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Indian Extradition Law: देश के भगोड़े गुनहगारों के लिए है प्रत्यर्पण कानून, लंबी है मोस्ट वांटेड की लिस्ट

भागे हुए अपराधियों पर प्रत्यर्पण कानून के तहत देश में वापस लाकर केस चलाया जाता है। भारत में प्रत्यर्पण की कार्यवाही घरेलू कानून और द्विपक्षीय संधियों दोनों के अंतर्गत आती है। प्रत्यर्पण प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला घरेलू कानून प्रत्यर्पण अधिनियम 1962 (प्रत्यर्पण अधिनियम) है।

By Babli KumariEdited By: Published: Sun, 27 Nov 2022 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 03:47 PM (IST)
Indian Extradition Law: देश के भगोड़े गुनहगारों के लिए है प्रत्यर्पण कानून, लंबी है मोस्ट वांटेड की लिस्ट
इन मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्स का प्रत्यर्पण है बाकी

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। अपने देश में अपराध करना या अपने देश से ठगी करना और किसी और देश में भगोड़े की तरह भाग कर रहना यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन देश को ऐसे अपराधी के खिलाफ सजा सुना कर लोगों के बीच संदेश देना होता है कि अपराधी या अपराध चाहे जितना भी बड़ा या खूंखार हो कानून सबके लिए बराबर है और हर गुनाह की सजा मिलती जरूर है।

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इन भागे हुए अपराधियों पर प्रत्यर्पण कानून के तहत देश में वापस लाकर केस चलाया जाता है। प्रत्यर्पण प्रक्रिया को हम ऐसे समझ सकते है कि अगर किसी व्यक्ति ने भारत में अपराध किया हो या फिर देश में हुए किसी भी क्राइम के मामले में वह वांछित है और वह विदेश में जाकर भगोड़े के रूप में रह रहा है तो हम उसे दूसरे देश से अपने देश में लाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाते हैं, इसको ही प्रत्यर्पण कहते हैं।

प्रत्यर्पण प्रक्रिया को नियंत्रित करता है प्रत्यर्पण अधिनियम 1962

भारत में प्रत्यर्पण की कार्यवाही घरेलू कानून और द्विपक्षीय संधियों दोनों के अंतर्गत आती है। प्रत्यर्पण प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला घरेलू कानून प्रत्यर्पण अधिनियम 1962 (प्रत्यर्पण अधिनियम) है। प्रत्यर्पण अधिनियम, लागू द्विपक्षीय संधियों, व्यवस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों के साथ मिलकर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया, नियम और शर्तों को नियंत्रित करता है।

ऐसे मामलों में, सीमा पार अपराधी का पता लगाना, उनकी गिरफ्तारी, प्रत्यर्पण और फिर ट्रॉयल किसी भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। प्रत्येक देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला करना, अपने अधिकारों और दायित्वों को परिभाषित करना और कानून की उचित प्रक्रिया निर्धारित करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। गिरफ्तारी, पूछताछ, आत्मसमर्पण और संदिग्ध व्यक्तियों के स्थानांतरण, ट्रॉयल और सजा...इस उद्देश्य के लिए अधिकांश देशों ने व्यापक प्रत्यर्पण रूपरेखा अपनाई है।

हाल के दिनों में भारत को कई भगोड़ों (नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या आदि) के देश छोड़ने से झटका लगा है। यह लेख विदेशों से भगोड़ों की गिरफ्तारी और उनके स्थानांतरण के संबंध में भारतीय प्रत्यर्पण कानूनों के सिद्धांतों को विस्तार से आपको बताएगा कि आखिर क्यों प्रत्यर्पण इतना जरूरी है और कैसे होती है अन्य देशों के साथ भगोड़ों को वापस भेजने की संधि इत्यादि।

क्या है प्रत्यर्पण

प्रत्यर्पण शब्द का अर्थ किसी व्यक्ति को, यह पता चलने पर कि उसने अपने गृह देश या राज्य में कोई अपराध किया है, वापस उसके देश भेजने से है। उदाहरण के लिए, प्रत्यर्पण तब होता है जब राज्य A को राज्य B से किसी व्यक्ति को राज्य B में वापस करने का अनुरोध प्राप्त होता है, ताकि वह कोर्ट में ट्रॉयल के लिए उपस्थित हो सके।

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प्रत्यर्पण क्यों महत्वपूर्ण है?

