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कांग्रेस में खटपट की जंग हुई तेज, सिब्बल के खिलाफ मैदान में उतरे हाईकमान समर्थक नेता

सिब्बल की आलोचना और हाईकमान के बचाव में उतरे नेताओं में उन वरिष्ठ नेताओं में से कोई नहीं है जो पहले कार्यशैली पर आवाज उठा चुके हैं। जाहिर है कि कांग्रेस में शुरू हुए खटपट के इस दौर के जल्द थमने के आसार नहीं हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 07:18 AM (IST)
कांग्रेस में खटपट की जंग हुई तेज, सिब्बल के खिलाफ मैदान में उतरे हाईकमान समर्थक नेता
अधीर रंजन, खुर्शीद, राजीव शुक्ला ने सिब्बल को लिया आडे हाथ।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की ओर से नेतृत्व पर उठाए सवालों ने कांग्रेस में एक बार फिर भारी खटपट पैदा कर दी है। कांग्रेस की सियासी दशा सुधारने को लेकर नेतृत्व की उदासीनता पर उठाए सिब्बल के सवालों को थामने के लिए कांग्रेस हाईकमान के समर्थक नेता खुलकर मैदान में उतर गए हैं।

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अधीर रंजन, खुर्शीद, राजीव शुक्ला ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए हाईकमान का किया बचाव 

इन नेताओं ने जवाबी हमला करते हुए उलटे सिब्बल की घेरेबंदी की और गांधी परिवार के नेतृत्व के प्रति अपने मजबूत समर्थन का इजहार किया। लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और सलमान खुर्शीद, राजीव शुक्ला से लेकर युवा ब्रिगेड के सांसद मणिक्कम टैगोर ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए हाईकमान का बचाव किया।

कांग्रेस अध्यक्ष की सलाहकार समिति की बैठक: चुनावी हार से इतर किसान आंदोलन पर हुई चर्चा

वहीं कांग्रेस में अंदरूनी खटपट के तेज हुए इस नये दौर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष की मदद के लिए बनी छह सदस्यीय सलाहकार समिति की मंगलवार को एक अहम बैठक हुई। हालांकि इसमें बिहार चुनाव की हार की बजाय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में चलाए जा रहे आंदोलन की आगे की रूपरेखा पर ज्यादा चर्चा हुई। कांग्रेस में नेतृत्व की शैली और संगठन की चाल-ढाल की कमजोरी को लेकर बीते अगस्त में 23 नेताओं की ओर से लिखे गए पत्र विवाद के बाद सोनिया गांधी ने इस समिति का गठन किया था। पार्टी सूत्रों ने कहा कि सिब्बल का ताजा बयान चर्चा के दायरे में नहीं था।

अधीर रंजन ने कहा- सोनिया और राहुल पर सवाल नहीं उठाया जा सकता

कांग्रेस पार्टी आधिकारिक तौर पर सिब्बल के उठाए सवालों पर बोलने से परहेज कर रही है मगर पार्टी नेता अब एक-एक कर हाईकमान के मुखर समर्थन में उतरने लगे हैं। अधीर रंजन चौधरी ने तो सीधे सिब्बल को आइना दिखाते हुए कहा कि अगर पार्टी को लेकर उनकी चिंता इतनी ही गहरी है तो उन्होंने खुद इस दिशा में क्या जिम्मेदारी निभाई है। 2019 चुनाव के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया और गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पार्टी की कमान सौंपने की पेशकश की। अधीर ने निशाना साधते हुए कहा कि सोनिया और राहुल गांधी के इरादों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता और एसी कमरे में बैठकर उपदेश देने की बजाय सिब्बल को मैदान में उतरकर काम करना चाहिए।

खुर्शीद ने कहा- हमें लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए

इसी तरह सलमान खुर्शीद ने सिब्बल का नाम लिए बिना फेसबुक पर अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर की पंक्तियों के सहारे हाईकमान पर निशाना साधने वालों को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी। उन्होनें कहा कि यदि मतदाता कांग्रेस के उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे तो सत्ता का शार्ट कट रास्ता खोजने की जगह हमें लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। वैसे सिब्बल के उठाए सवालों से पार्टी सांसद विवेक तन्खा और काíत चिदंबरम ने सहमति जताई थी।

राजीव शुक्ल ने कहा- राहुल ने आमलोगों की लड़ाई लड़ी है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई

इसी तरह पार्टी नेता राजीव शुक्ल ने गांधी परिवार के समर्थन में उतरते हुए कहा कि राहुल गांधी ने हमेशा आमलोगों की लड़ाई लड़ी है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है। इतना ही नहीं वे विपक्ष की एकलौती निडर आवाज भी हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री पार्टी दिग्गज अशोक गहलोत ने तो पहले ही दिन सिब्बल के सवालों को खारिज कर दिया था। पर यह भी ध्यान देने योग्य है कि सिब्बल की आलोचना और हाईकमान के बचाव में उतरे नेताओं में उन वरिष्ठ नेताओं में से कोई नहीं है जो पहले कार्यशैली पर आवाज उठा चुके हैं। जाहिर है कि कांग्रेस में शुरू हुए खटपट के इस दौर के जल्द थमने के आसार नहीं हैं।


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