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चौंकाने वाली खबर: उत्तर प्रदेश से होती है देश में जब्त होने वाले आधे हथियारों की जब्ती!

देश में जब्‍त हथियारों में आधे हथियार अकेले यूपी से ही होते हैं। हाल ही में कानपुर में हुई पुलिस की घटना भी इसको प्रमाणित करती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 11:12 AM (IST)
चौंकाने वाली खबर: उत्तर प्रदेश से होती है देश में जब्त होने वाले आधे हथियारों की जब्ती!
चौंकाने वाली खबर: उत्तर प्रदेश से होती है देश में जब्त होने वाले आधे हथियारों की जब्ती!

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। ‘यूपी में है दम, अपराध यहां है कम' उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का गुणगान करते अमिताभ बच्चन कुछ सालों पहले एक विज्ञापन में यही कहते नजर आते थे। लोगों ने उस वक्त भी पूछा था कि यह कितना सही है और कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर बदमाशों के हमले के बाद भी लोग यह सवाल दोहरा रहे हैं। इस हमले में एक डीसीपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई और दो बदमाश भी मारे गए। साथ ही हमले में छह पुलिसकर्मियों सहित सात लोग घायल भी हुए हैं। इस घटना ने उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बंदूक के जरिए हिंसा की प्रवृत्ति को उजागर कर दिया है। देश में जब्त होने वाले आधे हथियारों की जब्ती उत्तर प्रदेश से होती है। इस घटना ने उन दावों की भी पोल खोल कर रख दी है, जिनमें अपराध कम होने और अपराधियों में भय होने की बात कही जाती थी।

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उत्तर प्रदेश में आधे जब्त किए हथियार

हथियारों के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश के आंकड़े चौंकाते हैं और यह भी बताते हैं कि आखिर क्यों यहां पर अपराध ज्यादा और अपराधी बेखौफ हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2018 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में जब्त हथियारों में से आधे हथियार शस्त्र अधिनियम के तहत यूपी में जब्त किए गए हैं। इनमें लाइसेंस प्राप्त और बिना लाइसेंस वाले दोनों तरह के हथियार शामिल हैं।

11 लाख लोगों के पास बंदूकें

उत्तर प्रदेश में पुलिस और लाइसेंसी हथियार रखने वालों के बीच काफी असमानता है। कुछ लोग इन्हें आत्मरक्षा के लिए रखते हैं, हालांकि हर व्यक्ति के लिए यह आत्मरक्षा का साधन नहीं है। पुलिस और पब्लिक के मध्य असमानता इस बात से समझी जा सकती है कि प्रदेश में 3 लाख से कम पुलिसकर्मियों के पास हथियार हैं, वहीं 11 लाख नागरिकों के पास हथियार हैं। साथ ही राज्य में अवैध हथियारों का व्यापार भी खूब फलता-फूलता रहा है। इसका कारण है अवैध हथियारों का लाइसेंसी हथियारों की तुलना में सस्ता होना। यह हथियार बेरोजगार युवाओं द्वारा पैसे के लिए अपराध को अंजाम देने में काम आते हैं। ड्यूटी निभाते शहीद हुए पुलिसकर्मियों में न केवल प्रदेश के पुलिसकर्मियों की संख्या सर्वाधिक है, बल्कि डकैती रोकने के लिए मारे गए छापों में सर्वाधिक 20 पुलिसकर्मियों ने भी यहीं बलिदान दिया है।

अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई

योगी सरकार के 2017 में सत्ता में आने के बाद से प्रदेश ने तीन सालों में अपराधियों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयां देखी हैं। दिसंबर में यूपी पुलिस ने दावा किया था कि उसने 5,178 एनकाउंटर में 103 अपराधियों को मार गिराया है। वहीं 1,859 घायल हुए और 17,717 ने अपनी जमानत रद्द कर दी। हालांकि प्रदेश में पुलिसकर्मियों की बेहद कमी है। करीब 23 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में 4,14,492 पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। इसके मुकाबले में यहां 2.94 लाख से कुछ ही अधिक पुलिसकर्मी हैं। साथ ही पुलिस और प्रदेश की जनसंख्या के मध्य अनुपात भी चिंताजनक है। प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 183 पुलिसकर्मियों का स्वीकृत अनुपात है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 222 पुलिसकर्मी प्रति एक लाख की आबादी पर होने चाहिए। हालांकि प्रदेश में प्रति एक लाख आबादी पर सिर्फ130 पुलिसकर्मी है।

मेरठ बना हथियारों का गढ़

बिहार के मुंगेर क्षेत्र को अवैध हथियारों के गढ़ के रूप में जाना जाता था। हालांकि पुलिस की सख्ती के कारण कुछ सालों से यह व्यापार उत्तर प्रदेश के मेरठ क्षेत्र में शिफ्ट हो गया। यह अवैध हथियारों का केंद्र बन चुका है, जो कि राष्ट्रीय राजधानी के करीब है। देश में बंदूक से होने वाली 90 फीसद हत्याओं में अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है।

86 फीसद हथियार हैं अवैध

भारत में 7 करोड़ से अधिक हथियार हैं। अमेरिका के बाद इतनी बड़ी संख्या में हथियार वाला यह दुनिया का दूसरा देश है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से करीब एक करोड़ हथियार ही लाइसेंसी और रजिस्टर्ड हैं। इसका अर्थ है कि दुनिया के सबसे सख्त हथियार नियंत्रण कानूनों में से एक के बावजूद देश के नागरिकों के पास मौजूद हथियारों में 86 फीसद हथियार अवैध है। 

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