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पानी बचाने में नंबर वन रहा यूपी, जल शक्ति मंत्रालय ने घोषित किए राष्ट्रीय जल पुरस्कार, जानिए अन्य राज्यों का स्थान

इस बात को समझते हुए जल संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास भी किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से भी जल संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वर्ष 2020 में पानी बचाने में उत्तर प्रदेश पूरे देश में अव्वल रहा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 10:17 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर को उत्तरी जोन में जल संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ जिले का सम्मान (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, प्रेट्र। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। कहा भी गया है 'जल है तो कल है'। पानी की मांग निरंतर बढ़ रही है, लेकिन अत्यधिक जल दोहन की वजह से इसकी उपलब्धता कम हो रही है। अगर भविष्य को सुरक्षित करना है तो पानी को बचाना ही होगा।

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इस बात को समझते हुए जल संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास भी किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से भी जल संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वर्ष 2020 में पानी बचाने में उत्तर प्रदेश पूरे देश में अव्वल रहा। राजस्थान दूसरे और तमिलनाडु तीसरे स्थान पर रहा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यहां शुक्रवार को वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय जल पुरस्कारों की घोषणा की।

पूर्वी जोन में बिहार का पूर्वी चंपारण जिला रहा अव्वल 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर को उत्तरी जोन में जल संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ जिले का सम्मान मिला। दूसरा स्थान पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर को मिला। दक्षिण में केरल का तिरुअनंतपुरम जिला पहले स्थान पर रहा। दूसरा स्थान आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले ने प्राप्त किया। पूर्वी जोन में बिहार का पूर्वी चंपारण जिला अव्वल रहा, वहीं दूसरा स्थान झारखंड के गोड्डा जिले को मिला, जबकि पश्चिमी जोन में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले ने सर्वाेच्च स्थान प्राप्त किया। गुजरात के वडोदरा और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले ने संयुक्त रूप से दूसरा स्थान हासिल किया। पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम के गोआलपारा और अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले को जल संरक्षण के प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया।

इस समय प्रति वर्ष 1,000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता

राष्ट्रीय जल पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि कृषि, सिंचाई, औद्योगिक और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में इस समय प्रति वर्ष 1,000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। पानी की मांग बढ़ रही है, लेकिन जिस तरह से पानी की उपलब्धता कम हो रही है और बारिश के पैटर्न में बदलाव आ रहा है, वर्ष 2050 तक प्रतिवर्ष 1400 से 1500 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में हमें आगे आकर सकारात्मक सोच के साथ प्रभावी कदम उठाने ही होंगे।


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