Move to Jagran APP

जानिए, क्या हैं जेनेटिक्स के चौंकाने वाले नतीजे?

जेनेटिक्स यानी जीवों के जीन के आधार पर जानकारियां हासिल करना।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 09:02 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 09:03 PM (IST)
जानिए, क्या हैं जेनेटिक्स के चौंकाने वाले नतीजे?
जानिए, क्या हैं जेनेटिक्स के चौंकाने वाले नतीजे?

जेएनएन, नई दिल्ली। जेनेटिक्स यानी जीवों के जीन के आधार पर जानकारियां हासिल करना। विज्ञान की इस शाखा की मदद से लोगों में गंभीर व आनुवांशिक बीमारियों के खतरे का पता लगाना संभव हुआ है, लेकिन हाल ही में जेनेटिक्स के नतीजों पर एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जेनेटिक्स बेहद विस्तृत क्षेत्र है। आज वैज्ञानिक जीन में जिस बदलाव यानी म्यूटेशन को सामान्य मान रहे हैं, संभव है कि कुछ समय बाद वही म्यूटेशन किसी गंभीर बीमारी की वजह बनकर सामने आए।

loksabha election banner

वैज्ञानिकों ने कहा, अंतिम नहीं हैं जेनेटिक्स से मिले निष्कर्ष

एक डायग्नोस्टिक फर्म मायराइड जेनेटिक्स ने 14.5 लाख ऐसे मरीजों के डाटा का अध्ययन किया, जिनकी जेनेटिक जांच 2006 से 2016 के बीच हुई थी। अध्ययन का उद्देश्य यह जानना था कि जेनेटिक्स से मिले नतीजों का निष्कर्ष हमेशा एक जैसा रहता है या नहीं। अध्ययन में पाया गया कि करीब 60,000 लोग ऐसे थे जिनके बारे में प्रारंभिक निष्कर्ष गलत साबित हो चुके थे।

कब पड़ती है जेनेटिक जांच की जरूरत

आमतौर पर चिकित्सक ऐसे मामलों में जेनेटिक जांच की सिफारिश करते हैं, जहां परिवार में हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कैंसर जैसी बीमारियों का इतिहास होता है। मरीज के खून या लार का सैंपल प्रयोगशाला में भेजा जाता है और उसके जीन में किसी अव्यावहारिक बदलाव की जांच की जाती है। मरीज के जीन के म्यूटेशन की तुलना विभिन्न शोध में बीमारियों का कारण पाए जा चुके म्यूटेशन से की जाती है। इसी आधार पर चिकित्सक निष्कर्ष देते हैं। कुछ मरीजों को कह दिया जाता है कि उनके जीन में कोई घातक म्यूटेशन नहीं है। वहीं कुछ मरीजों के किसी संदिग्ध जीन में कुछ अलग म्यूटेशन पाया जाता है, जो किसी बीमारी का कारण बन सकता है।

क्या होता है अगला कदम?

जेनेटिक जांच के बाद यदि मरीज में किसी बीमारी की आशंका वाले म्यूटेशन दिखते हैं, तो डॉक्टर उसी के अनुरूप कदम उठाते हैं। कई बार बचाव में कुछ दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, या फिर मरीज को खानपान से लेकर विभिन्न आदतों में बदलाव की नसीहत दी जाती है। जेनेटिक जांच की सुविधा ने कई गंभीर और आनुवांशिक बीमारियों से लोगों को समय रहते बचने में मदद की है।

क्या कहते है नया अध्ययन?

वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी व्यक्ति की जीन संरचना में कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन किसी डीएनए और बीमारी के बीच के संबंध को लेकर वैज्ञानिकों की जानकारी में हर रोज नए तथ्य जुड़ रहे हैं। संभव है कि किसी मरीज में जिस म्यूटेशन को आज सामान्य कहा गया हो, कुछ समय बाद वही म्यूटेशन किसी गंभीर बीमारी का कारण बनकर सामने आए। वहीं ऐसा भी हो सकता है कि जिस म्यूटेशन को खतरनाक माना गया हो, वह अंत में सामान्य निकले।

क्या हो सकता है असर?

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्तन कैंसर या आंत के कैंसर जैसी कुछ आम हो चुकी बीमारियों की वजह बनने वाले म्यूटेशन को लेकर कोई संदेह नहीं है। वैज्ञानिकों ने कई म्यूटेशन की पहचान कर ली है और उनको लेकर निष्कर्ष में बदलाव की आशंका नहीं है, लेकिन मरीज के जीन में मिलने वाले ऐसे म्यूटेशन जिन पर अभी व्यापक शोध नहीं हुआ है, उनको लेकर निष्कर्ष बदल सकते हैं। ऐसे में मरीजों को समय-समय पर जेनेटिक जांच के नतीजों की समीक्षा की सलाह दी जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.