मीट पर प्रतिबंध को लेकर भाजपा-शिवसेना में दरार
जैनियों के पर्यूषण पर्व के दौरान मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना के गठबंधन में दरार पैदा हो गई है। शिवसेना ने बुधवार को कहा कि वह इस तरह का कोई प्रतिबंध लागू नहीं होने देगी। मंगलवार को बीएमसी आयुक्त अजय
मुंबई। जैनियों के पर्यूषण पर्व के दौरान मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना के गठबंधन में दरार पैदा हो गई है। शिवसेना ने बुधवार को कहा कि वह इस तरह का कोई प्रतिबंध लागू नहीं होने देगी। मंगलवार को बीएमसी आयुक्त अजय मेहता ने पर्यूषण पर्व को देखते हुए मुंबई में चार दिन के लिए मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अनुसार 10, 13, 17 और 18 सितंबर को चार दिनों के लिए मुर्गा और बकरे के मीट पर प्रतिबंध रहेगा। निजी दुकानदारों को भी कच्चा मीट बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि मछली और अंडे को प्रतिबंध से बाहर रखा गया है।
इस मुद्दे पर भाजपा से अलग रुख अपनाते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि मीट की बिक्री पर किसी तरह का प्रतिबंध न हो। दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार की तरह शिवसेना बीएमसी में भी भाजपा के साथ सत्ता में है। इस बीच, मीट की बिक्री पर प्रतिबंध की आलोचना करने के एक दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपने रुख से पलट गई है। बुधवार को राकांपा शासित नवी मुंबई नगर निगम ने भी नौ से 17 सितंबर तक मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
हिंदुओं की आबादी मामले में भी सेना का अलग सुर
हिंदुओं की आबादी बढ़ाने के मामले में भी शिवसेना ने भाजपा की कड़ी आलोचना की है। इसने कहा है कि कुछ धर्मगुरु और भाजपा सांसद ङ्क्षहदुओं को भी चार शादियां करने और ज्यादा-से-ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दे रहे हैं, ताकि मुस्लिमों से लड़ा जा सके। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। सामना में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि सिर्फ आबादी बढ़ा लेने से कोई धर्म शक्तिशाली नहीं हो जाता है। संपादकीय के अनुसार, बढ़ती आबादी ही देश की गरीबी की जड़ है और शिवसेना इस तरह के विचारों का कभी समर्थन नहीं करेगी।