Move to Jagran APP

जल संरक्षण : सीवेज के पानी से हरी भरी हो रही कॉलोनी

पानी की कीमत समझ लगाया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, अब नगर निगम को देते हैं 50 हजार लीटर पानी प्रतिदिन पानी

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 09:46 AM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 09:46 AM (IST)
जल संरक्षण : सीवेज के पानी से हरी भरी हो रही कॉलोनी
जल संरक्षण : सीवेज के पानी से हरी भरी हो रही कॉलोनी

ग्वालियर [दीपक सविता]। पानी अनमोल है, इसे बचाना बेहद जरूरी है। हम इसे पैदा तो नहीं कर सकते, लेकिन बचा जरूर सकते हैं। इसी प्रेरणा से ग्वालियर की कॉलोनी मुकुंद कृष्ण सिटी के लोगों ने 300 परिवारों के सीवेज को साफ करने के लिए स्वयं के खर्च पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया। इससे प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लीटर पानी शुद्ध किया जा रहा है। इसी पानी से नगर निगम प्रतिदिन शहर के पार्को व डिवाइडरों पर लगे पौधों की सिंचाई कर रहा है। वहीं इसी पानी से कॉलोनी में भी 1500 पौधों को सींचा जा रहा है।

loksabha election banner

शहर में भू-जलस्तर लगातार गिरते हुए कहीं-कहीं पर 500 फीट की गहराई तक पहुंच चुका है। वहीं शहर की जल आपूर्ति का प्रमुख स्नोत तिघरा बांध भी खाली होने की कगार पर है, लेकिन यह पहल करने वाली मुकुंद कृष्ण सिटी का भू-जलस्तर आज भी 100 फीट पर यथावत है।

इसका कारण है कि कॉलोनीवासियों ने कॉलोनी में जगह-जगह वाटर हार्वेस्टिंग (जल संचयन) कराई। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पानी को साफ कर उसका पीएच (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन) स्तर-7 पर ले जाया जाता है। इसके बाद इसमें से प्रतिदिन 50 हजार लीटर पानी नगर निगम के उद्यान विभाग को दिया जाता है।

यह है पीएच-7 स्तर

शुद्ध जल को तटस्थ (न्यूट्रल) माना जाता है। 25 डिग्री सेल्सियस पर शुद्ध जल का पीएच 7 के आसपास होता है। 7 से कम पीएच वाले पानी के सॉल्यूशन को अम्लीय और 7 से अधिक वाले को क्षारकीय या क्षारीय कहा जाता है। चिकित्सा शास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र, खाद्य विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, समुद्र विज्ञान व कई अन्य अनुप्रयोगों में पीएच-7 के मापन का बहुत महत्व है।

पूरी प्रणाली भूमिगत है

पांच हेक्टेयर में बनी इस कॉलोनी में सीवेज के पानी को एकत्रित करने के लिए पूरी प्रणाली भूमिगत है। इसके लिए कई स्थानों पर टैंक बनाए गए हैं। इन टैंकों में पानी एकत्रित होने के बाद सीधा ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। वहां से पानी को साफ कर दूसरे टैंक में भेजा जाता है।

साफ किए पानी से ही चलता है फव्वारा

प्रदूषण को कम करने के लिए कई स्थानों पर फव्वारे भी लगाए गए हैं। इन फव्वारों के टैंक में भी सीवेज का साफ किया गया पानी भरा जाता है। इसी पानी से पूरे समय यह फव्वारे चलते हैं।

कॉलोनी में वाटर हार्वेस्टिंग का नेटवर्क

बारिश के पानी को बचाने के लिए सिटी में पूरा नेटवर्क बनाया गया है। पानी जमीन के अंदर फिल्टर होकर जाए, इसके लिए 20 स्थानों पर वाटर हार्वेस्टिंग किट लगाई गई हैं। इस कारण कॉलोनी का भूजल स्तर हमेशा 100 फीट के आसपास बना रहता है।

पानी को बचाने के लिए हमने रहवासियों के साथ मिलकर पूरा सिस्टम तैयार किया है। इसमें 1.5 करोड़ का खर्च आया है, लेकिन आज हम पानी के मामले में न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि नगर निगम को भी सप्लाई कर रहे हैं। जल्द ही हम बहुत बड़े पैमाने पर पौधरोपण भी करने जा रहे हैं।

-राघवेंद्र अवस्थी, डायरेक्टर, मुकुंद

कृष्ण सिटी

मुकुंद कृष्ण सिटी से उद्यान विभाग द्वारा सीवेज का फिल्टर किया हुआ पानी लाकर उसे शहर में पौधों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है।

-मुकेश बंसल, नोडल अधिकारी, पार्क

विभाग, नगर निगम 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.