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कश्मीर बंद का 111वां दिन, बंद के घटते असर से हिंसक हुए अलगाववादी समर्थक

कश्मीर में अलगावादियों के बंद से लोग परेशान हो चुके हैं इसलिए अब अलगावादियों के बंद के आह्वाहन के बावजूद भी लोग घरों से निकल रहे हैं।

By kishor joshiEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 02:22 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 02:36 PM (IST)
कश्मीर बंद का 111वां दिन, बंद के घटते असर से हिंसक हुए अलगाववादी समर्थक

श्रीनगर (जेएनएन)। आम कश्मीरियों द्वारा यौम-ए-स्याह के आहवान को ठेंगा दिखाए जाने और बंद के घटते असर से हताश अलगाववादियों के हिंसक समर्थकों ने वीरवार को जबरन बंद कराने के लिए एक ट्रक समेत दो वाहनों को फूंकने के अलावा सोपोर में रेहड़ी वालों पर पेट्रोल बम से भी हमला किया। इस दौरान पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा,जिसमें सात लोग जख्मी हुए हैं।

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इस बीच, आज लगातार 111वें दिन भी वादी में बंद से ठप रहे सामान्य जनजीवन के दौरान विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन राजधानी के डाऊन-टाऊन में निषेधाज्ञा को सख्ती से लागू रखा।


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गौरतलब है कि गत आठ जुलाई को आतंकी बुरहान की मौत के बाद से ही वादी में सिलसिलेवार बंद और हिंसक प्रदर्शनों से आम लोगों की जिंदगी नरक बना रहे अलगाववादी खेमे ने आज पूरे कश्मीर में यौम-ए-स्याह मनाने का आहवान करते हुए विधानमंडल परिसर की तरफ मार्च के लिए कहा था। आतंकी संगठनों ने भी लोगों से यौम-ए-स्याह को कामयाब बनाने की ताकीद करते हुए कहा था कि 27 अक्तूबर 1947 को भारतीय फौज कश्मीर में दाखिल हुई थी, इसलिए यह कश्मीरियों के लिए एक काला दिन है।

प्रशासन ने अलगाववादियों के मंसूबों को भांपते हुए सिर्फ श्रीनगर के डाऊन-टाऊन के पांच थाना क्षेत्रों के अलावा शालीमार इलाके में ही निषेधाज्ञा को सख्ती से लागू किया था। अन्य किसी तरह की पाबंदी नहीं थी। लेकिन अलगाववादियों के बंद पर सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान व शिक्षण संस्थान अन्य दिनों की भांति ही बंद रहे। लेकिन सड़कों पर निजी वाहनों की भारी तादाद और रेहडी-फडी वालों की भीड़ बंद के घटते असर की कहानी सुना रही थी।

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श्रीनगर में जहां अलगाववादियों ने विधानमंडल परिसर के मार्चका आहवान किया था, किसी भी इलाके से जुलूस नहीं निकला। शालीमार में जुलूस निकला,लेकिन वह शिया मातमियों का था। यौम-ए-स्याह का असर कहीं नजर नहीं आया। इसे अलगाववादियों के समर्थक हताश हो गए और उनहोंने विभिन्न इलाकों में आम लोगों से मारपीट शुरु कर दी।

ग्रीष्मकालीन राजधानी के सैदाकदल में उन्होंने एक आटो रिक्शा व परींपोरा फ्रूटमंडी में एक ट्रक को आग के हवाले करने के अलावा सात अन्य वाहनों को तोड़ते हुए उनके चालाकों को भी पीटा। इसके अलावा उन्होंने कई रेहड़ी-फड़ी वालों के साथ भी मारपीट की। उधर, सोपोर में बंद समर्थकों ने रेहड़ी वालों पर पेट्रोल बम से हमला किया।

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पुलिस ने इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए जब संबधित इलाकों में जाकर कानून व्यवस्था बहाल करने का प्रयास किया तो वहां हिंसक झड़पें शुरु हो गई। पुलिस को भी इस पर बल प्रयोग करना पड़ा। हालांकि पुलिस ने घायलों की संख्या की पुष्टि नहीं की है,लेकिन संबधित सूत्रों ने सात लोगों के जख्मी होने का दावा किया है।


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