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जब विधायक ने नहीं सुनी फरियाद तो तमिलनाडु से बस लेकर खुद ही छत्तीसगढ़ पहुंच गई लड़कियां

लड़कियों ने बताया हर बार नेता फोन पर सिर्फ आश्वासन ही देते रहे। आखिरकार हारकर खुद ही लौटने की व्यवस्था करने का निर्णय लिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 12:27 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 12:30 AM (IST)
जब विधायक ने नहीं सुनी फरियाद तो तमिलनाडु से बस लेकर खुद ही छत्तीसगढ़ पहुंच गई लड़कियां
जब विधायक ने नहीं सुनी फरियाद तो तमिलनाडु से बस लेकर खुद ही छत्तीसगढ़ पहुंच गई लड़कियां

जगदलपुर, जेएनएन। तमिलनाडु में फंसी लड़कियों की घर वापसी की गुहार जब विधायक और अन्य नेताओं ने महीने भर में भी नहीं सुनीं तो वे किराये की बस लेकर खुद ही वापस छत्तीसगढ़ आ गई। लड़कियां बस्तर के दरभा और लंजोड़ा स्थित क्वारंटाइन सेंटर में हैं। इन्हें इस बात का गहरा दुख है कि कोंडागांव और बास्तानार विधायक व अन्य कुछ जनप्रतिनिधियों ने घर वापसी के लिए शासन से मदद दिलाने और सार्थक पहल करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन संकट के समय किसी ने मदद नहीं की।

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बास्तानार ब्लाक की चंपा गावड़े ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया को बताया कि मदद मांगने के एक माह तक वह इंतजार में ही तमिलनाडु में एक हॉस्टल में रहीं। उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह सरकार ने राजस्थान के कोटा में फंसे विद्यार्थियों को बसें भेजकर बुलाया है या फिर सुकमा के मंत्री कवासी लखमा ने गोवा में फंसे अपने क्षेत्र के श्रमिकों को लाने के लिए बसें भेजी थीं, उसी तरह उनकी गुहार उनके क्षेत्र के विधायक भी सुन लेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

एक लाख 24 हजार में ली किराए पर बस

लड़कियों ने बताया हर बार नेता फोन पर सिर्फ आश्वासन ही देते रहे। आखिरकार हारकर खुद ही लौटने की व्यवस्था करने का निर्णय लिया। लड़कियों ने बताया कि उन्होंने तमिलनाडु सरकार से ई-पास जारी करने का अनुरोध किया और ऑनलाइन ही एक लाख 24 हजार रुपये में बस किराए पर ली और पांच जून को बस्तर पहुंच गई। 19 जून को इनकी क्वारंटाइन अवधि पूरी होने वाली है।

शासन की पहल पर गई थीं तमिलनाडु

इन 36 लड़कियों ने कौशल उन्नयन कार्यक्रम से जुड़कर सिलाई का प्रशिक्षण लिया है। इन्हें इसी साल प्लेसमेंट के तहत तमिलनाडु के तिरूपुर-पालाडोम जिले के सीआर गारमेंट्स कंपनी ले गई थी। वहां पता चला कि उनके साथ छलावा किया गया है। जिस वेतन और सुविधाओं की बात की गई थी, वहां पहुंचने के बाद कंपनी ने वादे के अनुरूप वेतन और सुविधाएं नहीं दीं।


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