Move to Jagran APP

डब्ल्यूएचओ फंसा ड्रैगन के जाल में और दुनिया भर में फैल गया कोरोना संक्रमण, पढ़े पूरी रिपोर्ट

तिथिवार पड़ताल कर जानते हैं कि किस तरह इस बीमारी ने दुनिया भर में अपने पैर फैला लिए और इस दौरान डब्ल्यूएचओ क्या करता रहा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 03:38 PM (IST)
डब्ल्यूएचओ फंसा ड्रैगन के जाल में और दुनिया भर में फैल गया कोरोना संक्रमण, पढ़े पूरी रिपोर्ट
डब्ल्यूएचओ फंसा ड्रैगन के जाल में और दुनिया भर में फैल गया कोरोना संक्रमण, पढ़े पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के वैश्विक महामारी का रूप लेने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भारी आलोचनाओं में घिर गया है। आरोप हैं कि इस वैश्विक संस्था ने चीन की बातों में फंसकर दुनिया को कोरोना संकट के प्रति समय पर आगाह नहीं किया। इसी कारण डब्ल्यूएचओ के खिलाफ दुनिया के कई देशों में नाराजगी पनपी है।

loksabha election banner

डेली मेल के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली करोड़ों डॉलर की सालाना आर्थिक मदद रोकने तक का एलान कर दिया है। उनका आरोप है कि कोरोना से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था ने घोर लापरवाही की है। साथ ही यह भी आरोप लग रहे हैं डब्ल्यूएचओ ने चीन का पक्ष लिया और बिना जांचे-परखे उसके डाटा पर भरोसा कर लिया। इस संदर्भ में तिथिवार पड़ताल कर जानते हैं कि किस तरह इस बीमारी ने दुनिया भर में अपने पैर फैला लिए और इस दौरान डब्ल्यूएचओ क्या करता रहा।

31 दिसंबर 2019: चीन ने डब्ल्यूएचओ को वुहान में कलस्टर असामान्य निमोनिया के मामले की पहली रिपोर्ट दी।

04 जनवरी 2020: डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट कर वुहान में कलस्टर (समूह) असामान्य निमोनिया की जानकारी दी। इसमें किसी की मौत का उल्लेख नहीं था। मानव से मानव में संक्रमण का प्रमाण नहीं।

05 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने अज्ञात कारणों वाले निमोनिया के बाद पहला परामर्श (गाइडेंस) यह कहते हुए जारी किया कि कुल 44 रोगी हैं, जिनमें 11 की हालात गंभीर है। बीमारी के मुख्य लक्षण बुखार तथा कुछ रोगियों में सांस लेने में तकलीफ बताए गए। यह भी बताया कि मानव से मानव में संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है।

07 जनवरी: चीन ने नोवल कोरोना वायरस को निमोनिया के कारण के रूप में पहचाना। डब्ल्यूएचओ ने शुरुआत में इसे 2019-एन कोरोना वायरस का नाम दिया। चीन की सराहना।

09 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने ‘इतने कम समय में’ नए वायरस की पहचान करने के लिए चीन की सराहना की। साथ ही दोहराया कि यह वायरस इंसानों के बीच आसानी से संचारित नहीं होता। इसने चीन पर ट्रैवल या ट्रेड बैन के खिलाफ भी सलाह दी।

13 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने कहा कि थाइलैंड में भी मामला सामने आने से वह इमरजेंसी कमेटी की बैठक बुला सकता है। संक्रमण के तरीकों पर रुख बदला।

14 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने फिर ट्वीट किया कि चीन में ‘मानव से मानव में’ संक्रमण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। लेकिन बाद में स्पष्टीकरण दिया कि पारिवारिक सदस्यों द्वारा सीमित संक्रमण हो सकता है।

20-21 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने वुहान में फील्ड विजिट के लिए टीम को उतारा।

21 जनवरी : अमेरिकी धरती पर वाशिंगटन में पहला पुष्ट मामला सामने आया। संक्रमित व्यक्ति एक सप्ताह पहले चीन से लौटा था। बड़े जमावड़े से बचने की सलाह।

22 जनवरी: डब्ल्यूएचओ टीम ने वुहान को रिपोर्ट भेजी, जिसमें कहा कि मानव से मानव में संक्रमण हो रहा है। रिपोर्ट में 16 मेडिको में संक्रमण की पुष्टि की गई। टीम ने लोगों के बड़े जमावड़े, संक्रमित लोगों के आइसोलेशन तथा हाथ धोने को बचाव का बेहतर उपाय बताया। पहली बार डब्ल्यूएचओ इमरजेंसी कमेटी की बैठक हुई। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेबरियासिस ने चीन के स्वास्थ्य मंत्री से बात कर ‘अमूल्य’ प्रयासों की सराहना की। डब्ल्यूएचओ प्रमुख करते रहे चीन की तरफदारी।

