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I2U2 Summit 2022 बढ़ा सकता है चीन की धड़कनें, जानें क्‍या है I2 और U2 के मायने, जानें कुछ रोचक तथ्‍य

PM Modi Address I2U2 Summit 2022 भारत के पीएम नरेन्‍द्र मोदी आज I2U2 Summit के पहले वर्चुअल मीट में हिस्‍सा ले रहे हैं। इस संगठन का रणनीतिक महत्‍व है। यही वजह है कि इसको वेस्‍ट एशिया क्‍वाड कहा जाता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2022 09:15 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 09:37 AM (IST)
I2U2 को West Asia Quad भी कहते हैं।

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। I2U2 को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM address I2U2) संबोधित करने वाले हैं। भारत के लिए इस संगठन के बेहद खास मायने हैं। आपको बता दें कि इस संगठन को वेस्ट एशियन क्वाड भी कहा जाता है। Abraham Accord के तहत इस संगठन का गठन अक्टूबर 2021 में इजरायल और यूएई के बीच इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, परिवहन और इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर में आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर किया गया था। मौजूदा समय में इसको इंटरनेशनल फोरम फार इकोनॉमिक कॉरपोरेशन कहा जाता है। अमेरिका, इजरायल और यूएई के बीच अब्राहम एकॉर्ड को 13 अगस्‍त 2020 को साइन किया गया था।  

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भारत इसका सबसे नया सदस्‍य

भारत, इजरायल, यूएई और अमेरिका इस संगठन के सदस्य हैं। इसका इस संगठन में I2 का अर्थ भारत और इजरायल से है, जबकि U2 का अर्थ अमेरिका और यूएई से है। इसको यदि समझा जाए तो ये इन चारों देशों में आपसी संबंधों को बताने के लिए काफी हैं। जैसे यूएई और अमेरिका के बीच और भारत और इजरायल के बीच संबंध काफी बेहतर हैं।

ये राष्‍ट्राध्‍यक्ष लेंगे वर्चुअल मीट में हिस्‍सा

आज इस संगठन का पहला वर्चुअल मीट है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के अलावा, अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन, इजरायल के राष्‍ट्रपति नफताली बेनेट और यूनाइटेड अरब अमीरात के राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद बिन जायद अल नाह्यान भाग ले रहे हैं। व्‍हाइट हाउस के मुताबिक ये संगठन अमेरिका के विश्‍व में सहयोग के प्रति अग्रसर है।

बदलते भूराजनीतिक बदलावों को देखते हुए काफी अहम

भूराजनीतिक बदलावों को देखते हुए भी इस संगठन का महत्‍व काफी बढ़ जाता है। ये संगठन न केवल इसके सदस्‍यों के बीच आपसी सहयोग की मजबूती की तरफ इशारा करता है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी समूचे विश्‍व में और खासतौर पर एशिया में हो रहे रणनीतिक बदलावों को लेकर भी आपसी सहयोग को दर्शाता है। यही वजह है कि इस संगठन का जोर खासतौर पर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को लेकर है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि इसके केंद्र में कहीं न कहीं चीन की बढ़ती राजनीतिक और रणनीतिक महत्‍वाकांक्षा ही है। इसको रोकने के लिहाज से भी ये संगठन काफी अहम है। यही वजह है कि आस्‍ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच बने क्‍वाड की ही तरह चीन इस संगठन को भी देखता है। इस पर ड्रैगन की पूरी नजर रहने वाली है।  

टेक्‍नालाजी हब बनने की तरफ भारत यूएई

एक तरफ जहां इजरायल और अमेरिका तकनीक के क्षेत्र में पहले से ही कहीं आगे हैं। वहीं, भारत और यूएई टेक्‍नोलाजी हब बनने की तरफ लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इन चारों देशों में बायोटेक्‍नालाजी के क्षेत्र में भी काफी कुछ किया जा रहा है। इतना ही नहीं इस संगठन के तहत फूड सिक्योरिटी को लेकर भी आपसी सहयोग काफी मजबूत है।

कंज्‍यूमर मार्केट के रूप में भारत विश्‍व का सिरमौर

बात चाहे टेक्‍नालाजी की हो या फिर ट्रेड की या क्‍लाइमेट चेंज या कोरोना महामारी से लड़ने की, सभी में इस संगठन के चारों देशों ने आपसी सहयोग में काफी आगे बढ़कर काम किया है। भारत को अब्राहम एकॉर्ड के तहत इस संगठन का सदस्‍य बनने का फायदा भी मिला है। बता दें कि भारत कंज्‍यूमर मार्केट के क्षेत्र में दुनिया भर में सबसे पहले गिना जाता है। पूरे विश्‍व की नजर भारत की इस मार्केट पर है। इसको देखते हुए हुए भी भारत को इस संगठन का सहयोग मिला है। भारत को इसका सदस्‍य बनने से न केवल दूसरे देशों का राजनीतिक सहयोग हासिल हुआ है, बल्कि सोशल अलायंस के तौर पर भी फायदा हुआ है। हालांकि, भारत पहले से ही इजरायल का एक मजबूत सहयोगी है। वहीं, यदि बीते सात वर्षों की बात की जाए अमेरिका से भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं।


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