बाइक फिसलने से पत्नी की मौत, पति के खिलाफ एफआइआर दर्ज; जानिए- पूरा मामला
पुलिस ने उतावली पूर्वक वाहन चलाकर पत्नी के जीवन को संकट में डालने के लिए भादंवि की धारा 304-ए (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफआइआर दर्ज की।
भोपाल, जेएनएन। शहर के बिलखिरिया में हुए सड़क हादसे में महिला की मौत के लिए पुलिस ने जांच के 16 दिन बाद उसके पति पर ही लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने उतावली पूर्वक वाहन चलाकर पत्नी के जीवन को संकट में डालने के लिए भादंवि की धारा 304-ए (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफआइआर दर्ज की। भोपाल में यह इस साल का तीसरा मामला है। रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मौत के बाद मर्ग जांच के निराकरण के लिए पुलिस को इस धारा का इस्तेमाल करना पड़ता है।
भोपाल की बिलखिरिया पुलिस के अनुसार ग्राम करारिया सतलापुर जिला रायसेन के निवासी दुर्योधन सिंह आठ अगस्त को अपनी 45 वर्षीय पत्नी भारती राजपूत को लेकर भोपाल आ रहे थे। उनकी पत्नी बाइक पर पीछे बैठी थी। जब वे बिलखिरिया इलाके में कोकता पहुंचे, तब अचानक उनकी बाइक के सामने एक कुत्ता आकर टकरा गया। इससे बाइक अनियंत्रित हो गई और भारती बाइक से गिर गई। उनके सिर में गंभीर चोट लगी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू की और हादसे के 16 दिन बाद पति के खिलाफ धारा 337, 279 और 304-ए का मामला दर्ज किया है।
जांच में लापरवाही से वाहन चलाने की बात सामने आई
इस मामले के जांच अधिकारी उपनिरीक्षक एमएल दुबे ने बताया कि भारती राजपूत की मौत की जांच में पाया कि उनके पति बाइक चला रहे थे। उनके द्वारा लापरवाही से वाहन चलाने के कारण वह गिरी, जिससे उनकी मौत हुई। इसलिए भारती के पति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
मामले के निराकरण का है यह तरीका
पुलिस के एक अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मर्ग जांच के निराकरण के लिए कुछ तो करना होता है, इसलिए वाहन चालक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर लेते हैं। चाहे वह मरने वाले का कितना भी करीबी क्यों न हो। ऐसे ज्यादातर मामलों में मरने वाले के स्वजन बीमा पाने के लिए भी खुद पर केस दर्ज करवा लेते हैं।
गलत एफआइआर करती है पुलिस : वकील
वकील अंकित सक्सेना का कहना है कि बाइक फिसलने से पत्नी की मौत के लिए चालक पति पर एफआइआर दर्ज करना गलत है। पुलिस को सड़क की स्थित की भी जांच करनी चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि बाइक में कोई खराबी तो नहीं थी। ऐसा करने की बजाय पुलिस ऐसे मामलों के जल्द निपटारे के लिए सिर्फ और सिर्फ मामले का निराकरण करने के लिए यह कार्रवाई करती है। ये धाराएं भी जमानती होती हैं। आरोपित आसानी से छूट जाता है।
यूएस तिवारी रिटायर्ड नगर निरीक्षक मप्र पुलिस का कहना है कि बाइक से गिर कर मौत के मामलों में कई बार मरने वाले के करीबी ही कार्रवाई करने की जल्दी करते हैं। भादंवि की धारा 304-ए, 279 और 337 की धाराओं में केस दर्ज किया जाता है। उनका मानना रहता है कि जाने वाला तो चला गया, बीमा क्लेम से हम क्यों वंचित हों। इसलिए पुलिस लापरवाही से वाहन चलाने को लेकर चालक पर केस दर्ज करती है। फिर वह चाहे मरने वाले का कोई भी हो।