CBSE Paper Leak Case: दोष हमारे तंत्र का है और परिणाम भुगत रहे हैं आम छात्र
एक बात स्पष्ट है कि जब तक देश भर में फैले गिरोहों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा, परीक्षाएं स्वच्छ नहीं हो सकेंगी। आज देश का शायद ही कोई ऐसा कोना बचा हो, जहां पर्चा लीक कराने वाले गिरोहों ने कोई कारनामा न किया हो।
नई दिल्ली [अवधेश कुमार] परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में पूरा तंत्र कठघरे में खड़ा दिख रहा है। इस समय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं गणित और 12वीं अर्थशास्त्र का प्रश्न पत्र परीक्षा के पहले ही बाहर आ जाने का मामला हमारे सामने है। यह कोई सामान्य घटना नहीं है। सीबीएसई के सामने इन परीक्षाओं को रद कर इन्हें दोबारा आयोजित कराने के अलावा कोई चारा बचा ही नहीं था। हालांकि सीबीएसई की सूचना में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि प्रश्न पत्र बाहर आ जाने के कारण उसे परीक्षा फिर से करानी पड़ रही है। उसने इतना कहा है कि परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। यह बात अलग है कि बोर्ड ने ही दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई है और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रश्न पत्र परीक्षा के पहले ही लीक होना स्वीकार किया है तथा वायदा किया है कि आगे से ऐसा नहीं होगा, इसके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है। किंतु क्या इस आश्वासन पर विश्वास किया जा सकता है?
कम से कम इस समय तो नहीं। ऐसी परीक्षाओं का क्या मतलब जिसमें पूरी तैयारी करके सम्मिलित हुए छात्रों के साथ इस तरह का खिलवाड़ हो। आखिर उन छात्रों को किस बात की सजा मिल रही है? जिन छात्रों ने अच्छा लिखा था उनकी यह चिंता वाजिब है कि पता नहीं अगली परीक्षा में प्रश्न पत्र कहीं ज्यादा कठिन आ गए तो उनका क्या होगा। इसका जवाब किसी के पास नहीं। इस साल 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में देशभर से 28 लाख 24 हजार 734 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। 10वीं में 16 लाख 38 हजार 428 और 12वीं की परीक्षा में 11 लाख, 86 हजार, 306 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे। मान लीजिए इनमें से कुछ हजार छात्रों को पहले से लीक प्रश्न मिल गए होंगे। यानी लाखों निदरेष छात्रों को इसका परिणाम भुगतना पड़ा है।
दोष हमारे तंत्र का है और परिणाम भुगत रहे हैं आम छात्र। यह कोई पहली घटना भी नहीं है। कुछ ही दिनों पहले एसएससी की परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला सामने आया था। उस समय सरकार को स्वत: आगे आकर कोई निर्णय करना चाहिए था। ऐसा हुआ नहीं। जब परीक्षा देने वालों नवजवानों ने आंदोलन खड़ा किया तब जाकर सरकार को जांच का आदेश देना पड़ा। ऐसा लगता ही नहीं कि परीक्षा की कोई गोपनीयता हो। इसके पहले हमने मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं से लेकर राज्यों के लोकसेवा आयोग तक की परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों को लीक होते देख चुके हैं। इनकी छानबीन से साफ हो गया था कि देश भर में इसके पीछे माफिया गिरोह बने हुए हैं। प्रश्न पत्र लीक कराना एक व्यवसाय जैसा हो गया है जिसमें न जाने कितने की कमाई इन गिरोहों को हो रही है।
एसएससी मामले में अभी एक गिरोह पकड़ में आया है जो ऑनलाइन ही उम्मीदवारों के प्रश्नों का उत्तर लिख देता था। ऑनलाइन परीक्षाओं को सबसे सुरक्षित एवं शुचिता वाला माना जाता है। अगर एसएससी जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं का यह हाल है तो अन्यों का क्या हाल होगा? ऐसी स्थितियों में परिश्रम से तैयारी करने वाले मेधावी युवा नौकरी पाने से वंचित रह जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता कि ऐसा क्याें हुआ। तो इसमें दोष किसका है? निश्चित रूप से तंत्र का। अगर सीबीएसई की ओर लौटें और प्रश्न पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया को देखें तो प्रश्न तय करने से लेकर उसे मॉडरेटरों के पास जाने, छापे जाने, फिर कलेक्शन सेंटर में स्टोर करने तथा परीक्षा केंद्रों तक भेजे जाने तक इतनी गोपनीयता तथा सुरक्षा बरती जाती है कि इसके बाहर आ जाने की कल्पना तक नहीं की जा सकती। बावजूद इसके ऐसा हो रहा है। इसके बारे में तो अजीब कहानी सामने आ रही है।
सीबीएसई ने ही अपनी शिकायत में बताया है कि अज्ञात शख्स की तरफ से 26 तारीख को शाम 6 बजे के आसपास 4 प्रष्ठों की हाथ से लिखी आंसर शीट मिली। यह आंसर शीट एक लिफाफे में कर सीबीएसई एकेडमिक यूनिट को भेजी गई थी। बोर्ड को 23 मार्च को एक फैक्स भी मिला था। किसी ने शाम साढ़े 4 बजे के आसपास सीबीएसई को फैक्स भेज पेपर लीक में एक कोचिंग संचालक और दो स्कूलों के शामिल होने की जानकारी दी थी। यह प्रश्न तो उठेगा कि जब लीक की सूचना इन्हें मिल गई तो फिर त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उसी समय परीक्षा रोकी जा सकती थी, पर तंत्र के काम करने का तरीका देखिए। इस शिकायत को 24 मार्च को सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय को फॉरवर्ड कर दिया गया। उसने इसको इंस्पेक्टर सुशील यादव को फॉरवर्ड कर दिया। यानी सब अपनी औपचारिकता पूरी कर रहे थे। हमारा तंत्र ऐसे ही काम करता है। अगर प्रश्न पत्र को वाट्सएप पर प्रसारित नहीं किया जाता तो केवल शिकायत की कागजी खानापूर्ति हो जाती।
साफ है कि शिक्षा और परीक्षा तंत्र की पूरी सफाई होनी चाहिए। प्रकाश जावड़ेकर स्वयं कह रहे हैं कि इसके पीछे कोई गैंग योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है तो इनको खत्म करने तथा परीक्षाओं को वाकई परीक्षा बनाने की जिम्मेदारी सरकार के सिर आ जाती है। सीबीएसई परीक्षा को आप लीकप्रूफ बनाने का वायदा कर रहे हैं तो इसका भी परीक्षण हो जाएगा, लेकिन चूंकि ऐसा केंद्र से लेकर राज्यों तक हो रहा है इसलिए समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। केंद्र सरकार अपने मातहत आने वाली परीक्षाओं को स्वच्छ बनाने के लिए तो काम करे ही, पहल करके सभी राज्य सरकारों की बैठक बुलाए तथा पूरी छानबीन के लिए एक बड़ा विशेष दल गठित हो। इस दल को छानबीन से लेकर कानूनी कार्रवाई का पूरा अधिकार रहे। जब तक देश भर में फैले गिरोहों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा परीक्षाएं स्वच्छ नहीं हो सकतीं। हालांकि इसके साथ हमारी शिक्षा और परीक्षा प्रणाली में बदलाव पर भी विचार होना चाहिए। क्या ऐसी प्रणाली नहीं हो सकती जिसमें केवल अंक पाना योग्यता और सफलता का परिचायक न रह जाए? ऐसे कई सुझाव पहले से ही सरकार के पास हैं, जिनको खोलकर आज देखने और जितना संभव हो अमल करने की जरूरत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)