सात समंदर पार खींच लाई हिंदी की चाहत
हिंदी सीखने की चाहत उनको सात समंदर पार भारत खींच लाई। अब यहीं रहकर हमारी भाषा पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान कुछ को हिंदी के साथ हिंदुस्तान से भी इतना लगाव हो गया कि अब यहीं बसने का मन बना लिया है। यहां हम बात कर रहे
नई दुनिया संवाददाता, भोपाल। हिंदी सीखने की चाहत उनको सात समंदर पार भारत खींच लाई। अब यहीं रहकर हमारी भाषा पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान कुछ को हिंदी के साथ हिंदुस्तान से भी इतना लगाव हो गया कि अब यहीं बसने का मन बना लिया है। यहां हम बात कर रहे हैं विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को भोपाल पहुंचे विदेशी प्रतिभागियों के दलों की। कई प्रतिभागियों ने अच्छी हिंदी बोल कर चौंका दिया। हिंदी सीखने पर उनसे बात की गई-
हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा, सीखना जरूरी
हिंदी दुनिया की बड़ी भाषा है। इसका लगातार विकास हो रहा है। मौजूदा वैश्विक दौर में हिंदी सीखना जरूरी है। भविष्य में इसके कई फायदे मिलेंगे। इसलिए भारत में रह कर हिंदी सीख रहे हैं। -चीन की ऊ या पीन और ली यैं
हिंदी के बारे में जानने का मौका मिलेगा
जब मैंने कॉलेज में आकर हिंदी भाषा व हिंदुस्तान के बारे में जाना तो मेरी हिंदी सीखने और भारत को देखने समझने की इच्छा हुई और मैं यहां आ गई। मैं दिल्ली में रहकर हिंदी सीख रही हूं। उम्मीद है सम्मेलन में हिंदी के महत्व के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। -मदीना, तजाकिस्तान
हिंदुस्तानियों को समझने का मौका मिलेगा
मैंने भारत में शादी की है। पिछले तीन साल से दिल्ली में रहकर हिंदी सीख रही हूं। मुझे लगता है इसके बाद में यहां के लोगों को बेहतर तरीके से समझ पाऊंगी। -पेट्रा, हॉलैंड
भारत में ही बसने की इच्छा
शुरू से ही हिंदी सीखने का शौक है। जापान के विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ती थी। वहां हिंदी के शिक्षकों की कमी है। भारत से बीच-बीच में पढ़ाने के लिए आते हैं। इसलिए दिल्ली में रहकर सीख रही हूं। मैं तो यही बसना चाहती हूं। -युकाको तोशिको, जापान
बहुत कुछ सीखने को मिलेगा
मुझे नई भाषाएं सीखना अच्छा लगता है। हिंदी सबसे अलग है। सम्मेलन में क्या होगा, मुझे नहीं मालूम। उम्मीद है कि यहां बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। -तातियाना, कोस्टारिका
बढ़ जाएगा दायरा
मैं एक अनुवादक हूं। मेरी पहली भाषा उर्दू है। दूसरी भाषा के तौर पर मैं हिंदी सीख रही हूं। इससे बतौर अनुवादक मेरा दायरा काफी बढ़ जाएगा। -उरबिबि, कजाकिस्तान