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पहली बार राज के प्रति नरम दिखे उद्धव

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। शिवसेना का अध्यक्ष पद संभालने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज के प्रति नरम दिखाई पड़ रहे हैं। उनके रुख को देखते हुए दोनों दल के लोग उम्मीद करने लगे हैं कि अब मनसे का शिवसेना में विलय भले न हो, लेकिन भविष्य में दोनों मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। बुधवार को उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में दिए साक्षात्कार में कहा है कि शिवसेना और मनसे के साथ आने का सवाल उनके साथ राज को भी बैठाकर पूछा जाना चाहिए, क्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती।

By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2013 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2013 09:24 PM (IST)
पहली बार राज के प्रति नरम दिखे उद्धव

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। शिवसेना का अध्यक्ष पद संभालने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज के प्रति नरम दिखाई पड़ रहे हैं। उनके रुख को देखते हुए दोनों दल के लोग उम्मीद करने लगे हैं कि अब मनसे का शिवसेना में विलय भले न हो, लेकिन भविष्य में दोनों मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। बुधवार को उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में दिए साक्षात्कार में कहा है कि शिवसेना और मनसे के साथ आने का सवाल उनके साथ राज को भी बैठाकर पूछा जाना चाहिए, क्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती।

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उद्धव का यह बयान उनके नरम रुख की ओर इशारा करता है। इससे पहले वह राज के साथ बैठना तो दूर उनकी ओर देखना भी पसंद नहीं करते थे। उद्धव के बयान पर अब तक राज ठाकरे की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन दोनों दलों के समर्थकों के साथ-साथ राज्य की राजनीति में शिवसेना की साझीदार भाजपा भी उत्साहित नजर आ रही है।

उद्धव के बयान में गोपीनाथ मुंडे जैसे उन भाजपा नेताओं को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है, जो लंबे समय से उद्धव-राज को साथ देखना चाहते थे।मुंडे ने साफ कर दिया है कि अगर दोनों में समझौता होता है, तो वह इसका स्वागत करेंगे। बुधवार को उद्धव ने कहा कि उनके पिता ने शिवसेना की स्थापना चार दशक पहले मराठी मानुष को ध्यान में रखकर की थी। बाद में उन्हें लगा कि इस्लामी समूह देश के लिए ़खतरा बन रहे हैं और मराठी मानुष अकेले इस चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकता, तो उन्होंने भाजपा से गठबंधन कर राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व के एजेंडे पर जोर दिया।

शिवसेना में अपेक्षित महलव नहीं मिलने से नाराज राज ने 2006 में मनसे का गठन किया था। कुछ माह पहले उद्धव की बाईपास सर्जरी के दौरान राज द्वारा अपना राजनीतिक दौरा छोड़कर उनके पास पहुंचने से दोनों का मनमुटाव दूर होने की संभावना दिखी थी। इसके बाद अपने ताऊ शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की बीमारी के दौरान भी राज का आना-जाना ठाकरे निवास मातोश्री में लगा रहा। हालांकि, रिश्तों में आ रही यह गर्मी 17 नवंबर, 2012 को बाल ठाकरे के निधन के बाद फिर ठंडी पड़ने लगी थी।

राज ठाकरे को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत

नई दिल्ली। उत्तर भारतीयों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे को दिल्ली हाई कोर्ट ने राहत देते हुए उनके खिलाफ निचली अदालत द्वारा जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी है। जस्टिस सुनील गौड़ ने राज के खिलाफ अदालत में मामला दायर करने वाले बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी सुधीर कुमार ओझा को नोटिस जारी कर 16 अप्रैल तक जवाब मांगा है।

हाई कोर्ट ने राज ठाकरे को तीसहजारी कोर्ट में लंबित उन दो मामलों में एक दिन की पेशी की छूट प्रदान की है, जिनमें गुरुवार को उन्हें पेश होना था। राज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। ठाकरे के खिलाफ तीसहजारी कोर्ट ने पेशी पर न आने के कारण गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। इस पर उन्होंने रोक लगाने की मांग की थी।

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