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नेपाल जैसा भूकंप दिल्‍ली में आया तो क्‍या हो सकता है?

हिमालय के गोद में बसे नेपाल में तबाही मचाने के बाद भूकंप ने भारत की ओर रुख कर लिया और इसने देश की राजधानी दिल्‍ली को भी नहीं बख्शा। लेकिन सवाल यह है कि अगर इस तीव्रता का भूकंप दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में आता है तो क्‍या होगा?

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 06:41 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 07:37 AM (IST)
नेपाल जैसा भूकंप दिल्‍ली में आया तो क्‍या हो सकता है?

नई दिल्ली, [वी.के.शुक्ला]। हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को आये शक्तिशाली भूकंप ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 1500 की मौत हो गई है। मृतकों का आंकड़ा हर बीतते पल के साथ बढ़ रहा है।

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नेपाल ही नहीं समूचा भारत भी कुदरत के इस कहर से सहमा रहा। नेपाल में तबाही मचाने के बाद भूकंप ने भारत की ओर रुख कर लिया और इसने देश की राजधानी दिल्ली को भी नहीं बख्शा। लेकिन सवाल यह है कि अगर इस तीव्रता का भूकंप दिल्ली और आसपास के इलाकों में आता है तो क्या होगा?

राजधानी में ज्यादातर मकानों की खतरनाक हालत को देख आशंका होती है कि भीषण भूकंप आने पर दिल्ली का क्या होगा? सिस्मिक जोन चार में आने के चलते यहां के 70 फीसद से भी अधिक निर्माण भूकंप की दृष्टि से खतरनाक है।

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यहां कार्य लगातार जारी है। वहीं वोट बैंक की राजनीति में सरकार भी गलत निर्माण को स्वीकृति देने पर तुली है। अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) देकर निर्माण को और भी खतरनाक बनाया जा रहा है। ऐसे में भूकंप की तीव्रता 6 से भी अधिक होने पर दिल्ली को तबाह होने से कोई नहीं रोक सकेगा।

ज्ञात हो कि भारत और उसके पड़ोसी देशों के एक बड़े हिस्से की भांति दिल्ली पर भूकंप का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। चाहें भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान, पाकिस्तान या नेपाल हो, राजधानी में भी हर बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। लोगों की सांसें रुक जाती हैं। मगर फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है, लोग पुराने ढर्रे पर चल पड़ते हैं। नेपाल में जिस तरह से भूकंप आया है, इतने में तो दिल्ली शहर ही नहीं बचेगा।

30 फीसद इमारतें ही भूकंप से सुरक्षित
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भूकंप की तीव्रता 6 से ऊपर रहती है तो उसमें भी 70 फीसद दिल्ली का सफाया हो जाएगा। कारण दिल्ली शहर में 30 फीसद इमारतें ही भूकंप से सुरक्षित हैं। इन इमारतों के बाकी के मुकाबले आपदा की स्थिति में बचे रहने की ज्यादा संभावना है।

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मगर चिंताजनक बात यह है कि पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भूजल का दोहन खूब हो रहा है, जिससे क्षेत्र रेगिस्तान में तब्दील हो रहा है। जियोलॉजिस्ट के अनुसार, भूकंप की तीव्रता का असर कठोर की अपेक्षा रेतीली जमीन पर अधिक होता है। ऐसे में अगर शहर में तेज भूकंप आता है तो अधिक बर्बादी होगी।

मगर लोग मानते नहीं बीआइएस
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के जियो हैजार्ड विभाग के प्रमुख प्रो. चंदन घोष कहते हैं कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) ने मकानों को भूकंप से बचाने के लिए कुछ मानक तय किए हैं। हर बिल्डिंग के लिए बीआइएस कोड जारी किया जाता है जो प्रमाण होता है कि मकान भूंकप की तीव्रता को इस पैमाने तक सहन कर सकता है। मकान का निर्माण ऐसा हो कि वो भूकंप के झटके ङोल सके। मगर लोग इसे नहीं मान रहे हैं।

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दिल्ली-एनसीआर में आए अधिक तीव्रता के भूकंप
अब तक देश की राजधानी में ज्यादा तीव्रता के भूकंप आए नहीं हैं और दिल्ली के लोग सुरक्षित है। हालांकि भूकंप ने कई बाद यहां के लोगों का दिल दहला दिया है। दिल्ली में सबसे ज्यादा तीव्रता का भूकंप 1956 में आया था, जो रिक्टर स्केल पर 6.7 मापा गया था। इसके बाद 1960 में 6, 1966 में 5.6 और 1993 में 5 रिक्टर स्केल का भूकंप आया है। शनिवार को आये भूकंप की तीव्रता भी 5 थी।

क्या है विशेषज्ञों की राय?
दिल्ली स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर प्रो. के टी रविंद्रन का कहना है कि 6 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप दिल्ली के लिए बड़ी आपदा होगा। भवन निर्माण को लेकर न मास्टर प्लान में विस्तार से चर्चा की गई है और न निर्माण को लेकर सख्त कदम उठाए गए हैं।

वहीं पर्यावरणविद् फैयाज कुदसर ने बताया कि एनसीआर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है, जिसके चलते आने वाले समय में भूकंप के झटकों की तीव्रता बढ़ सकती है।

भूकंप के बाद की ताजा तस्वीरें देखेने के लिए यहां क्लिक करें

जानिए रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता जब इतनी हो, तो उसका क्या होता है असर :
- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।

- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है।

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।

- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।

- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।

- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।

- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी। भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

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