Swatantrata Ke Sarthi: वीडियो, पोस्टर आदि से बच्चों को कर रहीं जागरूक, राज्य सरकार कर चुकी है सम्मानित
मस्तूरी में अपने आस-पड़ोस के बच्चों को अभिव्यक्ति की आजादी के लिए प्रेरित करतीं शिक्षिका चानी ऐरी। नईदुनिया
संदीप तिवारी, रायपुर। अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना हो या दूसरों को उनके अधिकार के लिए जागरूक करना हो, इसके लिए बुनियादी जरूरत अधिकारों की जानकारी होती है। हर विचार को आजादी और हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मिलता रहे, आजाद देश में इसके निमित्त प्रहरियों की अहम भूमिका रही है। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व इसी के लिए सर्मिपत रहा है। स्वतंत्रता के सारथी सीरीज के तहत अभिव्यक्ति के अधिकारों के लिए प्रयास करती रायपुर की चानी ऐरी की पेश है कहानी।
मस्तूरी गांव के बच्चे न केवल अपने संवैधानिक अधिकारों को जानते हैं बल्कि इस मामले में बड़ों-बड़ों से बहस भी कर सकते हैं। वे संविधान की उद्देशिका और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को गहरे से समझते हैं। शायद भविष्य के संविधान के प्रहरी हैं और आजादी को दिल में लिए चलते हैं। इनके अधिकारों पर तो अतिक्रमण कठिन है ही बल्कि बाकियों के अधिकारों के लिए ये सजग रहते हैं। यह सब संभव हुआ एक विज्ञान शिक्षिका चानी ऐरी की पहल से। ऐरी बच्चों को अभिव्यक्ति के अधिकारों से अवगत कराती हैं। ऐरी बच्चों को वीडियो, कहानियों, नाटकों आदि के जरिए संविधान के तमाम प्रावधान सिखाती हैं। इसके लिए राज्य सरकार उन्हें पुरस्कृत भी कर चुकी हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पंधी विकासखंड मस्तूरी में विज्ञान की शिक्षिका चानी ऐरी एक अनोखा आंदोलन चला रही हैं। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। अधिकारों के प्रति अनभिज्ञता की बड़ी वजह जागरूकता की कमी है। जब कोई व्यक्ति बोल ही नहीं पाएगा तो वह अपने अधिकारों को हासिल कैसे कर पाएगा। इसलिए बच्चों को बचपन से ही देशभक्ति, संवैधानिक मूल्यों, लोकतांत्रिक दृष्टिकोण के प्रति जानकारी दी जानी चाहिए। प्राइमरी और मिडिल स्तर पर ऐसी जानकारी बच्चों को नहीं मिल पाती थी, इसलिए वे रोचक और नवाचारी तरीकों से बच्चों को अभिव्यक्ति के अधिकार से अवगत करा रही हैं। इस पहल के चलते राज्य सरकार द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का अवार्ड भी दिया जा चुका है।
पोस्टर, बैनर द्वारा बता रही हैं अभिव्यक्ति का अधिकार: बच्चों को जागरूक करने के लिए ऐरी बच्चों को पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक कर रही हैं। फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर के माध्यम से भी वह अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान भी अपने घर के आस-पास के बच्चों को वह उनके मौलिक अधिकार बताती रही हैं।
उद्देशिका की सरल शब्दों में करती हैं व्याख्या: संविधान के गूढ़ प्रावधानों को आसान शब्दों में बताते हुए चानी ऐरी कहती हैं कि अभिव्यक्ति का अधिकार बताने के लिए सबसे पहले संविधान की उद्देशिका को सरल भाषा में तैयार किया गया। इसके बाद उसके अर्थ को बच्चों को समझाया गया। स्कूल शिक्षा विभाग ने उनकी इस पहल को नवाचारी योजना में शामिल किया है।
हर बच्चे को पता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने, आजाद हैं इनके लब: चानी ऐरी कहती हैं कि स्कूल में 265 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। बच्चों को संवैधानिक अधिकार कंठस्थ हैं। स्कूल में आए दिन देशभक्ति और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित कार्यक्रम के आयोजन होते हैं। त्योहारों और महापुरुष की जन्मतिथि-पुण्यतिथि पर चानी ऐरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दोहराती हैं और बच्चों को अपनी बात रखने के लिए प्रेरित करती हैं।