कानूनी दृष्टिकोण से, प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगोड़ों को उस देश में मुकदमा चलाने के लिए लाता है जहां उन्होंने अपराध किया है। अपने देश के कानून से बचने के लिए, भगोड़े स्थानीय कानून प्रवर्तन के अधिकार क्षेत्र से बाहर विदेशों में भाग जाते हैं। प्रत्यर्पण यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द न्यायिक प्रक्रिया का अनुपालन कर उचित दंड मिले।

प्रत्यर्पण का कारण क्या है?

प्रत्यर्पण प्रक्रिया सरकारों को विदेशों में भगोड़े लोगों को न्याय दिलाने में सक्षम बनाती है, लेकिन यह मामला कई बार प्रत्यर्पण संधि होने के बाद भी राजनीतिक तनाव से भरा हो सकता है। प्रत्यर्पण संधियां सरकारों को उन अपराधियों को लाने में मदद करती हैं जो अपने देश से भाग गए हैं।

100 करोड़ से ज्यादा का फ्रॉड करके भागे लोग इस कानून के दायरे में

माल्या को एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender–FEO) माना जाता है। बैंकों का कर्ज चुकाए बिना विदेश भागने के एक के बाद एक लगातार कई केस आने के बाद सरकार ने यह कानून लागू किया था। पहले अध्यादेश जारी हुआ था।

संसद की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने इस पर दस्तखत किए थे। 100 करोड़ रुपए या ज्यादा के आर्थिक अपराध इसके तहत आते हैं। जिस शख्स के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो और जो कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश से भाग चुका हो, इस कानून के तहत उसे आर्थिक भगोड़ा माना जाता है। अभियोजन एजेंसी बकाया वसूली के लिए भगोड़े आर्थिक अपराधी की संपत्तियां जब्त कर सकती है।

भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल अनुसूची में 55 आर्थिक अपराधों को सूचीबद्ध करता है जिनमें निम्न शामिल हैं : (i) नकली सरकारी स्टाम्प या करंसी बनाना, (ii) पर्याप्त धन न होने पर चेक का भुनाया न जाना, (iii) बेनामी लेनदेन, (iv) क्रेडिटर्स के साथ धोखाधड़ी वाले लेनदेन करना, (v) टैक्स की चोरी, और (vi) मनी लॉन्ड्रिंग और लेनदारों को गुमराह करने वाली गतिविधियाँ कुछ ऐसे अपराध हैं जो FEO कानून में शामिल हैं। हालांकि, विजय माल्या भारत में एकमात्र FEO नहीं हैं। यहां ऐसे और भी लोग हैं जो उसी श्रेणी में आते हैं।

नीरव मोदी

जौहरी और फैशन डिजाइनर नीरव मोदी पर भारतीय इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग धोखाधड़ी में से एक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से ₹13,000 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। मोदी ने फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) का इस्तेमाल कर भारत में मोतियों का आयात किया। बाद में, यह पता चला कि मोदी के एलओयू भी कानून का उल्लंघन करते हुए मुंबई के फोर्ट में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा द्वारा प्रदान किए गए थे। वह वर्तमान में ब्रिटेन में राजनीतिक शरण मांग कर रह रहा है।

