कन्याओं को पूजने वाले देश में ये भेदभाव क्यों? दिल्ली से बिहार तक लड़कियों की एक-सी स्थिति
लोग भले ही लड़कों और लड़कियों के बीच समानता की बात करें लेकिन सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। आज भी ज्यादातर माता-पिता अपने बेटे को तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं लेकिन लड़कियों को नहीं। दिल्ली जैसे शहरों में भी यही स्थिति है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। शारदीय नवरात्रि आ आरंभ हो गया है। इन दिनों हम मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। अंतिम दिन कन्या पूजन भी करते हैं। लड़कियों को जहां देवी का दर्ज दिया जाता है, वहां उनके साथ भेदभाव क्यों? हमारे देश में आज भी लड़कियों के मुकाबले लड़कों को तवज्जो दी जाती है, इसके कोई दो राय नहीं है। इसी वजह से देश में लिगांनुपात में बड़ा अंतर देखा जाने लगा था। हालांकि, मोदी सरकार के 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियानों से लोग बेटी बचाने (भ्रूण हत्या में कमी) तो लगे हैं, जिसकी तस्दीक आंकड़े करते हैं, लेकिन बेटियों को पढ़ाने के मामले में अब भी स्थिति चिंतनीय है।
बेटी सरकारी स्कूल में और बेटा...!
लोग भले ही लड़कों और लड़कियों के बीच समानता की बात करें, लेकिन सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। आज भी ज्यादातर माता-पिता अपने बेटे को तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन लड़कियों को नहीं। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफारमेशन सिस्टम फार एजुकेशन (यू डाइस) के 2020-21 के आंकड़ों में मुताबिक, देश में इस दौरान 5 करोड़ 32 लाख छात्रों का एडमिशन प्राइवेट स्कूलों में हुआ। वहीं छात्राओं की बात करें, तो ये संख्या 4 करोड़ 19 लाख है। सरकारी स्कूलों में 6 करोड़ 63 लाख छात्रों का दाखिला और और छात्राओं की संख्या 6 करोड़ 85 लाख रही।
दिल्ली से बिहार तक लड़कियों की यही स्थिति
अगर आप सोच रहे हैं कि लड़कियों के साथ दिल्ली जैसे शहरों में भेदभाव नहीं हो रहा है, तो यह आपकी गलतफहमी है। लड़कियों के साथ ये भेदभाव दिल्ली से लेकर बिहार तक देखने को मिल रहा है। आइए आपको साल 2020 से 2021 के बीच निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी से 12वीं तक दाखिला लेने वाले छात्रों में लड़कों और लड़कियों का अनुपात बताते हैं।
- दिल्ली में कुल 17 लाख 81 हजार छात्रों का एडमिशन हुआ। इसमें लड़के 10.41 लाख और लड़कियां 7.39 लाख रहीं।
- बिहार में कुल 33 लाख 89 हजार छात्रों का दाखिला हुआ। इसमें लड़के 19.84 लाख और लड़कियां 14.05 लाख रही।
- उत्तर प्रदेश में कुल 2 करोड़ 20 लाख छात्रों का एडमिशन हुआ। इसमें लड़के 1 करोड 21 लाख और लड़कियां 99.20 लाख रही।
- हरियाणा में कुल 34 लाख 40 लाख छात्रों का एडमिशन हुआ। इसमें लड़के 20.23 लाख और 14.17 लाख रही।
अगर हमें लड़कियों आगे बढ़ाना है, तो उन्हें मौके भी समान देने होंगे। लड़के और लड़कियों में यदि ऐसे ही भेदभाव होता रहा, तो स्थिति बेहतर नहीं होगी। इसका प्रयास हम सबको मिलकर ही करना होगा। सरकार इस मुद्दे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। मोदी सरकार के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को अगर हमें पूरा करना है, तो लड़कियों के साथ हर स्तर पर होने वाले भेदभाव को खत्म करना होगा।