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पहचान में आ गई थी जवानों की गाड़ी, इसीलिए चोलनार में नक्सलियों ने बनाया निशाना

खुफिया सूत्रों ने बताया कि नक्सल इलाके में वाहनों पर घूमने की मनाही है लेकिन चालू पक्की सड़क पर जवान वाहन में ही चलते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 12:56 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 01:01 PM (IST)
पहचान में आ गई थी जवानों की गाड़ी, इसीलिए चोलनार में नक्सलियों ने बनाया निशाना
पहचान में आ गई थी जवानों की गाड़ी, इसीलिए चोलनार में नक्सलियों ने बनाया निशाना

रायपुर [अनिल मिश्रा]। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा स्थित चोलनार में जवानों की गाड़ी कई दिनों से नक्सलियों के निशाने पर थी। दरअसल, उस इलाके में जवान एसयूवी-500 वाहन पर गश्त कर रहे थे। इस इलाके में बोलेरो, इनोवा, स्कार्पियो जैसी गाड़ियां तो दिखती हैं, लेकिन एसयूवी कम ही दिखती है। खुफिया सूत्रों ने बताया कि नक्सल इलाके में वाहनों पर घूमने की मनाही है लेकिन चालू पक्की सड़क पर जवान वाहन में ही चलते हैं। जवान एसयूवी में बैठकर सड़क निर्माण की सामग्री छोड़ने आ जा रहे थे जिसे नक्सलियों ने भांप लिया। नक्सलियों ने बस, ट्रक या माइन प्रोटेक्टेड गाड़ियों को उड़ाने की तैयारी कर रखी थी। यही वजह है कि विस्फोट बड़ा था और उससे गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। एक अधिकारी ने कहा कि गाड़ी उस इलाके में घुमाते रहे होंगे, तभी निशाने पर आए।

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मलांगीर एरिया कमेटी ने की वारदात

बताया जा रहा है कि चोलनार की वारदात को नक्सलियों की दरभा डिवीजन में शामिल मलांगीर एरिया कमेटी ने अंजाम दिया। इस इलाके में नक्सल कमांडर गणेश उइके सक्रिय है। आशंका है कि मौके पर नक्सलियों ने बड़ा एंबुश लगा रखा होगा। हालांकि, विस्फोट में एक भी जवान बचा नहीं बचा, इसलिए मुठभेड़ की नौबत नहीं आई। चोलनार में दो साल पहले सीआरपीएफ ने कैंप खोला है। जब कैंप खुला तब भी नक्सलियों ने एक एमपीवी को उड़ाया था।

दो दिन बाद यहीं सीएम गुजारेंगे रात

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 22 मई को दंतेवाड़ा जा रहे हैं। वह बचेली में रात गुजारेंगे। बचेली और किरंदुल दोनों शहर एनएमडीसी की माइनिंग परियोजना में शामिल हैं। इन दोनों शहरों की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है। आसपास बैलाडीला के ऊंचे पहाड़ और घने जंगल हैं। किरंदुल के पास ही चोलनार है जहां यह वारदात हुई है। इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि नक्सलियों ने इस वारदात को अंजाम देकर मुख्यमंत्री को भी चुनौती दी है।

पहले रेकी करते हैं फिर लगाते हैं बम

पुलिस अफसरों का कहना है कि आजकल सड़कों में पहले से गड़े बम काम नहीं आ रहे। जिस सड़क से फोर्स गुजरती है वहां बमों की तलाश पहले ही कर ली जाती है। नक्सलियों को जहां वारदात करनी होती है, वहां एक-दो रोज पहले ड्रिल कर सड़क के नीचे बम गाड़ देते हैं। चोलनार में काफी संख्या में नक्सली थे। तभी वे हथियार लूट पाए। अगर एक-दो नक्सली सिर्फ बम ट्रिगर करने के लिए होते तो हथियार लूटने की हिम्मत नहीं कर पाते।

गृह मंत्री आज उतार रहे बस्तरिया फोर्स

यह संयोग ही है कि सीआरपीएफ ने पहली बार बस्तरिया बटालियन तैयार की है जिसकी पासिंग आउट परेड 21 मई को अंबिकापुर में है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे हुए हैं। बस्तरिया बटालियन बस्तर में ही तैनात होगी। गृह मंत्री आज बस्तरिया बटालियन उतारने वाले हैं, इससे पहले ही वारदात हो गई।

तार और बैटरी की मदद से किया विस्फोट

मदाड़ी नाले के पास सड़क के कई फीट नीचे नक्सलियों ने करीब 50 किलो विस्फोटक दबा रखा था। जवानों से भरा वाहन ज्यों ही इसकी जद में पहुंचा, दूर बैठे नक्सलियों ने तार और बैटरी की मदद से इसमें विस्फोट कर दिया। तेज धमाके के चलते सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्ढा हो गया और पुलिस वाहन करीब 15 फीट हवा में उछल गया। वाहन कई टुकड़ों में बंटकर इधर-उधर बिखर गया। जानकारों के मुताबिक, विस्फोटक की इतनी मात्रा से एंटी माइन व्हीकल भी उड़ाया जा सकता है। 


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