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मोदी सरकार ने कृषि के बुनियादी ढांचे पर दिया विशेष बल: केंद्रीय मंत्री राधा मोहन

उपज के उचित मूल्य दिलाने के लिए ज्यादातर फसलों के न्यूनतम समर्थन में डेढ़ से दोगुना तक की वृद्धि की गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 06:15 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 12:06 AM (IST)
मोदी सरकार ने कृषि के बुनियादी ढांचे पर दिया विशेष बल: केंद्रीय मंत्री राधा मोहन
मोदी सरकार ने कृषि के बुनियादी ढांचे पर दिया विशेष बल: केंद्रीय मंत्री राधा मोहन

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय कृषि नीति की मुख्य धुरी किसान कल्याण है। इसी के इर्द गिर्द ही कृषि संबंधी योजनाएं बनाई और उनके क्रियान्वयन पर जोर दिया जाता है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना और किसानों की आमदनी में वृद्धि करना सरकार की योजनाओं के मुख्य आयाम हैं। कृषि के बुनियादी ढांचे पर सरकार की योजना 

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कृषि क्षेत्र में नीतिगत सुधार के नतीजे राज्यों की पहल पर निर्भर

कृषि मंत्री सिंह ने कृषि क्षेत्र में अपनी सरकार के कामकाज के बारे में जागरण से बातचीत में कहा कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि, लागत में कमी, खेती के लिए जोखिम कवच और कृषि के सतत विकास पर सरकार का पूरा जोर रहा है। कृषि को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने बजटीय आवंटन में 74 फीसद की उल्लेखनीय वृद्धि की है। एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि कृषि के बुनियादी ढांचे पर विशेष बल दिया गया है, ताकि खेती घाटे का सौदा न रह जाए।

समुद्री उत्पाद, चावल और फलों का बढ़ा निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति

उपज के उचित मूल्य दिलाने के लिए ज्यादातर फसलों के न्यूनतम समर्थन में डेढ़ से दोगुना तक की वृद्धि की गई है। लेकिन इससे भी बड़ी जरुरत उपज की खरीद का सुनिश्चित करना है। सरकार ने इसके लिए विशेष बंदोबस्त किये हैं, जिनमें राज्य सरकारों की भूमिका अहम है।

किसानों की पहुंच तक मंडियों का विस्तार के लिए विशेष प्रावधान किये गये, जिसके तहत आम बजट में ही 22 हजार ग्रामीण मंडियों को विकसित मंडी में तब्दील करने का ऐलान किया गया है।

कृषि मंत्री सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कृषि से जुड़े तमाम उद्यम हाशिये पर चले गये थे, जिन्हें चिन्हित किया गया है।

किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए इन उद्यमों को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है। बागवानी, पशुधन, डेयरी, मत्स्य व पोल्ट्री जैसे क्षेत्रों को विशेष मदद मुहैया कराई जा रही है। इन क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कोष गठित किये गये हैं।

कृषि क्षेत्र में नीतिगत सुधार में राज्यों की भूमिका पर सिंह ने कहा कि भूमि पट्टेदारी कानून, कांट्रैक्ट फार्मिग एंड सर्विसेज ऐक्ट-201 और मंडी कानून में संशोधन के लिए केंद्र मॉडल कानून सभी राज्यों को दो साल पहले ही भेज दिया गया है। लेकिन गिनती कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी राज्यों ने उत्साह नहीं दिखाया है।

खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद दलहन व खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने इन दोनों प्रमुख जिंसों दाल व खाद्य तेल के आयात को रोकने के लिहाज से भारी ड्यूटी लगा दी है। दूसरी ओर किसानों को भरपूर मदद मुहैया कराने के चलते ही दाल के मामले में देश आत्मनिर्भर हो चुका है।

घरेलू बाजारों के साथ कृषि उपज के निर्यात पर पूरा जोर दिया जा रहा है। नई कृषि व्यापार नीति घोषित हो चुकी है। वैश्विक बाजार में भारतीय जिंसों की मांग भी है, जिसके चलते समुद्री उत्पादों के निर्यात में 95 फीसद, चावल में 84 फीसद और ताजा फल व सब्जियों के निर्यात में 77 फीसद और मसाले के निर्यात में 38 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

कृषि शिक्षा व शोध के बारे में पूछे सवाल पर सिंह ने विस्तार से बताया। कृषि शिक्षा के लिए संस्थान स्थापित किये गये तो वैज्ञानिकों की नियुक्ति प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया। मंत्रालय के दोनों विभागों की तबादला नीति में संशोधन कर उसे तार्किक और बेहतर बनाया गया है। कृषि से जुड़े विभिन्न संस्थानों की समीक्षा की गई और उनकी जरूरत के हिसाब से उसे समृद्ध किया गया।


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