23 जनवरी: इमरजेंसी कमेटी में मतभेद सामने आए। डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ. टेड्रोस ने कहा कि वायरस को अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली हेल्थ इमरजेंसी घोषित नहीं करने का फैसला किया है। वुहान में उसी दिन घोषित लॉकडाउन का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह प्रभावी और अल्पकालिक होगा। उन्होंने वायरस से निपटने में चीन के ‘सहयोग और पारदर्शिता’ की सराहना भी की। इस समय तक दुनिया भर में 584 मामलों की पुष्टि और 17 मौतें हो चुकी थीं। उन्होंने हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग सुविधा बहाल करने की सिफारिश की लेकिन ट्रैवल बैन की सलाह देने से परहेज किया।

28-29 जनवरी: डॉ. टेड्रोस तथा डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। चीन के शीर्ष नेतृत्व की प्रतिबद्धता व पारदर्शिता की सराहना की। 29 जनवरी को फिर चीन की सराहना की।

30 जनवरी: डब्ल्यूएचओ इमरजेंसी कमेटी की बैठक हुई और अंतरराष्ट्रीय सरोकार के चिंता वाले जनस्वास्थ्य आपातकाल को घोषित किया। लेकिन यह घोषणा जर्मनी, जापान, वियतनाम तथा अमेरिका में मानव से मानव में संक्रमण संचरण की पुष्टि के बाद हुई। बावजूद अंतरराष्ट्रीय यात्रा या कारोबार पर अंकुश की सिफारिश नहीं की।

31 जनवरी: अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन से आने वाले लोगों के लिए यात्रा प्रतिबंध की घोषणा की। रोग को कोविड-19 नाम दिया।

07 फरवरी: चीन में कोरोना वायरस की रिपोर्ट करने वाले पहले डॉक्टर ली वेनलियांग की संक्रमण से मौत। चीन ने पहले इस डॉक्टर को चुप करा दिया था।

10 फरवरी: चीन की मदद के लिए डब्ल्यूएचओ की टीम पहुंची।

11 फरवरी: डब्ल्यूएचओ ने रोग को कोविड-19 का नाम दिया। कहा कि इसके भौगोलिक नाम से इसलिए परहेज किया गया है कि वहां लोगों के निंदित होने का

खतरा होता है। यह भी कहा कि इसका नाम सार्स-कोरोना वायरस-2 भी इसलिए नहीं रख रहा है कि 2003 के सार्स से जोड़ने से ‘अनावश्यक डर’ पैदा होगा।

12 फरवरी: डॉ. टेड्रोस ने कहा कि चीन में नए मामलों में ‘स्थिरता’ आई है लेकिन इसे अत्यधिक सतर्कता से लिये जाने की जरूरत है।

16-24 फरवरी: डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ चीन में जुटे और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर संकट से निपटने के तौर-तरीके साझे किये।

17 फरवरी: कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा दिया जाने लगा। उन्होंने दुनिया भर के नेताओं से वायरस की रोकथाम का आह्वान किया। रोग के लक्षणों की जानकारी

28 फरवरी: डब्ल्यूएचओ की टीम ने पहली रिपोर्ट दी। प्रमुख निष्कर्षों में कहा गया कि यह रोग चमगादड़ों से आया हुआ लगता है, जो संक्रमित लोगों के करीबी संपर्कों से फैला है न कि हवा से। इस रोग के सामान्य लक्षणों में बुखार, सूखी खांसी तथा थकान शामिल हैं। रिपोर्ट में चीन की सराहना करते हुए कहा कि इतिहास में सर्वाधिक महत्वाकांक्षी, चुस्त और आक्रामक प्रयास किये गये हैं।

09 मार्च: वायरस के प्रसार को देखते हुए लॉकडाउन करने वाला इटली पहला यूरोपीय देश बना। कोरोना महामारी घोषित।

11 मार्च: डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया। मतलब यह कि दुनिया में वायरस का अनियंत्रित प्रसार हो रहा है। इस समय तक 100 से अधिक देशों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके थे।

19 मार्च: चीन ने कोरोना वायरस का कोई नया घरेलू मामला नहीं होने की घोषणा की। युवा भी अभेद्य नहीं।

20 मार्च: डॉ. टेड्रोस ने आगाह किया कि युवा भी इस वायरस के लिए अभेद्य नहीं हैं।

25 मार्च: डोनाल्ड ट्रंप ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को कोरोना वायरस का संभावित इलाज माना। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अभी तक वायरस के इलाज के लिए

किसी दवा को मंजूरी नहीं दी गई है। इसी दिन संगठन ने दो अरब डॉलर अतिरिक्त फंडिंग का आह्वान किया।

06 अप्रैल: डब्ल्यूएचओ ने मास्क पर अपनी गाइडलाइन को अपडेट करते हुए कहा कि यह वायरस के फैलाव को रोकने में प्रभावी है, लेकिन इसका प्रयोग अन्य उपायों के साथ होना चाहिए।

8 अप्रैल: डब्ल्यूएचओ की आलोचनाओं के मद्देनजर डॉ. टेड्रोस ने विश्व के नेताओं से महामारी पर राजनीति नहीं करने की अपील की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.