WHO on Indian Cough Syrups: कफ सिरप मामले में डीसीजीआइ ने जांच शुरू की, जांच के लिए कोलकाता भेजे सैंपल
WHO ने हरियाणा की दवा निर्माता कंपनी मैडेन फार्मा की चार दवाओं को जानलेवा करार देते हुए इन्हें जानलेवा बताया है। इस बीच ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (Drugs Controller General of India DCGI) ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हरियाणा की दवा निर्माता कंपनी मैडेन फार्मा की चार दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया है। इन्हें जानलेवा बताया है। उधर ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने मामले की जांच शुरू कर दी है। फर्म द्वारा निर्मित चार कफ सिरप के नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए कोलकाता लैब भेजा गया है। साथ ही डब्ल्यूएचओ से इस संबंध में और विवरण मागा हैं। मैडेन फार्मा ने अपनी ये कफ सिरप दवा पश्चिमी अफ्रीका के देश गांबिया में भेजी थीं।
गांबिया में 66 बच्चों की मौत
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इन दवाओं की वजह से ही गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को कहा कि फर्म द्वारा निर्मित चार कफ सिरप के नमूने जांच के लिए कोलकाता में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि डीसीजीआइ और हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की एक टीम ने नमूने एकत्र किए हैं।
अब जांच रिपोर्ट आने का इंतजार
फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने कहा कि निर्यात करने वाली दवा कंपनियों को डब्ल्यूएचओ से गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) का सर्टिफिकेट लेना होता है। यही नहीं, दवा निर्माता कंपनियों को इसके लिए राज्य व केंद्रीय नियामकों की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि दवा कंपनियां निर्यात होने वाली दवा का सैंपल या उस बैच नंबर की दवा अपने पास भी रखती है। गांबिया में होने वाली मौत की जांच में उन सैंपल की जांच से ही चीजें साफ हो पाएंगी।
इन चार कफ सिरप पर डब्ल्यूएचओ का अलर्ट
डब्ल्यूएचओ ने जिन कफ सिरप को लेकर अलर्ट घोषित किया है, उनमें मैडेन फार्मा कंपनी के कफ सिरप प्रोमेथजाइन ओरल साल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैगरिप और कोल्ड सिरप शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इनमें अत्यधिक मात्रा में डायथिलीन ग्लाइकोल व एथिलीन ग्लाइकोल है। यह रसायन शरीर पर बेहद घातक प्रभाव डालते हैं। इससे खासकर किडनी में जख्म हो जाते हैं।
कहीं भारतीय दवाओं को बदनाम करने की साजिश तो नहीं
दवा निर्यातकों कहना है कि यह बिल्कुल शुरुआती मामला है और इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि यह भारतीय दवाओं को बदनाम करने की साजिश हो, क्योंकि भारतीय दवा का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।
पहले भी हो चुकी हैं भारतीय दवाओं को बदनाम करने की कोशिशें
निर्यातकों ने बताया कि वर्ष 2009 में नाइजीरिया में चीन में बनी नकली पैरासिटामोल दवा पर मेड इन इंडिया का लेबल लगा दिया गया था और भारतीय दवा को बदनाम करने की कोशिश की गई थी। जांच में पता चला कि वह नकली पैरासिटामोल चीन में बनी थी। निर्यातकों के मुताबिक जांच में दवा में वाकई गड़बड़ी पाए जाने पर भारतीय फार्मा निर्यात की ब्रांडिंग पर असर पड़ेगा।
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