नीशाल मोदी

नीरव मोदी के भाई का नाम नीशाल मोदी है, जिनकी शादी मुकेश और अनिल अंबानी की भतीजी, इशिता सलगांवकर से हुई है। उस पर पीएनबी घोटाले में शामिल होने का भी आरोप है। 2018 में, सीबीआई ने अनुरोध किया कि गृह मंत्रालय उसे बेल्जियम से प्रत्यर्पित कर यहां अपने देश लाए। उसके बारे में कहा जाता है कि वह कई एलओयू और फर्जी कारोबार का लाभार्थी मालिक है। उसने मेहुल चोकसी और नीरव मोदी से दूरी बनाने के लिए 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखा था।

मेहुल चोकसी

नीरव मोदी का चाचा मेहुल चोकसी भी पीएनबी घोटाले का दोषी था। वह रिटेल ज्वैलरी कंपनी गीतांजलि ग्रुप का मालिक था। उस पर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट का आरोप है। 2018 से, वह एंटीगुआ और बारबाडोस में रहता है, जहां का वह अब एक नागरिक है। वह 2021 में देश से गायब हो गया और फिर डोमिनिका में देखा गया।

देश को झकझोर देने वाले हमलों और बम विस्फोटों ने भारत को कई बार दुख पहुंचाया है। गैंगस्टरों और मास्टरमाइंडों ने देश को कई बार तबाह किया है। कई अपराधी अपराध कर दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं और वह भारत की मोस्ट वांटेड गैंगस्टर लिस्ट में शामिल हैं। इन सब पर भी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की जा रही है।

भारत के सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची -

दाऊद इब्राहिम कासकर

भारत में सबसे वांछित अपराधियों में से एक है दाऊद इब्राहिम। 1993 के विनाशकारी मुंबई बम विस्फोट के पीछे इसका हाथ था, जिसमें 350 लोग मारे गए थे और 1200 घायल हुए थे। सबसे बड़ा गैंगस्टर, दाऊद इब्राहिम, एक महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी का बेटा है और कहा जाता है कि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक था। यह भी कहा जाता है कि उसके अल कायदा के पूर्व नेता ओसामा बिन लादेन के साथ घनिष्ठ संबंध थे। इसके अतिरिक्त, वह स्पोर्ट फिक्सिंग के मामले से जुड़े आईपीएल स्कैंडल में भी शामिल था।

सैयद सलाहुद्दीन

कश्मीरी आतंकवादी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन का नेता सैयद सलाहुद्दीन, जो पाकिस्तान समर्थक है और कश्मीर को पाकिस्तान के साथ एकीकृत करना चाहता है, भारत में दूसरा सबसे वांछित अपराधी है और एनआईए की सर्वाधिक वांछित सूची में है। बताया गया है कि सैयद के समूह के संबंध आईएसआई से हैं और उसे पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त है। सैयद सलाहुद्दीन जम्मू और कश्मीर में चल रहे लगातार आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है।

मसूद अजहर

मसूद अजहर भारत में अब तक कई आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है। 13 दिसंबर 2001 को मसूद अजहर ने ही भारतीय संसद पर हमला कराया था। इससे पहले अक्टूबर 2001 में ही उसने जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर भी आतंकी हमला कराया था। 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट में वायुसेना की छावनी पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर ही था। इसके अलावा, पुलवामा में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली थी। ऐसा माना जाता है कि वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है।

भारत की इन देशों के साथ है प्रत्यर्पण संधि

(जानकारी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार)

निष्कर्ष: भारत में विदेशों से अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए व्यापक वैधानिक ढांचे और सुव्यवस्थित तंत्र के बावजूद, वर्ष 2002 से अब तक केवल 65 भगोड़ों को देश में प्रत्यर्पित किया जा सका है। इससे यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया काफी बोझिल और थकाऊ है, जिसे पूरा करने में अक्सर वर्षों लग जाते हैं और कुछ मामलों में तो वह असफल भी रहते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इससे भारत में अपराधों के आरोपी भगोड़े अपराधियों को वर्षों तक गिरफ्तारी और अभियोजन से बचने में सक्षम हो जाते हैं। प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विदेशी राज्यों को भारत को सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित करना और आपसी संबंधों को विश्वासपरक बनाना होगा।

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