अधिकार प्राप्त हैं। यहां पर महिलाओं को वो सभी पोस्ट दी जा सकती हैं जो किसी पुरुष को दी जाती हैं।
- रूस में भी महिलाएं पुरुषों के साथ फौज में कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। यहां पर महिलाओं की तैनाती मुश्किल इलाकों में पुरुषों के साथ भी की जाती है। यहां की महिलाओं ने कई मोर्चों पर दुश्मनों को पुरुषों के साथ मिलकर कड़ी टक्कर भी दी है।
- ऑस्ट्रेलिया में दूसरे विश्व युद्ध से पहले तक महिला ओं को फौज में केवल मेडिकल विंग तक में ही शामिल किया जाता था, लेकिन बाद में सभी बंदिशों को तोड़ते हुए इन्हें हर जगह शामिल किया गया। वर्तमान में यहां की महिलाओं को फौज में पुरुषों के बराबर ही समान अधिकार प्राप्त हैं। यह कॉम्बैट ऑपरेशंस में भी हिस्सा लेती हैं।
- इजरायल में महिलाएं सीमाओं पर प्रहरी हैं। उन्हें युद्ध के मैदान में भेजने पर भी कोई हिचकिचाहट नहीं है। वैसे भी यहां पर हर व्यक्ति को फौज का हिस्सा बनना जरूरी होता है। यहं पर इस मामले में लिंगभेद नहीं होता है।
- अमेरिका में वर्तमान में करीब दो लाख से अधिक महिलाएं सेना का हिस्सा हैं। इनमें से करीब 35 हजार महिलाएं अधिकारी रैंक में हैं।
- चेक गणराज्य में महिलाओं का सेना से बड़ा गहरा और पुराना नाता रहा है। दूसरे विश्व युद्ध में इन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। रूसी महिलाओं के साथ मिलकर चेक महिलाएं पूर्व में मध्य-पूर्व में भी अहम भूमिका निभा चुकी हैं।
- ब्रिटेन में महिलाओं को आर्मी की कॉम्बैट यूनिट, रॉयल मरीन्स और रॉयल एयरफोर्स रेजीमेंट में प्रमुखता से लिया जाता है।
- पाकिस्तान में भी महिलाओंं को कॉम्बैट ऑपरेशंस का हिस्सा बनाया गया है।
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