राष्ट्रपति चुनाव के बाद बदल सकता है चीन के प्रति ट्रंप का रुख, ड्रैगन पर खामोश हैं बिडेन
अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। ऐसे में वहां पर इसको लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है। राष्ट्रपति ट्रंप चीन के खिलाफ आक्रामक रुख लेकर मैदान में है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिका में जिस तरह से कोरोना महामारी के बीच राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी चल रही है उसको देखते हुए फिलहाल किसी की भी जीत के बारे में कुछ भी कह पाना आसान नहीं है। इस चुनाव में स्थानीय मुद्दे तो अपनी जगह हैं ही, लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय मुद्दे भी ऐसे हैं जिन्हें भुनाने में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस तरह के मुद्दों का केंद्र चीन है। कुछ वर्षों से चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुआ ट्रेड वार अब एक बड़ा रुख अख्तियार कर चुका है।
ट्रंप का कसता शिकंजा
अब ये केवल एक ट्रेड वार तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसके इर्द-गिर्द कई दूसरे मुद्दे भी सिमट आए हैं। इस बात को किसी भी सूरत से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि चीन के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति का रुख बेहद कड़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप लगातार चीन के ऊपर अपना शिकंजा कड़ा करते जा रहे हैं। उन्होंने चीन के राजनेताओं से लेकर वहां से होने वाले व्यापार पर और उनके वाणिज्य दूतावास पर, कंपनी और उनके कुछ कर्मचारियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इस लिहाज से अमेरिका का ये राष्ट्रपति चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अमेरिका और चीन की राजनीति और उनकी रणनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ और लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर हर्ष वी पंत की राय में भी ये चुनाव काफी दिलचस्प हो रहा है। लेकिन वो मानते हैं कि चीन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख जो अब तक बेहद सख्त माना जा रहा है वो मुमकिन है कि आगे ऐसा न रहे। उन्होंने बताया कि भारत ने चीन पर बेहद कड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान उनके ऐप को भी प्रतिबंधित किया गया। वहीं, अमेरिका ने भी चीन के ऐप्स को अपने यहां पर प्रतिबंधित किया।
बदल सकता है रुख
कई और दूसरे बड़े फैसले चीन के खिलाफ लिए गए, जिनको देखते हुए चीन के प्रति ट्रंप का कड़ा रुख सामने दिखाई देता है। लेकिन एक बार चुनाव हो जाने के बाद यदि उसमें ट्रंप दोबारा अपनी जीत दर्ज करते हैं तो उनका ये रुख बरकरार नहीं रहेगा। उनका ये भी कहना है कि चीन के प्रति अभी तक जिस तरह का कड़ा रुख ट्रंप की तरफ से सामने आया है वहीं जो बिडेन इसको लेकर काफी हद तक चुप्पी साधे हुए हैं। ये बेहद दिलचस्प है। प्रोफेसर हर्ष मानते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच केवल ट्रेड वार ही नहीं है, बल्कि एक टेक वार भी शुरू हो चुका है, जिसके तहत दोनों ही तरफ से कुछ न कुछ कार्रवाई की जा रही हैं।
डेमोक्रेट उम्मीद्वार
आपको यहां पर बता दें कि इस चुनाव में डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। इस चुनाव में वहां पर रहने वाले भारतीयों की भी अहम भूमिका है। यही वजह है कि ट्रंप और बिडेन दोनों ही भारतीयों को अपनी तरफ करने की कवायद कर रहे हैं। हालांकि, बीते कुछ समय में ट्रंप ने वीजा नियमों में जिस तरह से बदलाव किए हैं उसके बाद भारतीयों की दिक्कत में हुए इजाफे से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बिडेन का रुख
इसके अलावा यदि बिडेन की बात करें तो वो कह चुके हैं कि यदि वो चुनाव में जीत हासिल करते हैं तो राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए वीजा नियमों में बदलाव को खत्म कर देंगे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। उनकी मां श्यामला गोपालन एक ब्रेस्ट केंसर वैज्ञानिक थीं, जिन्होंने अमेरिका की बार्कले यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस ब्रिटिश मूल के हैं जो 1961 में अमेरिका आ गए थे। वो अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे।
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