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जानिए, क्या है ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन? इसका प्रयोग जीडीपी की गणना में कैसे होता है

जीएफसीएफ के आंकड़े का इस्तेमाल देश के जीडीपी की गणना के लिए किया जाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 06:37 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 06:37 PM (IST)
जानिए, क्या है ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन? इसका प्रयोग जीडीपी की गणना में कैसे होता है
जानिए, क्या है ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन? इसका प्रयोग जीडीपी की गणना में कैसे होता है

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं हैं क्योंकि 'ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन' (जीएफसीएफ) वित्त वर्ष 2013-14 में 31.3 प्रतिशत से घटकर बीते चार साल में 28.5 प्रतिशत के आस-पास ही स्थिर है। 'ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन' क्या है? यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? 'जागरण पाठशाला' के इस अंक में हम यही जानने का प्रयास करेंगे।

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'ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन' (जीएफसीएफ) यानी 'सकल स्थायी पूंजी निर्माण' सरकारी और निजी क्षेत्र के फिक्स्ड असेट पर किए जाने वाले शुद्ध पूंजी व्यय का एक आकलन है। फिक्स्ड असेट्स से आशय ऐसी मूर्त/अमूर्त परिसंपत्तियों से है जिन्हें एक साल से अधिक समयावधि तक लगातार या कभी-कभार इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। इसमें किसी कंपनी, सरकार या स्थानीय निकाय ने एक साल या तिमाही में मशीनरी, वाहन, सॉफ्टवेयर, नई रिहायशी इमारतें और अन्य बिल्डिंग तथा सड़क निर्माण पर कितना पूंजीगत व्यय शामिल है। इस तरह जीएफसीएफ से यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में फिजीकल असेट जैसे मशीनरी या बिल्डिंग जैसी स्थाई पूंजी के निर्माण पर हो रहे खर्च में कितना उतार-चढ़ाव आ रहा है।

दरअसल किसी भी देश को समय के साथ-साथ वस्तुओं के उत्पादन या सेवा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल की जा रही मशीनरी या अन्य तरह की कैपिटल गुड्स को बदलने की आवश्यकता पड़ती है। अगर वह देश पुरानी मशीनरी की जगह नई मशीनरी नहीं खरीदेगा या उसमें सुधार नहीं करेगा तो उत्पादन का स्तर गिर जाएगा जिससे अंतत: उस देश के विकास की रफ्तार थम जाएगी। इसीलिए यह माना जाता है कि अगर किसी देश में 'ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन' तीव्र गति से हो रहा है तो उस देश के विकास की रफ्तार भी अधिक होगी। वास्तव में यह अर्थव्यवस्था में निवेश के स्तर का सूचक है।

जीएफसीएफ के आंकड़े का इस्तेमाल देश के जीडीपी की गणना के लिए किया जाता है। असल में जीडीपी की गणना जब व्यय आधार पर होती है तो उसमें सार्वजनिक और निजी उपभोग के साथ-साथ जीएफसीएफ एक अहम भाग होता है। हमारे देश में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) जब हर तिमाही या पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी करता है तो वह यह भी बताता है कि उक्त अवधि में जीडीपी का कितना हिस्सा जीएफसीएफ के रूप में आया। इसीलिए इसे जीडीपी के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है।

उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2017-18 में प्रचलित मूल्यों (करेंट प्राइसेस) पर जीएफसीएफ की दर 28.5 प्रतिशत थी। वैसे जब जीएफसीएफ के एक साल के आंकड़ों की दूसरे साल से तुलना स्थिर मूल्यों (कंस्टेंट प्राइसेज) पर की जाती है ताकि मुद्रास्फीति के प्रभाव को दूर किया जा सके।

यहां यह समझना भी जरूरी है कि जीडीपी के आंकड़ों में 'ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन' दो प्रकार का होता है। पहला मशीनरी या उपकरणों के रूप में और दूसरा कंस्ट्रक्शन के रूप में। मशीनरी नई या सेंकेंड हेंड भी हो सकती है। मशीनरी में सभी प्रकार की इलेक्टि्रक और नॉन इलेक्ट्रिक मशीनरी जैसे एग्रीकल्चर मशीनरी, पावर जनरेटिंग मशीनरी, डेयरी के लिए मवेशी, ऊन के लिए पाले जाने वाले जानवर शामिल हैं।

सभी पंजीकृत और गैर-पंजीकृत मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों में बनने वाली कैपिटल गुड्स तथा विदेश से आयात होने वाली कैपिटल गुड्स के मूल्य को जीएफसीएफ में शामिल किया जाता है। इसी तरह कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में हाइवे, ब्रिज, रेल मार्ग, एयरपोर्ट, पार्किंग एरिया, बांध, सिंचाई के साधन, जल और विद्युत परियोजनाएं, संचार के साधन, चाय, रबर, कॉफी या अन्य बागवानी फसलों के लिए नए बागान निमार्ण के काम भी शामिल हैं।


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