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नक्सलियों के चंगुल से बुजुर्ग को छुड़ा लाईं महिला कमांडो, जानें पूरी कहानी

शुक्रवार सुबह के घटनाक्रम के अनुसार दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक के गुड़से गांव के कोरीपारा निवासी बुजुर्ग दंपती हुंगा और कोसी बेटी के जाते समय तेलम पुजारीपारा के जंगल में प्रेशर बम की जद में आकर घायल हो गए थे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 06:15 AM (IST)
छत्‍तीसगढ़ में महिला कमांडो की फाइल फोटो।

दंतेवाड़ा, राज्‍य ब्‍यूरो। बेटी के घर सूरनार जाते समय शुक्रवार सुबह नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम विस्फोट से घायल बुजुर्ग दंपती को 12 घंटे बाद उपचार मिल पाया। बुजुर्ग हुंगा किसी तरह सूरनार पहुंच गए थे परंतु उनकी पत्नी कोसी को नक्सलियों ने अपने कब्जे में ले लिया था। दंतेवाड़ा के एसपी डा. अभिषेक पल्लव ने बताया कि महिला कमांडो ने बहादुरी के साथ बुजुर्ग महिला कोसी को बाहर निकाला। 

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खाट पर लिटाकर आठ किलोमीटर पैदल चलीं

नक्सली वृद्धा को छिपाने के लिए आठ से दस घरों में ले जाते रहे, लेकिन महिला कमाडो उन्हें छुड़ाने में सफल रहीं। शुक्रवार रात दस बजे एंबुलेंस से उन्हें दंतेवाड़ा जिला अस्पताल पहुंचाया गया। बुजुर्ग महिला को नक्सलियों से छुड़ाने वाली महिला कमांडो लक्ष्मी और विमला आत्समर्पित नक्सली हैं और अब डिस्टि्रक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में कमांडो हैं। इन्होंने ही दो दिन पहले आइईडी को डिफ्यूज किया था। तब राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी उनकी जमकर तारीफ की थी। 

शुक्रवार सुबह के घटनाक्रम के अनुसार दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक के गुड़से गांव के कोरीपारा निवासी बुजुर्ग दंपती हुंगा और कोसी बेटी के जाते समय तेलम पुजारीपारा के जंगल में प्रेशर बम की जद में आकर घायल हो गए थे। घटनास्थल पर दोनों के नहीं मिलने और गांव भी नहीं पहुंचने पर दोनों को नक्सलियों द्वारा बंदी बना लिए जाने का अंदेशा जताया जा रहा था। हुंगा को कम चोटें आई थीं, जबकि कोसी के पैर, सीने और चेहरे में छर्रे लगने से काफी जख्म आए थे।

महिला कमांडो ने दिखाई सूझबूझ 

नक्सली लिहाज से इलाका संवेदनशील होने के कारण पुलिस दंपती की तलाश में जंगल में नहीं घुस रही थी। शुक्रवार शाम छह बजे डीआरजी के 180 जवान तेलम टेटम होते सूरनार के लिए निकले। महिला कमांडो लक्ष्मी कश्यप और विमला मंडावी ने स्थानीय होने का फायदा उठाते हुए ग्रामीण महिलाओं से चर्चा कर उन्हें विश्वास में लिया और कोसी को खोज निकाला।

इसके बाद वृद्धा को खाट पर लिटाकर ग्राम सूरनार से तुमकपाल सड़क तक करीब आठ किमी का पहाड़ी और जंगली रास्ता पैदल पार किया और सड़क तक पहुंचीं। वहां से एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने कोसी की हालत खतरे से बाहर बताया है।


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