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EXCLUSIVE: 30 वर्षों में नदियों में बढ़ा पानी, फिर करोड़ों लोग प्यासे; जानें- क्या है वजह

दो दशक बाद केंद्रीय जल आयोग के ताजा अध्ययन पर जारी हुई रिपोर्ट। भारत में 1999.20 बिलियन क्यूबिक मीटर है कुल जल उपलब्धता। गंगा बेसिन में पानी की उपलब्धता घटकर 509 बीसीएम हुई।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 11:32 AM (IST)
EXCLUSIVE: 30 वर्षों में नदियों में बढ़ा पानी, फिर करोड़ों लोग प्यासे; जानें- क्या है वजह
EXCLUSIVE: 30 वर्षों में नदियों में बढ़ा पानी, फिर करोड़ों लोग प्यासे; जानें- क्या है वजह

नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। कई जिलों में गहराते जल संकट के बीच राहत की खबर यह है कि भारत में जल उपलब्धता बढ़कर 1999.20 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) हो गई है। हालांकि गंगा बेसिन में जल उपलब्धता घटी है और यह 525.02 बीसीएम से घटकर 509.52 बीसीएम पर आ गई है। खास बात यह है कि गंगा बेसिन के प्रवाह क्षेत्र में भी कमी आई है।

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यह अहम जानकारी केंद्रीय जल आयोग की ताजा रिपोर्ट से मिली है। ‘रिअसेसमेंट ऑफ वाटर अवेलेबिलिटी इन इंडिया यूजिंग स्पेस इनपुट्स’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट बुधवार को जारी हुई है। इसमें सेटेलाइट का सहारा लेकर वर्ष 1985 से 2015 तक के आंकड़ों के आधार पर देश में जल की उपलब्धता का आकलन किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल जल उपलब्धता 1999.20 बीसीएम है। इससे पूर्व 1993 में भी जल उपलब्धता का आकलन किया गया था और उस समय यह 1869.35 बीसीएम बताई गई थी। इस तरह ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में उपलब्ध जल पहले से अधिक है।

गंगा बेसिन में कम हुआ जल

एक बीसीएम में एक हजार अरब लीटर होता है। सीडब्ल्यूसी के ताजा अध्ययन के अनुसार गंगा बेसिन में जल उपलब्धता 509.52 बीसीएम बताई गई है जो 1993 में 525.02 बीसीएम थी। अर्थात गंगा बेसिन में जल उपलब्धता में 16 बीसीएम की कमी आई है। गंगा बेसिन में जल उपलब्धता में कमी क्यों आई है, इस बारे में रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है।

हालांकि, यह जरूर बताया गया है कि 1985-2015 की अवधि में गंगा बेसिन में औसतन 914 बीसीएम बारिश हुई जबकि 1965-1984 की अवधि में गंगा बेसिन में 947 बीसीएम बारिश हुई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि गंगा बेसिन में जल उपलब्धता घटने की वजह बारिश में कमी आना है।

गंगा बेसिन का क्षेत्रफल भी कम हुआ है

केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवी पांड्या का कहना है कि हाल के वर्षो में जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान बढ़ने से वाष्पीकरण होने तथा भूजल के अतिदोहन के चलते जल की उपलब्धता पर असर पड़ा है। नये अध्ययन के अनुसार, गंगा बेसिन का प्रवाह क्षेत्र यानी कैचमेंट एरिया भी 8,38,803 वर्ग किलोमीटर होने का अनुमान है। वर्ष 1993 में गंगा बेसिन का प्रवाह 8,61,452 वर्ग किलोमीटर बताया गया था।

नई रिपोर्ट के अनुसार गंगा बेसिन का क्षेत्रफल भी कम हुआ है। गंगा बेसिन में गंगा, यमुना, गोमती और रामगंगा सहित कई नदियां शामिल हैं। नये अध्ययन के अनुसार ब्रहमपुत्र बेसिन में भी जल उपलब्धता 527.28 बीसीएम बताई गई है, जो 1993 में 537 बीसीएम बताई गई थी। बराक नदी बेसिन में जल उपलब्धता, पूर्व के अनुमान की अपेक्षा ताजा अध्ययन में अधिक बताई गई है।

फिर क्यों गहरा रहा जल संकट

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पानी की कमी नहीं है, लेकिन उपेक्षा और जल संसाधन विकास परियोजनाओं की निगरानी के अभाव के चलते देश के कई इलाकों को आज पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस क्षेत्र को ऐसे ही नजरंदाज किया गया तो भविष्य में पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार देश में भले ही जल उपलब्धता बढ़ी हो, लेकिन नदियों के प्रवाह क्षेत्र में कमी आई है। मतलब नदियों का पानी पहले के मुकाबले कम क्षेत्र में पहुंच रहा है। यही वजह है कि देश के उन इलाकों में लोगों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है, जहां नदियों का पानी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं दूसरी तरफ नदियों में पानी बढ़ने से बारिश के दौरान कई इलाकों में लोगों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ता है।

क्यों कम हुआ प्रवाह क्षेत्र

नदियों का प्रवाह क्षेत्र कम होने के लिए विशेषज्ञ अंधाधुंध और अनियोजित तरीके से बढ़ते शहरीकरण को मानते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बहुत सी जगहों पर नदियों के किनारे अतिक्रमण हो रखा है। कुछ जगह पर अतिक्रमण की वजह से नदी का बहाव लगभग खत्म हो चुका है। नदियों पर बनाए जा रहे बांध भी प्रवाह क्षेत्र के कम होने की मुख्य वजहों में शामिल है। इसके अलावा नदियों की नियमित सफाई न होना भी उसके प्रवाह क्षेत्र को कम करने की बड़ी वजह है।

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