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National Herald Case: क्‍या है नेशनल हेराल्ड केस से जुड़ा मनी लांड्रिंग मामला; कब और कैसे शुरू हुई इसमें अदालती कार्यवाही, जानें सबकुछ

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले (National Herald money laundering case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पूछताछ के लिए तलब किया है। जानें क्‍या है यह मामला और कब किस तरह से शुरू हुई इसमें अदालती कार्यवाही...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2022 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jun 2022 12:16 AM (IST)
National Herald Case: क्‍या है नेशनल हेराल्ड केस से जुड़ा मनी लांड्रिंग मामला; कब और कैसे शुरू हुई इसमें अदालती कार्यवाही, जानें सबकुछ
जानें क्‍या है नेशनल हेराल्‍ड मामला और कब किस तरह से शुरू हुई इसमें अदालती कार्यवाही...

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले (National Herald money laundering case) में ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पूछताछ के लिए समन किया है। सोनिया गांधी को आठ जून को ईडी मुख्यालय में आने को कहा गया है। राहुल गांधी को उससे पहले ही बुलाया गया था, लेकिन उनके विदेश में होने से कोई दूसरी तिथि तय की जा सकती है। जानें क्‍या है यह मामला और कब कब किस तरह से शुरू हुई इसमें अदालती कार्यवाही...

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राहुल और सोनिया से पहली बार पूछताछ

10 साल पुराने मामले में सोनिया और राहुल गांधी से पहली बार पूछताछ होगी। इस मामले में दोनों 2015 से जमानत पर हैं। इसी मामले में ईडी ने हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए इस मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ जरूरी है।

90 करोड़ रुपये का लोन देने का आरोप

इसी सिलसिले में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूछताछ के बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों से नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को पहले कांग्रेस पार्टी की ओर से 90 करोड़ रुपये का लोन देने और बाद में उसे यंग इंडिया को बेचे जाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में पूछताछ की जाएगी।

सुब्रमण्यम स्वामी ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सबसे पहले 2012 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में निजी शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को महज 50 लाख रुपये में खरीदे जाने को अवैध करार देते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत मामले से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

निचली अदालत में यह है मामला

इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपित बनाए गए। मोतीलाल वोरा व आस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है। अब यह मामला वर्तमान में राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है।

ईडी ने स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज किया था मुकदमा

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दाखिल मुकदमे में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए ईडी ने 2014 में एक मामला दर्ज किया था। ईडी ने सिर्फ यह देखने के लिए जांच शुरू की थी कि इस मामले में क्या कोई मनी लां¨ड्रग हुई है? इस दौरान साल 2019 में ईडी ने केस से जुड़ी 64 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली थीं।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची कांग्रेस

इस मामले में आयकर विभाग ने सोनिया और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपितों को पुनर्मूल्यांकन नोटिस दिया था। इसको चुनौती देने वाली सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य की याचिकाओं पर वर्तमान में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में एक याचिका हाई कोर्ट द्वारा नौ सितंबर 2018 को खारिज कर दी थी जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां कोर्ट ने आयकर विभाग की जांच को जारी रखा था और जांच पूरी होने तक कोई भी आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया था।

ऐसे शुरू हुई अदालती कार्यवाही

  • एक नवंबर 2012- पटियाला हाउस कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया
  • 26 जून 2014- महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों के खिलाफ समन जारी किया।
  • एक अगस्त 2014- ईडी ने इस मामले में संज्ञान लिया और मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया।
  • 19 दिसंबर 2015- इस केस में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपितों को दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी
  • 2016- सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को रद करने से इन्कार किया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपितों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी।
  • नौ सितंबर 2018- दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।
  • चार दिसंबर, 2018- हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आयकर की जांच जारी रहेगी

क्या है पूरा मामला

1937 में द एसोसिएट नाम से कंपनी बनाई गई थी, इसके मूल निवेशकों में जवाहरलाल नेहरू समेत 5,000 स्वतंत्रता सेनानी थे। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशन करती थी। धीरे-धीरे कंपनी घाटे में चली गई। कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये का लोन देकर कंपनी को घाटे की उबारने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सकी।

2010 में बनाई गई थी यंग इंडिया के नाम से कंपनी

इसी बीच 2010 में यंग इंडिया के नाम से एक अन्य कंपनी बनाई गई, जिसमें 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास और 12-12 प्रतिशत शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह से असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने अपना सारा शेयर यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडिया ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। 


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