सिद्धू की अपील पर जून तक आ सकता है फैसला
रोडरेज के मामले में पटियाला की अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू और साथी अभियुक्त रुपिन्दर सिंह संधू को आरोपों से बरी कर दिया था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रोडरेज के मामले में उन्हें दोषी ठहराने और तीन साल की सजा दिये जाने के हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया गया। सिद्धू की अपील पर बहस कर रहे वकील ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है। गुरनाम सिंह की मौत सिद्धू के घूंसा मारने से नहीं हुई थी बल्कि अचानक पड़े दिल के दौरे से हुई थी। माना जा रहा है कि जून तक कोई फैसला आ जाएगा क्योंकि सुनवाई कर रही पीठ के जस्टिस जे चेलमेश्वर जून में सेवानिवृत हो जाएंगे।
रोडरेज के मामले में पटियाला की अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू और साथी अभियुक्त रुपिन्दर सिंह संधू को आरोपों से बरी कर दिया था। लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए दोनों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन तीन साल के कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ सिद्धू और संधू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर रखी है। मामला 30 साल पुराना है। 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में रोडरेज के झगड़े में नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरनाम सिंह नामक व्यक्ति को सिर पर घूंसा मारा था जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सिद्धू और संधू की अपील सुप्रीम कोर्ट में 2007 से लंबित है। सिद्धू की सजा और दोष सिद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी इसीलिए सिद्धू सजा होने के बावजूद चुनाव लड़े और फिलहाल पंजाब सरकार में मंत्री हैं।
बुधवार को न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने अपील पर सुनवाई शुरू की। सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाइकोर्ट ने फैसले में निचली अदालत के फैसले का ठीक से विश्लेषण नहीं किया है। मेडिको लीगल साक्ष्य और गवाहों के बयानों पर ध्यान दिया जाये तो पता चलता है कि गुरनाम सिंह की मौत सिद्धू के घूंसा मारने से नहीं बल्कि दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। गुरनाम का दिल कमजोर था और डाक्टर ने अपने बयान में कहा है कि मौत अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण भी हो सकती है। बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी।