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अब बेल विधि से उपजेंगे तरबूज, नई तकनीक के बारे में किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित

सामान्यतः नदियों के किनारे की जाने वाली खेती को आसान करने के लिए यह अनोखा तरीका निकाला गया है। इससे इस खेती की लागत भी कम होगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 03:14 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 03:27 PM (IST)
अब बेल विधि से उपजेंगे तरबूज, नई तकनीक के बारे में किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तरबूज और खरबूज की खेती में वृद्धि के लिए नए प्रयोग हो रहे हैं। कम जगह और साधन-संसाधन की कमी के साथ-साथ पानी की उपयोगिता को देखते हुए इन फलों की खेती अलग तरीके से की जा रही है। आमतौर पर जमीन पर ही बढ़ने वाले इन फलों को यहां बेलों पर लटकते हुए देखा जा सकता है।

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सामान्यतः नदियों के किनारे की जाने वाली खेती को आसान करने के लिए यह अनोखा तरीका निकाला गया है। इससे इस खेती की लागत भी कम होगी, वहीं पानी के समूचित प्रयोग से उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। समान्यतः पानी के प्रचुर मात्रा में होने वाली इस खेती को आधुनिक रूप देकर कम पानी में किया जा रहा है। इसके साथ ही रायपुर संभाग के आस-पास के किसानों को इस नई तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

उत्पादन में होगी वृद्धि

इस आधुनिक प्रयोग से किसानों के उत्पादन मे वृद्घि होगी। नदियों के किनारे व आसपास लगे खेतों में होने वाली फसल को अब खेतों में भी आसानी से उपजाया जा सकता है। वहीं बेल रूपी संरचना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जमीन में पड़े होने से बहुत से फसल नष्ट हो जाते हैं, लेकिन इस विधि से फसल के नुकसान से बचा जा सकता है।

बढ़ेगी किसानों की आय

बेल रूपी उत्पादन से किसानों की आय में दोगुना वृद्घ होगी। इसका सबसे बड़ा कारण है मानव संसाधन की आवश्यकता कम हो जाएगी। इसके अलावा फसल में लगने वाली बीमारी को आसानी से परखा जा सकता है। समय रहते फसल में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। फसल के तोड़ने और सही जगह पर पहुंचाने के लिए बेल विधि सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी।

ये होंगे फायदे

- मजदूरी की समस्या से निजात मिलेगी

- फसलों की देख-रेख में आसानी होगी

- कम पानी में खेती होगी

- फसल को तोड़ने में आसानी होगी

'विश्वविद्यालय में किसानों के खरबूज और तरबूज के उत्पादन में वृद्घि के लिए यह प्रयोग किया गया है। इसका किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसे विश्वविद्यालय ने आधुनिक खेती में शामिल किया है।'

- डॉ. जे पी शर्मा, कृषि फार्म प्रभारी, इंदिरा गांधी कृषि विवि 


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