जानिए, क्यों जस्टिस चंद्रचूड़ ने 'आधार' को कहा संविधान के साथ धोखा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी कहा कि आधार नंबर सूचना की निजता, स्वाधीनता और डेटा सुरक्षा के विपरीत है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है। कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कुछ शर्तों के साथ आधार के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन इन पांच जजों में से एक जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस फैसले से अलग राय रखते आधार को असंवैधानिक करार दिया है। हालांकि संवैधानिक बेंच के सामूहिक फैसले में कहा गया कि आधार नंबर संवैधानिक रूप से वैध है। पैन कार्ड के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है।
आधार को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी अलग राय रखी। उन्होंने कहा, 'आधार एक्ट को धन विधेयक की तरह पास करना संविधान के साथ धोखा है।, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 का उल्लंघन है।' बता दें कि अनुच्छेद 110 मुख्य तौर पर धन विधेयक के संबंध में ही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मौजूदा दौर में आधार एक्ट संवैधानिक नहीं हो सकता है।
आधार नंबर को हर दूसरी योजना के लिए अनिवार्य करने के फैसले पर कई सवाल उठते रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी कहा कि आधार नंबर सूचना की निजता, स्वाधीनता और डेटा सुरक्षा के विपरीत है। इस तरह के उल्लंघन यूआईडीएआई स्टोर से भी सामने आए हैं। उन्होंने इसे निजता के अधिकार के खिलाफ बताया।
कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कुछ शर्तों के साथ आधार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि CBSE, NEET, UGC और स्कूल एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा आधार बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए भी जरूरी नहीं होगा। हालांकि कोर्ट ने पैन कार्ड के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी।कोर्ट ने केंद्र को हिदायत भी दी है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद कर दिया है। अब प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकती हैं।
आधार पर फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा है कि आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। फैसला पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, लेकिन कुछ अलग भी होना चाहिए। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड ने गरीबों को पहचान और ताकत दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड जरूरी है, सरकार ने आधार कार्ड के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो।