पौधारोपण के प्रति लोग हुए जागरूक, सही वृक्ष और सही स्थान का चयन बहुत महत्वपूर्ण
पौधारोपण के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। इसके बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं क्योंकि इस बात की जानकारी लोगों तक कम है कि पौधारोपण स्थान विशेष की जलवायु और मृदा के अनुरूप होना चाहिए। सही वृक्ष और सही स्थान का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।
डा. एसके तिवारी। असम के कई क्षेत्रों में बाढ़ का कहर जारी है। वहीं उत्तर भारत के तमाम इलाके भयंकर गर्मी से तप रहे हैं। तपती गर्मी के अलावा इन इलाकों की हवा भी बेहद जहरीली हो गई है, जिसमें सांस लेना भी एक तरह से जहर निगलने जैसा है। इन तमाम समस्याओं का कारण ग्लोबल वार्मिंग और उस कारण से हो रहे जलवायु परिवर्तन को माना जाता है। इस समस्या का समाधान भी बड़ा आसान है कि अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं, जो विशालकाय वृक्ष का रूप लेकर जलवायु परिवर्तन के हमले में ढाल बनकर उसे संतुलित करने में सहायक हों।
यह समाधान अपनाया तो जाता है, लेकिन इस प्रकार से कि वह राह आसान बनाने के बजाय चुनौतियों को और बढ़ा देता है। दरअसल किसी भी ठोस योजना और उस पर पर्याप्त होमवर्क किए बिना जिस प्रकार पौधारोपण की कवायद की जाती है, उसका अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता है। इसका कारण यह है कि हर स्थान की जलवायु, मिट्टी और मौसम की दशा-दिशा अलग होती हैं।
पौधारोपण भी उसी के अनुरूप किया जाना चाहिए। मगर जमीनी स्तर पर ऐसा होता नहीं। पौधारोपण की प्रक्रिया में एक प्रकार का अंधानुकरण ही किया जाता है। इन पहलुओं का ध्यान नहीं रखा जाता कि स्थानीय जलवायु और मृदा के अनुरूप किस प्रकार के पौधों का चयन किया जाए, जो न केवल मिट्टी और पानी का सही संतुलन बनाए रखें, बल्कि अपेक्षित विकास की संभावनाओं पर खरा उतरकर पर्यावरण संरक्षण में उपयोगी सिद्ध हो सकें। इसलिए अपने आसपास के परिवेश के अनुरूप पौधों का चयन बेहद सावधानी और सतर्कता से किए जाने की आवश्यकता है।
भारतीय परिस्थितियों के अनुसार, छायादार और जल्दी बढ़ने वाले पेड़ों को लगाने के लिए तीन भू-भागों में कुछ विशेष पौधे लगाए जा सकते हैं। ये तीन क्षेत्र उत्तर, मध्य और दक्षिण के रूप में चिन्हित किए गए हैं। इन क्षेत्रों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप पौधे लगाए जा सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार यदि पर्यावरण के चक्र को संतुलित करना है तो कम से कम एक तिहाई भू-भाग को वृक्षों से भरना होगा। बहुत सारी सरकारी योजनाओं और प्रयासों के तहत पर्यावरण संरक्षण पर कार्य किया गया है। एग्रोफोरेस्ट्री मिशन के तहत किसानों को भी खेत की मेड़ पर पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा आम जनता के रूप में भी हमें सड़क के किनारे, पार्कों में या किसी भी सार्वजनिक स्थान पर, जहां संभव हो, वहां प्रति व्यक्ति दो पेड़ों का योगदान देना चाहिए।
ऐसा देखा गया है कि बड़े वृक्ष पर्यावरण पर अपना दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ते हैं। यही पेड़ वर्षा वाले बादलों को लाने, हवा में ठंडक बढ़ाने और तापमान को कम करने समेत कई पहलुओं पर काम करते हैं। ऐसे में उनकी उपस्थिति बहुत जरूरी है। इस रणनीति के लिए तीनों क्षेत्रों में कुछ ऐसे पौधों का चयन करना उपयोगी होगा, जो भविष्य में बड़ा आकार लेने में सक्षम हो सके। एक सजग नागरिक होने के नाते ये हमारा दायित्व भी है कि हम पौधारोपण करें।
[मुख्य विज्ञानी, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ]