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वाराणसी के डीएम ने सरकारी स्कूल को लिया गोद, हर शनिवार बन जाते हैं शिक्षक

योगेश्वर राम मिश्र बच्चों को शिक्षादान बनारस आने के पहले भी करते रहे हैं। जब बाराबंकी के डीएम थे, जांच के दौरान स्कूल पहुंचने पर सीधे क्लास चले जाते थे।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 14 Aug 2017 12:09 PM (IST)Updated: Mon, 14 Aug 2017 12:41 PM (IST)
वाराणसी के डीएम ने सरकारी स्कूल को लिया गोद, हर शनिवार बन जाते हैं शिक्षक
वाराणसी के डीएम ने सरकारी स्कूल को लिया गोद, हर शनिवार बन जाते हैं शिक्षक

वाराणसी, विकास ओझा। वाराणसी का वो स्कूल, जिसके परिसर में स्वामी विवेकानंद ने लगभग दो माह गुजारे थे। कभी यह मॉडल स्कूल के रूप में स्थापित था, लेकिन वक्त के साथ शिक्षा में गुणवत्ता की कमी का शिकार यह स्कूल भी हो गया। अब इसे फिर से संवारने का संकल्प लिया है वाराणसी के जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने। यहां के अर्दली बाजार स्थित एलटी कॉलेज परिसर में स्थापित परिषदीय विद्यालय में हर शनिवार को डीएम शिक्षक की भूमिका में होते हैं और जब उनकी क्लास होती है तो हर बच्चा अनुशासित भी होता है और ज्ञान के लिए लालायित भी।

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गोद लिया विद्यालय जिलाधिकारी ने

इस सरकारी प्राथमिक विद्यालय को डीएम साहब ने गोद लिया है और यहां शिक्षादान के लिए समय रखा है हर शनिवार दो घंटे। किसी दूसरे जिले का मसला अलग है, मगर यह प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है, जहां किसी जिलाधिकारी की व्यस्तताओं की हजार वजहें होती हैं। इसके बावजूद वह नियमित रूप से बीते छह शनिवार से दो घंटे की क्लास लेने विद्यालय पहुंच रहे हैं।

पहले भी करते रहे हैं विद्यादान

योगेश्वर राम मिश्र बच्चों को शिक्षादान बनारस आने के पहले भी करते रहे हैं। जब बाराबंकी के डीएम थे, जांच के दौरान स्कूल पहुंचने पर सीधे क्लास चले जाते थे। वहां उन्होंने मुहिम चलाकर अधिकारियों से शिक्षादान करवाया। ऑडिटोरियम की नींव भी रखी।

बढ़ रही है बच्चों की संख्या

जिलाधिकारी की एकल कक्षा में आठ तक के 92 बच्चे होते हैं। शनिवार को हर बच्चा उपस्थित होता है, सबको टॉफी भी मिलती है। कक्षा पांच की छात्रा माहेश्वरी और कक्षा छह की सना अमीर कहती हैं कि जबसे डीएम अंकल आने लगे हैं, बहुत कुछ ठीक हो गया है। कक्षा छह की ही मोनिका, श्रद्धा व कविता बताती हैं कि बहुत गंदगी थी, पढ़ाई भी व्यवस्थित नहीं थी, मगर अब स्थिति सुधर गई है।

बनने लगी योजना

योगेश्वर राम मिश्र कहते हैं- विद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। वक्त बदला, लेकिन हम इस धरोहर को संभाल नहीं पाए। हालांकि अब सब कुछ संवरने लगा है। इस विद्यालय में डीएम के पढ़ाने का असर यह हुआ है कि आसपास के स्कूलों में भी अब सुधार की झलक मिलती है। डीएम ने स्कूल को पुन: मॉडल बनाने का जिम्मा अब शिक्षा विभाग को सौंपा है। प्रधानाध्यापक बाबूलाल यादव बताते हैं कि जिलाधिकारी द्वारा गोद लेने के बाद छात्र संख्या 53 से बढ़कर 92 हो गई है। स्कूल का मुख्यद्वार बन गया है। अब जिलाधिकारी वॉटर कूलर, बाउंड्री, टेबल-कुर्सी, खेल के सामान आदि की व्यवस्था करवा रहे हैं। स्कूल में शैक्षणिक गुणवत्ता बहुत खराब नहीं है। तय है कि स्कूल कुछ दिन बाद मॉडल रूप में दिखेगा। मैं अब सभी अफसरों को दूसरे विद्यालयों में भेजने वाला हूं। सब गोद लेंगे एक-एक स्कूल, सबको सुधारा जाएगा। एक चेन बनाएंगे।

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