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International Women Day: पायलट बनी तो साथी बोलते थे - तुम पटना से रांची के बीच भटक जाओगी

इंदौर में पायलट निवेदिता भसीन (बाएं) इंदौर एयरपोर्ट की डायरेक्टर अर्यमा सान्याल के साथ। 2012 में निवेदिता भारत का पहला ड्रीमलाइनर 787 विमान लेने अमेरिका गई थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:32 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 07:56 AM (IST)
International Women Day: पायलट बनी तो साथी बोलते थे - तुम पटना से रांची के बीच भटक जाओगी
International Women Day: पायलट बनी तो साथी बोलते थे - तुम पटना से रांची के बीच भटक जाओगी

इंदौर, नवीन यादव। 'मैं भारत की तीसरी महिला पायलट थी। 1984 से इंडियन एयरलाइंस ज्वाइन किया था। पुरुष प्रधान समाज में उस समय एक महिला का इस तरह से आगे आना बड़ी बात थी। मेरे साथी पायलट मुझसे कहते थे कि तुमसे नहीं हो पाएगा। जब तुम विमान लेकर पटना से रांची के लिए जाओगी तो भटक जाओगी। लेकिन मैंने उनकी बातों को अनसुना किया और अपनी नजर केवल आकाश पर रखी। 2012 में भारत का पहला ड्रीमलाइनर 787 विमान लेने अमेरिका गई थी। उसे उड़ा कर भारत लाते समय भी मैं जरा भी नर्वस नहीं हुई क्योंकि मैं उन लाखों महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही थी जिनका जीवन रसोईघर में बीत जाता है।

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यह कहना है एयर इंडिया की वरिष्ठ महिला पायलट कैप्टन निवेदिता भसीन का। शनिवार को इंदौर एयरपोर्ट पर आईं निवेदिता ने जागरण के सहयोगी 'नईदुनिया से विशेष चर्चा में कहा, 'मैं स्कूल में खिड़की के पास बैठ आसमान देखती थी तो बड़ा रोमांचक लगता था। अल्फाबेट में भी मैं ए फॉर एप्पल के बजाए ए फॉर एरोप्लेन बोलती थी। मैं खुशकिस्मत रही कि इस लक्ष्य को पा लिया। मैं मात्र 23 साल की उम्र में पायलट बन गई थी। इसके बाद मैंने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। ऐसे ही मुझे पहले कॉकपिट मिला। किचन में मेरा प्रवेश बाद में हुआ। आज भारत में उड्डयन के क्षेत्र में 13 प्रतिशत महिलाएं हैं जो विश्व में सबसे अधिक हैं। मैं चाहती हूं यह प्रतिशत बढ़ कर 20 प्रतिशत हो जाए।

बन गईं 'दादी पायलट, दो साल बाद होंगी रिटायर

देश की सबसे युवा पायलट से 'दादी पायलट" बन चुकी निवेदिता कहती हैं कि मेरे पति और दोनों बच्चे भी पायलट हैं। अब मेरा पोता भी हो गया है। दो साल बाद मैं सेवानिवृत्त भी हो जाऊंगी। लेकिन नौकरी और बच्चों को संभालने के दौरान काफी मुश्किलें भी आईं। कभी बच्चों की पीटीएम मिस की तो कभी बीमार बच्चों को छोड़ कर जाना पड़ा। एक समय आया जब सोचा कि नौकरी छोड़ देती हूं लेकिन फिर सोचा- ऐसे काम नहीं चलेगा।

कई बार की इमरजेंसी लैडिंग

एक पायलट के रूप में आई चुनौतियों के बारे में कैप्टन निवेदिता ने बताया कि करीब दो साल पहले मैं एक विमान को उड़ा रही थी, तभी अचानक एक इंजन में खराबी आ गई। ईंधन सप्लाई पंप में भी कुछ दिक्कत थी। हमने विमान में यात्रियों को सूचना नहीं दी। इसके बाद सीधे एटीसी को जानकारी दी। एटीसी से इमरजेंसी लैडिंग की अनुमति मिलने के बाद जैसे ही हमारा विमान लैंड हुआ, एंबुलेंस और दूसरे वाहनों ने विमान को घेर लिया। तब यात्रियों को पता चला कि विमान में कुछ खराबी आ गई थी।

जो विमान हाईजैक हुआ, उसे चलाने वाली थी

कैप्टन बताती हैं कि 24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया के जिस विमान का अपहरण (कंधार कांड) हुआ था, वह कोलकाता से दिल्ली आकर काठमांडू जाने वाला था। उस दिन मेरी फ्लाइट लेट हो गई थी और उस विमान को कोई दूसरा पायलट उड़ा ले गया। इससे मैं उस विमान में नहीं जा सकी। ज्ञात हो कि 20 साल पुराना कंधार विमान अपहरण कांड अटल सरकार के वक्त हुआ था। 180 से ज्यादा विमान यात्रियों को अपहरण कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। सरकार ने कुछ आतंकियों की रिहाई कर विमान व यात्रियों को मुक्त कराया था।  


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