लोकतंत्र की आड़ में राज्यपाल का अपमान बर्दाश्त नहीं : राजभवन
हाल ही में तमिल पत्रिका नक्कीरन के संपादक आरआर गोपाल ने अपने एक लेख में राज्यपाल का नाम मदुरई कामराज विश्वविद्यालय में हुए यौन शोषण के मामले से जोड़ दिया था।
चेन्नई [आइएएनएस]। संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल जैसे प्रतिष्ठित लोगों का अपमान कर उन्हें डराने की कोशिश करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चेन्नई राजभवन की ओर से यह बात शुक्रवार को एक बयान में कही गई। हाल ही में तमिल पत्रिका नक्कीरन के संपादक आरआर गोपाल ने अपने एक लेख में राज्यपाल का नाम मदुरई कामराज विश्वविद्यालय में हुए यौन शोषण के मामले से जोड़ दिया था।
लोकतंत्र में सभी को अपने विचार रखने का हक है। लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ लेख लिखकर आप उन्हें अपमानित करने और डराने का काम नहीं कर सकते। राजभवन की गरिमा को चोट पहुंचाने से हम डर कर झुकेंगे नहीं।
यह बयान राजभवन की ओर से उस मामले में आया है, जिसमें गवर्नर का नाम एक यौन शौषण के मामले से जोड़ा गया है। बता दें कि अरुपुकोट्टई के एक कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी ने छात्राओं को परीक्षा में अच्छे नंबरों के बदले अधिकारियों से यौन संबंध बनाने के लिए कहा था। इस मामले में निर्मला देवी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
राजभवन की ओर से कहा गया है कि नक्कीरन ने सतही पत्रकारिता करते हुए यह काम किया है। यह लेख तब लिखा गया है जब सितंबर में मामले की जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। यहां तक कि किसी ने निर्मला देवी द्वारा पुलिस को दिए गए बयान को भी नहीं देखा है।
राजभवन की ओर से कहा गया है कि पिछले एक साल में निर्मला देवी कभी राजभवन नहीं आई हैं। वहीं, उनकी राज्यपाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव और किसी अन्य अधिकारी से जान-पहचान भी नहीं है। इसके अलावा राज्यपाल मदुरई कामराज विश्वविद्यालय में भी नहीं रुके थे।
तमिलनाडू पुलिस ने नौ अक्टूबर को नक्कीरन के संपादक गोपाल को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी। बता दें कि वह यौन शोषण पर एक लेख लिख रहे हैं। एक लेख में कॉलेज में हुए यौन शोषण मामले में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और उनके अतिरिक्त मुख्य सचिव का नाम जोड़ा है।