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भोपाल के एक थोक कपड़ा बाजार ने किया कमाल, 90 फीसद चीनी माल को किया बाजार से बाहर

हुआ यूं कि आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के विचार को आत्‍मसात करते हुए इस बाजार के व्‍यापारियों ने भारतीय कारखानों का कपड़ा खरीदना शुरू किया। इन्‍होंने ग्राहकों को भी समझाया कि यह देश की अर्थव्‍यवस्‍था स्‍वाभिमान और सुरक्षा से संबंधित मसला है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 04:01 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 04:25 PM (IST)
चीनी कपड़े की बिक्री कम होने का असर कमोबेश पूरे प्रदेश पर पड़ा

भोपाल, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित बैरागढ़ के थोक कपड़ा बाजार चीन में बने कपड़ों से पटे रहते थे। खासतौर पर चादर, रजाई का कपड़ा, पर्दे एवं हैंडलूम कपड़े में चीन के बाजार का वर्चस्व था। मगर इस बाजार ने ऐसा कमाल किया कि अब यहां भारतीय कपड़ों का बोलबाला है और चीनी कपड़ों की बिक्री 90 फीसद तक कम हो गई है।

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हुआ यूं कि आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के विचार को आत्‍मसात करते हुए इस बाजार के व्‍यापारियों ने भारतीय कारखानों का कपड़ा खरीदना शुरू किया। इन्‍होंने ग्राहकों को भी समझाया कि यह देश की अर्थव्‍यवस्‍था, स्‍वाभिमान और सुरक्षा से संबंधित मसला है। धीरे-धीरे अन्‍य व्‍यापारी भी इस खामोश क्रांति से जुडते गए और चीनी कपड़ा बाजार से बाहर होता गया।

बता दें कि बैरागढ़ के थोक कपड़ा बाजार से लगभग पूरे मध्‍य प्रदेश में कपड़ा सप्‍लाय किया जाता है। इस तरह इस बाजार में चीनी कपड़े की बिक्री कम होने का असर कमोबेश पूरे प्रदेश पर पड़ा है। थोक वस्त्र व्यवसाय संघ के अध्यक्ष कन्हैयालाल इसरानी के अनुसार पहले चीन में निर्मित चादरों की ग्राहकों में बहुत मांग थी क्‍योंकि चीनी कपड़ा नर्म और सस्ता होता है। लेकिन अब भारतीय कंपनियां भी ऐसा कपड़ा बनाने लगी हैं। इसलिए व्‍यापारियों ने भी तय किया कि भारत में निर्मित कपड़ा ही बेचा जाए।

बैरागढ़ के थोक कपड़ा बाजार में सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का टर्नओवर है। सर्वाधिक बिक्री साड़ियों और ड्रेस मटेरियल की होती है। अनुमान के मुताबिक हैंडलूम कपड़े का टर्नओवर 60 से 80 करोड़ रुपये है। पहले इसमें से बड़ा हिस्सा चीनी कपड़े का होता था। लेकिन यह बीते दिनों की बात हो गई। 


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