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मेरी बेटी का हाथ कौन थामेगा: गुड़िया के पिता

मासूम गुड़िया (परिवर्तित नाम) की सेहत में सुधार हो रहा है। उसे दूध, दाल व दलिया दिया जा रहा है। संक्रमण की वजह से उसे बुखार है। वहीं गुड़िया के पिता ने दर्द बयां करते हुए कहा कि यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी सामान्य जीवन जीना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि मनोज ने हैवानियत से मासूम बच्ची की जिंदगी बर्बाद कर

By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2013 08:18 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2013 08:19 AM (IST)
मेरी बेटी का हाथ कौन थामेगा: गुड़िया के पिता

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली । मासूम गुड़िया (परिवर्तित नाम) की सेहत में सुधार हो रहा है। उसे दूध, दाल व दलिया दिया जा रहा है। संक्रमण की वजह से उसे बुखार है। वहीं गुड़िया के पिता ने दर्द बयां करते हुए कहा कि यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी सामान्य जीवन जीना मुश्किल होगा।

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उन्होंने कहा कि मनोज ने हैवानियत से मासूम बच्ची की जिंदगी बर्बाद कर दी। ऐसे लोगों को जीने का हक नहीं है। पिता को डर है कि बेटी के ठीक होने के बाद क्या समाज उससे सामान्य व्यवहार करेगा? उसका हाथ कौन थामेगा? उन्होंने बताया कि उसे जुकाम व खांसी है। हालांकि डॉक्टर खांसी जुकाम होने से इन्कार कर रहे हैं। एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने कहा कि बुखार कम होना संक्रमण घटने का लक्षण है।

गुड़िया की सलामती को पैतृक गांव में पूजा-पाठ

गुड़िया के बिहार के सीतामढ़ी जिला स्थित पैतृक गांव में उसकी सलामती के लिए पूजा-पाठ हो रहा है। सोनबरसा प्रखंड स्थित गांव के लोगों में घटना को लेकर काफी गुस्सा है। गांव के गणेश सिंह बताते हैं कि बच्ची की सलामती के लिए स्थानीय मंदिर में रामधुन शुरू कर दिया गया। ग्रामीणों की मांग है कि मामले में त्वरित सुनवाई हो और दोषियों को फांसी दी जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि मामले में त्वरित सुनवाई न हुई तो वे गांव के पास से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 77 को जामकर देंगे। इस गांव में 500 घर हैं। करीब दो सौ घरों के चार सौ लोग देश के बड़े शहरों में मजदूरी करते हैं। उसके गांव में गुड़िया की दादी व दो अन्य चाचा का परिवार रहता है।

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