बाल विवाह को मजबूर हुई दक्षिण एशियाई लड़कियां, बेबसी में मां-बाप ले रहे ऐसा फैसला
COVID-19 Impact कोरोना वायरस ने दक्षिण एशियाई परिवारों की मासूम बच्चियों के बाल विवाह की परंपरा को एक बार फिर शुरू करने को मजबूर कर दिया है।
नई दिल्ली, एएफपी। इंडोनेशिया से लेकर भारत, पाकिस्तान और वियतनाम में बाल विवाह लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन शिक्षा और महिलाओं की स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के बाद इसके आंकड़े म हो रहे थे। लेकिन कोरोना वायरस ने इस विकास को एक झटके में खत्म कर दिया। पिछले साल चीन के वुहान से शुरू हुए घातक वायरस के कारण लोगों की नौकरियां खत्म हो गई और कितने ही परिवारों में रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले पैरेंट्स की नौकरी खत्म हो गई।
एनजीओ गर्ल्स नॉट ब्राइड्स ( NGO Girls Not Brides) में एशियाई देशों की प्रमुख शिप्रा झा ने कहा, ' पिछले दशकों में जो भी हमने फायदे कमाए वह सब खत्म हो गया। उन्होंने आगे कहा, 'लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक समाज में बाल विवाह की पैदाइश हुई। कोविड के दौरान यह फिर से अपना सिर उठा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल 18 साल से कम उम्र में 12 मिलियन लड़कियों की शादी कर दी जाती है। लेकिन अब संगठन ने चेताया है कि यदि वायरस के सामाजिक प्रभाव को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो अगले दशक में 13 मिलियन और मासूम लड़कियों को जबरन विवाह बंधन में बंधने को मजबूर कर दिया जाएगा।
VIDEO: Indonesia child marriages on the rise.
Indonesia, with one of the highest rates of child marriage in the world according to UNICEF, last year raised the legal age for wedlock in a bid to tackle the problem. Despite the reform, many children are still being forced to marry pic.twitter.com/ttwbE6o00F— AFP news agency (@AFP) September 2, 2020
भारत के वाराणसी में 15 साल की मुस्कान ने बताया कि उसे पास में ही रहने वाले 21 साल के लड़के से शादी के लिए उसके माता-पिता ने मजबूर कर दिया। मुस्कान के माता-पिता सड़क पर सफाईकर्मी हैं और उनपर मुस्कान के अलावा 6 बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी है। आखों में आंसू लिए मुस्कान ने कहा, ' मेरे पैरेंट्स गरीब हैं और उनके पास कोई और रास्ता नहीं। मैंने इसे रोकने का भरसक प्रयास किया लेकिन अब मजबूर हो चुकी हूं।'