केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर जुलाई में आमने-सामने बैठेंगे यूपी-एमपी के आला अधिकारी
उत्तर प्रदेश बारिश के पानी को सहेजने के लिए बांध बनाना चाहता है। इसमें मध्य प्रदेश को कोई आपत्ति नहीं है।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की दशा और दिशा बदलने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के जल आवंटन विवाद का जल्द हल निकलेगा। इसके लिए दोनों राज्यों के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की बैठक होने वाली है। मध्य प्रदेश की ओर से इसकी पहल की गई है। बताया जा रहा है कि बैठक जुलाई के अंतिम सप्ताह में हो सकती है। इसमें उत्तर प्रदेश द्वारा 900 मिलियन क्यूबिक मीटर जल की जो मांग की गई है, उस पर पुनर्विचार करने पर मध्य प्रदेश जोर देगा। यदि राज्य स्तरीय चर्चा में बात नहीं बनती है तो फिर केंद्र सरकार के स्तर से बैठक कराई जाएगी।
2005 से जल आवंटन को लेकर मामला अभी तक उलझा हुआ है
इस मुद्दे को रखे जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2005 के समझौते पर आगे बढ़ने की बात कही थी, जिससे सकारात्मक माहौल बना है। केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता 2005 में हुआ था, लेकिन जल आवंटन को लेकर मामला अभी तक उलझा हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले कार्यकाल में इसे सुलझाने के लिए काफी प्रयास भी किए थे। केंद्र स्तर पर बैठकों के कई दौर चले, लेकिन हल नहीं निकल पाया।
यूपी ने रखी अधिक पानी देने की मांग
दरअसल, समझौते में उत्तर प्रदेश को 533 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देने की बात थी, जिस पर सभी सहमत थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश की ओर 700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की मांग रख दी। इस पर मध्य प्रदेश सरकार सहमत नहीं थी। अप्रैल 2018 में प्रदेश के अधिकारियों ने केंद्र सरकार के सामने भी यही पक्ष रखा, जिससे केंद्र ने भी सहमति जताई और 700 मिलियन क्यूबिक मीटर जल आवंटन पर सहमति बन गई। उम्मीद थी कि इस मांग के पूरा होने के बाद परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा, लेकिन उत्तर प्रदेश ने रबी सीजन के लिए 900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देने की मांग रख दी।
शिवराज ने कहा- जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री स्तर की बैठक भी करेंगे
कमल नाथ सरकार में एक-दो बार औपचारिक तौर पर बैठकें भी हुई, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना से जुड़े सवाल पर वर्ष 2005 के समझौते पर आगे बढ़ने की बात कही। इस पहल से सकारात्मक माहौल बना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संकेत दिए कि राज्य की ओर से भी पहल की जाएगी और जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री स्तर की बैठक भी करेंगे।
यूपी को 900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना राज्य हित में नहीं होगा
जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता श्रीकांत दांडेकर का कहना है कि परियोजना के विभिन्न पहलुओं को लेकर उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ लगातार संवाद हो रहा है। दो-तीन दौर की चर्चा हो चुकी है। 700 मिलियन क्यूबिक मीटर जल आवंटन पर प्रदेश सहमत है, लेकिन 900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देना राज्य हित में नहीं होगा। सरकार की इस मंशा को केंद्र सरकार के सामने भी रखा जा चुका है। परियोजना को लेकर एक माह के भीतर बैठक करेंगे। केंद्र सरकार के स्तर से भी बैठक बुलवाने का प्रयास होगा, ताकि विवाद सुलझ सके।
बांध बनाएं पर डूब क्षेत्र मध्य प्रदेश का नहीं होगा
प्रमुख अभियंता ने बताया कि उत्तर प्रदेश बारिश के पानी को सहेजने के लिए बांध बनाना चाहता है। इसमें मध्य प्रदेश को कोई आपत्ति नहीं है। हमने सिर्फ यह कहा है कि बांध ऐसी जगह बने, जिससे मध्य प्रदेश का क्षेत्र प्रभावित न हो। डूब क्षेत्र हमारा नहीं होगा। दरअसल, परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व की सवा पांच हजार हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है। इसके कारण 11 गांवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।