दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर जल्दबाजी में नहीं केंद्र
सरकार बनने में आ रही मुश्किलों के बावजूद केंद्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की जल्दबाजी में नहीं है। राष्ट्रपति शासन लगाने समेत विभिन्न विकल्पों के उपराज्यपाल नजीब जंग की रिपोर्ट पर फिलहाल गृह मंत्रालय में कानूनी विचार- विमर्श किया जा रहा है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि रिपोर्ट पर जल्द ही उचित फैसला लिया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार बनने में आ रही मुश्किलों के बावजूद केंद्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की जल्दबाजी में नहीं है। राष्ट्रपति शासन लगाने समेत विभिन्न विकल्पों के उपराज्यपाल नजीब जंग की रिपोर्ट पर फिलहाल गृह मंत्रालय में कानूनी विचार- विमर्श किया जा रहा है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि रिपोर्ट पर जल्द ही उचित फैसला लिया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने से अभी तक इन्कार नहीं किया है, बल्कि सलाह मशविरे के लिए और समय की मांग की है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में जल्द राष्ट्रपति शासन लगाने की कोई संवैधानिक मजबूरी नहीं है। 10 दिसंबर को राष्ट्रपति ने जीते हुए विधायकों की सूची को अधिसूचित कर दिया है। इससे विधानसभा अस्तित्व में आ गया है। निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के आठ दिसंबर को भेजे इस्तीफे के स्वीकार कर लिए जाने के बाद अहम फैसले लेने का अधिकार स्वत: उपराज्यपाल को मिल गया है। उनके अनुसार दिल्ली में बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में वे लगातार उपराज्यपाल के साथ संपर्क में हैं। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उपराज्यपाल ने किसी पार्टी की सरकार नहीं बनने की स्थिति में विधानसभा को निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। उचित समय आने पर इस विकल्प पर अमल किया जाएगा। इसके लिए दो घंटे की नोटिस पर कैबिनेट की बैठक बुलाकर राष्ट्रपति शासन के फैसले पर मुहर लगाई जा सकती है।
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