एआइ, ब्लाकचेन और मशीन लर्निग के इस्तेमाल से मिलेगा अनचाही काल से छुटकारा, ट्राई की इस पहल को दूसरे देशों का भी मिल रहा समर्थन
ट्राई जल्द ही अनचाही काल से छुटकारे के लिए ड्राफ्ट पेपर जारी कर सकता है। इस काम में उपभोक्ता मंत्रालय को भी भागीदार बनाया जाएगा। उपभोक्ता मंत्रालय के पास भी अनचाही काल से परेशान लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार वर्षो से अनचाही कमर्शियल काल से छुटकारे का प्रयास कर रही है, लेकिन अब भी हर व्यक्ति को नहीं चाहते हुए भी कमर्शियल काल सुननी पड़ती है। इन सबसे छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) फिर से प्रयास में जुट गया है। ट्राई अनचाही काल से छुटकारे के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), ब्लाकचेन और मशीन लर्निग की मदद लेने जा रहा है।
हाल ही में ट्राई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के नियामक सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें ट्राई ने विदेशी दूरसंचार नियामकों के समक्ष अपने प्रस्ताव रखे। भारत समेत दूसरे देश के नियामकों ने भी अनचाही काल से छुटकारा दिलाने के प्रस्ताव पर काम करने की सहमति जताई। कई बार दूसरे देशों से भी अनचाही काल का धंधा चलता है और इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल होनी चाहिए।
ट्राई जल्द ही अनचाही काल से छुटकारे के लिए ड्राफ्ट पेपर जारी कर सकता है। इस काम में उपभोक्ता मंत्रालय को भी भागीदार बनाया जाएगा। उपभोक्ता मंत्रालय के पास भी अनचाही काल से परेशान लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक सर्वे के मुताबिक, 64 प्रतिशत भारतीयों को रोजाना कम से कम तीन अनचाही काल आती हैं।
काल करने पर केवाईसी में रजिस्टर्ड नाम फोन की स्क्रीन पर दिखेगा
एआइ और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए ट्राई टेलीकाम सेवा प्रदाता (TSP) कंपनियों को नंबर के साथ कालर का नाम दिखाने के लिए कह सकता है। इसके तहत काल करने पर केवाईसी में रजिस्टर्ड नाम फोन की स्क्रीन पर दिखेगा। टीएसपी के माध्यम से यह सुविधा मिलने के कारण बार-बार अनचाही कमर्शियल काल करने वालों को बैन किया जा सकता है। इसके अलावा भी ट्राई अनचाही काल को रोकने के लिए कई अन्य उपाय लाने की तैयारी कर रहा है। अभी किसी नंबर को डू-नाट डिस्टर्ब (DND) के तहत पंजीकृत किया जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद उस नंबर से काल आ जाती है।