यूनीटेक के मालिक संजय चंद्रा को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
फिलहाल जेल में ही रहेंगे चंद्रा, कोर्ट ने कहा कि सही नीयत साबित करने के लिए जमा कराए 1000 करोड़..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूनीटेक के मालिक संजय चंद्रा फिलहाल जेल में ही रहेंगे। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को भी चंद्रा को जमानत नहीं दी और कहा कि पहले वह अपनी सही नीयत साबित करने के लिए 1000 करोड़ रुपये जमा कराए ताकि फ्लैट खरीदारों के हित सुरक्षित हों।
यूनीटेक के मालिक और प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा गत अप्रैल से जेल में हैैं। हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद संजय चंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई है। लेकिन कोर्ट ने आज चौथी बार संजय चंद्रा की जमानत की मांग टाल दी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने यूनीटेक की 64 परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वालों से कहा था कि वे एमाइकस के बनाए वेब पोर्टल पर अपने फ्लैट का ब्योरा और बकाए पैसे का ब्योरा दे और बताएं कि उन्हें फ्लैट का पैसा वापस चाहिए या फ्लैट। कोर्ट ने मामले में एमाइकस क्यूरी पवनश्री अग्र्रवाल को वह ब्योरा कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा था।
सोमवार को एमाइकस क्यूरी (न्यायमित्र) पवनश्री अग्र्रवाल ने कोर्ट को बताया कि यूनीटेक पर फ्लैट खरीददारों की 1865 करोड़ की देनदारी है। यूनीटेक की 64 परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले 4482 लोग अपना पैसा वापस चाहते है जबकि 4356 खरीदार फ्लैट चाहते हैैं। संजय चंद्रा की ओर से पैरोकारी के लिए सोमवार को पूर्व सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार पेश हुए। कुमार ने गत सप्ताह ही सालिसिटर जनरल पद से इस्तीफा दिया था। रंजीत कुमार ने संजय चंद्रा को कम से कम चार सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दिये जाने की गुहार लगाते हुए कहा कि इससे वे बाहर आकर पैसे का इंतजाम कर पाएंगे।
जेल में रहते हुए पैसे का इंतजाम करना मुश्किल है। उन्होंने यूनीटेक की 64 परियोजनाओं में से कुछ संपत्तियों को बेचने की इजाजत देने की भी मांग की। जिस पर कोर्ट का भी सुझाव था कि पैसा एकत्र करने के लिए कुछ संपत्ति बेची जा सकती है। कुमार ने कोर्ट से कहा कि अंतरिम जमानत दे दी जाए तो वे सभी खरीददारों का पैसा वापस करने की एक योजना तैयार करके कोर्ट में पेश करेंगे। लेकिन कोर्ट ने अंतरिम जमानत की मांग ठुकराते हुए कहा कि उन्हें अपनी सही नीयत साबित करने के लिए पहले कम से कम 1000 करोड़ रुपये तो जमा कराने ही चाहिए। कोर्ट ने चंद्रा को इस बावत जवाब देने के लिए समय देते हुए मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए टाल दी।
जेपी ग्र्रुप की अर्जी पर मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रहे जेपी इंफ्रा की पैसे जमा कराने के लिए संपत्ति बेचने की अनुमति मांगने वाली अर्जी पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और अंतरिम रेस्यूलूशनल प्रोफेशनल (आइआरपी) से जवाब मांगा है। जेपी समूह ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट के आदेश के मुताबिक 2000 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए यमुना एक्सप्रेस की संपत्ति बेचने की अनुमति मांगी है जिससे की उसे 2500 करोड़ रुपये मिलेंगे। जेपी की ओर से सोमवार को कहा गया कि उसकी प्राथमिकता फ्लैट खरीदारों को पैसे देने की है। कोर्ट ने जेपी की अर्जी पर जवाब मांगते हुए अर्जी पर सुनवाई के लिए शुक्रवार की तिथि तय करनी चाही लेकिन आइडीबीआइ बैैंक की ओर से पेश वकील ने अर्जी का विरोध किया और कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे की संपत्ति जेपी की नहीं है।
वैसे भी अर्जी पर गुरुवार को ही सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि कोर्ट के आदेश के मुताबिक जेपी को शुक्रवार तक 2000 करोड़ रुपये जमा कराने हैैं। बाद में कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तिथि तय कर दी और कहा कि पहले यह तय होना चाहिए कि वह संपत्ति कंपनी की है कि नहीं। इस मामले में जेपी इंफ्रा के खिलाफ दीवालिया प्रक्रिया लंबित है और जेपी इंफ्रा की परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले लोगों ने अपने हित सुरक्षित करने के लिए सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिस पर कोर्ट यह सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर जेपी को 27 अक्टूबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था।
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