जिस तालाब में नहाते हैं मवेशी, वहां का पानी पीते हैं ग्रामीण; यहां के कई गांवों में है जबरदस्त पेयजल संकट
इसी तालाब में ग्रामीण नहाते भी हैं और मवेशियों को भी नहलाते हैं। इसी तालाब का पानी भरकर पीने के लिए ले जाते हैं।
जशपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की फरसाबहार तहसील में स्थित ग्राम लठबोरा के महादेवमुड़ा और आसपास के दो दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। 300 की आबादी वाले आदिवासी बाहुल्य लठबोरा में एक कुआं और एक हैंडपंप तो है लेकिन भीषण गर्मी में दोनों सूख गए हैं। ग्रामीण प्यास बुझाने के लिए उस तालाब का प्रदूषित पानी पीने को अभिशप्त हैं, जहां गांव के मवेशी भी नहाते और पानी पीते हैं। गांव का एक छोर झारखंड के सीमडेगा जिला और दूसरा छोर ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से लगा है। ये दोनों ही जिले इन दिनों कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं, लेकिन लठबोरा के महादेवमुड़ा के ग्रामीणों को इन दिनों कोरोना के खौफ से अधिक पानी जुटाने की फिक्र सता रही है।
जलस्तर नीचे जाने से सूख रहे कई कुआं
क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य विष्णु प्रसाद कुलदीप ने बताया कि इस गांव में पानी की सुविधा के नाम पर तीन कुआं और एक हैंडपंप है। जलस्तर नीचे जाने से दो कुएं पहले ही सूख गए। गर्मी बढ़ने पर तीसरा कुआं भी सूख गया। जलस्तर रसातल में चले जाने से हैंडपंप पिछले कई माह से बेकार पड़ा है। बस्ती में 60 परिवारों के तकरीबन 300 लोग निवास करते हैं। इतनी बड़ी आबादी की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन इस गांव के बाहर एक किलोमीटर दूर स्थित एक तालाब है। इसी तालाब में ग्रामीण नहाते भी हैं और मवेशियों को भी नहलाते हैं। इसी तालाब का पानी भरकर पीने के लिए ले जाते हैं। सफाई के अभाव में तालाब का पानी पूरी तरह से दूषित होकर मटमैला हो चुका है।
की जाएगी कार्रवाई
जशपुर जिला पंचायत के सीईओ केएस मंडावी ने बताया कि पेयजल संकट से निपटने के लिए पंचायतों के पास 14 वें वित्त के रूप में पर्याप्त फंड है। मामले में क्यों देरी हो रही है, पता कर कार्रवाई की जाएगी।
जशपुर के जल विभाग के ईई वीके ओरमालिया ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से बोरिंग वाहन और मजदूर न मिल पाने के कारण बोरिंग खनन और सुधार का काम प्रभावित हो रहा है। लठबोरा में जो समस्या सामने आई है उसे तत्काल दूर किया जाएगा।