'पंचामृत' के साथ भारत ने नेट जीरो उत्सर्जन की तरफ बढ़ाया अहम कदम, कार्बन गहनता को 45 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए भारत ने पेरिस समझौते के अंतर्गत अपना अपडेटेड राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान दस्तावेज यानी नेशनली डिटरमाइंड कंट्रिब्यूशन (एनडीसी) विश्व के सामने प्रस्तुत कर दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसियां: जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए भारत ने पेरिस समझौते के अंतर्गत अपना अपडेटेड राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान दस्तावेज यानी नेशनली डिटरमाइंड कंट्रिब्यूशन (एनडीसी) विश्व के सामने प्रस्तुत कर दिया है। 23 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में भारत की तरफ से एनडीसी प्रस्तुत किया गया। इस एनडीसी के अनुसार भारत वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन गहनता को 45 प्रतिशत तक कम करेगा। यह कमी वर्ष 2005 के स्तर के सापेक्ष होगी। इसके साथ ही भारत अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा माध्यमों से प्राप्त करेगा। यह एनडीसी वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने की भारत की दीर्घावधि योजना की तरफ एक और कदम है।
केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी
तीन अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने देश के इस एनडीसी का अनुमोदन किया था। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते वर्ष नवंबर में ग्लासगो में कान्फ्रेंस आफ पार्टीज (काप)26 सम्मेलन में सुझाए गए 'पंचामृत' भी शामिल हैं। पंचामृत से तात्पर्य जलवायु परिवर्तन रोकने की दिशा में तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काप26 में पीएम द्वारा सुझाए गए पांच महत्वपूर्ण बिंदु हैं। स्वस्थ व बेहतर जीवनशैली की अवधारणा को मजबूत बनाने के लिए इस एनडीसी में पीएम द्वारा सुझाए गए 'लाइफ' मंत्र को भी शामिल किया गया है। लाइफ यानी पर्यावरण के लिए अनुकूल जीवनशैली जिसका आह्वान पीएम ने कुछ माह पहले देश के लोगों से किया था।
बंदिश या रोक पर विवश नहीं करता एनडीसी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह एनडीसी भारत को किसी क्षेत्र विशेष पर रोक या बंदिश लगाने पर विवश नहीं करता है। एनडीसी दस्तावेज कहता है कि जलवायु परिवर्तन पर भारत पेरिस समझौते और यूएनएफसीसीसी के तहत अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है। दस्तावेज के अनुसार भारत का एनडीसी महत्वाकांक्षी और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अहम योगदान करने वाला है। पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी अहम क्षेत्रों में निम्न कार्बन की पहल को सशक्त करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समय के साथ भारत का लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था में समग्र उत्सर्जन को कम करना और ऊर्जा क्षमता को बेहतर बनाना है। अर्थव्यवस्था और समाज के कमजोर क्षेत्रों को सुरक्षित रखने का भी लक्ष्य है।
भारत ने पहली बार अपना एनडीसी दो अक्टूबर 2015 को सौंपा था जिसमें आठ लक्ष्य तय किए गए थे। इसमें वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा को कुल बिजली उत्पादन के 40 प्रतिशत तक पहुंचाना, 2005 के स्तर से अर्थव्यवस्था का कार्बन उत्सर्जन 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना और अधिक वन क्षेत्र बनाकर 2.5 से तीन अरब टन कार्बन डाईआक्साइड का अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार करने के लक्ष्य शामिल थे।