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सिंगापुर में महज एक मुलाकात से खत्‍म हुई 68 वर्ष पुरानी दुश्‍मनी

अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक समझौता हुआ। एक दूसरे के जॉनी दुश्मन रहे देशों के दोस्त बनने से दुनिया ने राहत की सांस ली।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 11:21 AM (IST)
सिंगापुर में महज एक मुलाकात से खत्‍म हुई 68 वर्ष पुरानी दुश्‍मनी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक समझौता हुआ। एक दूसरे के जॉनी दुश्मन रहे देशों के दोस्त बनने से दुनिया ने राहत की सांस ली। इससे पहले कई ऐतिहासिक घटनाओं ने दोनों देशों के बीच की खाई को और गहरा किया था। उन कदमों से ये एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। बहरहाल अंत भला तो सब भला। दोनों के संबंधों को बिगाड़ने वाली अतीत की उन घटनाओं पर एक नजर...

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कोरियाई युद्ध
जून, 1950 में जब उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला किया तो अमेरिका ने दक्षिण कोरिया की तरफ से युद्ध लड़ा। उत्तर कोरिया हारने लगा तो चीन ने अमेरिका से लड़ने के लिए फौज भेजी। तीन वर्षों तक चले इस युद्ध का कोई हल न निकला। कोरियाई उपद्वीप में अभी शांति बहाली का समझौता होना बाकी है। द. कोरिया में अमेरिका के 28,500 सैनिक तैनात हैं।

जासूस जहाज पर कब्जा
जनवरी, 1968 में उत्तर कोरियाई नौसेना ने नावों से पूर्वी तट के पास खड़े पर्यावरण शोध जहाज यूएसएस पुएब्लो पर कब्जा कर लिया। 82 अमेरिकी सैनिकों को उत्तर कोरिया ने 11 महीने तक बंदी बनाए रखा। जब अमेरिका ने बयान दिया कि वह जहाज अवैध रूप से उत्तर कोरिया के तट पर आ गया था, तब जाकर उन सैनिकों को रिहा किया गया। उत्तर कोरियाई राजधानी प्योंगयांग में पुएब्लो को प्रदर्शनी में रखा गया है। किसी देश द्वारा बंदी बनाया गया यह एकलौता अमेरिकी जहाज है।

अमेरिकी सैनिक की हत्या
1976 की गर्मियों में फरसा रखने वाले उत्तर कोरियाई सैनिकों ने दो अमेरिकी सैनिकों की हत्या कर दी। उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा के पास लगा एक चिनार का पेड़ इस विवाद की जड़ था। अमेरिकी सैनिक इसे काटना चाहते थे जबकि उत्तर कोरियाई सैनिक इसके विरोध में थे। सैनिकों की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिका ने परमाणु क्षमता वाले बी-52 विमानों को उत्तर कोरिया की तरफ भेजा। स्थिति तब काबू में आई जब उत्तर कोरिया के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष किम द्वितीय सुंग ने हत्याओं के प्रति अपना अफसोस प्रकट किया।

कार्टर का उत्तर कोरियाई दौरा
जून, 1994 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर असैन्य क्षेत्र से होते हुए उत्तर कोरिया आए और परमाणु शक्ति प्रदर्शन को रोकने के मकसद से किम द्वितीय सुंग के साथ दो बैठकें कीं। दक्षिण कोरिया लौटकर उन्होंने वहां के राष्ट्रपति किम यंग सैम के सामने किम द्वितीय सुंग का अंतर-कोरियाई बैठक का प्रस्ताव रखा। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया लेकिन किम द्वितीय सुंग की जुलाई, 1994 में हृदयाघात से मौत हो जाने के बाद यह बैठक नहीं हो सकी। उनके बेटे किम जोंग द्वितीय ने सत्ता संभाली और 2000 में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति किम डे जंग के साथ पहली बार बैठक की।

अहम समझौता
अक्टूबर, 1994 में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के साथ परमाणु हथियारों को खत्म करने का ऐतिहासिक समझौता किया। सहमत रूपरेखा नाम के इस समझौते के तहत उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु प्रोग्राम को बंद कर सभी परमाणु इकाइयों को नष्ट करने का वादा किया। बदले मेंअमेरिका ने बिजली उत्पादन और तेल की आपूर्ति के लिए उत्तर कोरिया में दो जलीय परमाणु संयंत्र लगाने का वादा किया। 2002 में जब अमेरिकी अधिकारियों ने उत्तर कोरिया पर गुप्त रूप से परमाणु प्रोग्राम चलाने का आरोप लगाया तो यह समझौता रद हो गया।

परमाणु शक्ति परीक्षण
2011 में किम जोंग द्वितीय की मृत्यु के बाद उनके बेटे किम जोंग उन ने सत्ता संभाली। इसके बाद लगातार एक के बाद एक हथियारों का परीक्षण शुरू किया। उनका उद्देश्य था परमाणु ऊर्जा से लैस मिसाइलों को तैयार करना जो अमेरिका तक पहुंच सकें। 2017 में किम जोंग उन ने छठा और सबसे ताकतवर परमाणु परीक्षण किया और तीन अंतर महाद्वीपीय मिसाइलों का परीक्षण किया।

अलब्राइट का कोरिया दौरा
जो म्योंग रोक के दौरे के बाद अमेरिकी सचिव मेडलीन अलब्राइट ने बिल क्लिंटन के दौरे की तैयारी करने के लिए प्योंगयांग का दौरा किया। वे किम जोंग द्वितीय से मिलीं और दोनों ने साथ मिलकर अरिरंग खेल का लुत्फ उठाया। लेकिन जनवरी, 2001 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने उत्तर कोरिया के प्रति सख्त नीतियां अपनाईं। इसके चलते दोनों देशों के संबंध सुधर नहीं पाए। 2009 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन दो अमेरिकी पत्रकारों को छुड़ाने उत्तर कोरिया गए। 


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