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Weather Update Today: मार्च से मई तक सताएगी गर्मी, लू से लाल रहेंगे महाराष्ट्र-ओडिशा समेत कई राज्य

Weather Update Today मौसम विभाग ने कहा कि देश में मार्च में सामान्य से अधिक वर्षा (दीर्घकालिक औसत 29.9 मिलीमीटर से 117 प्रतिशत से अधिक) हो सकती है।विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में मार्च से मई के बीच अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Fri, 01 Mar 2024 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2024 11:26 PM (IST)
Weather Update Today: मार्च से मई तक सताएगी गर्मी (File Photo)

पीटीआई, नई दिल्ली। मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को बताया कि देश में इस वर्ष गर्मी के मौसम की शुरुआत काफी अधिक गर्म रहने की संभावना है और गर्मी मार्च से लेकर मई तक सताएगी। इस पूरे मौसम के दौरान अल-नीनो की परिस्थितियां बने रहने का अनुमान है। विभाग ने कहा कि उत्तर-पूर्व प्रायद्वीपीय भारत- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तरी अंदरूनी कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं ओडिशा के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक दिनों तक लू चलने का अनुमान है।

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विभाग ने कहा कि देश में मार्च में सामान्य से अधिक वर्षा (दीर्घकालिक औसत 29.9 मिलीमीटर से 117 प्रतिशत से अधिक) हो सकती है।विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में मार्च से मई के बीच अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।

मार्च में उत्तर और मध्य भारत में लू चलने की संभावना नहीं है। महापात्रा ने कहा कि अल नीनो (मध्य प्रशांत महासागर में समुद्री जल के नियमित अंतराल पर गर्म होने की स्थिति) की स्थितियां गर्मी के पूरे मौसम में बनी रहेंगी और उसके बाद उदासीन स्थिति बन सकती है। ला-नीना की स्थितियां मानसून के उत्तरार्ध में बनने की संभावना है।

यह आमतौर पर भारत में अच्छी मानसूनी वर्षा से संबंधित है। महापात्रा ने यह भी बताया कि फरवरी में देश का औसत न्यूनतम तापमान 14.61 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया जो 1901 के बाद इस माह का दूसरा अधिकतम तापमान है। फरवरी में कुल आठ पश्चिमी विक्षोभों (भूमध्यसागरीय क्षेत्र और उससे आगे उत्पन्न होने वाले चक्रवाती तूफान) ने पश्चिमी हिमालयी राज्यों के मौसम को प्रभावित किया। इनमें से छह सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ थे जिनकी वजह से उत्तर एवं मध्य भारत के मैदानी इलाकों में वर्षा और ओलावृष्टि हुई।


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