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लेखानुदान के लिए दिल्ली विस का विशेष सत्र आज से

लेखानुदान प्रस्ताव पारित करने के लिए दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। गौरतलब है कि प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस वर्ष जनता के सुझाव पर बजट तैयार करने का निर्णय लिया है। इसमें अभी

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 04:33 AM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 04:35 AM (IST)
लेखानुदान के लिए दिल्ली विस का विशेष सत्र आज से

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। लेखानुदान प्रस्ताव पारित करने के लिए दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। गौरतलब है कि प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस वर्ष जनता के सुझाव पर बजट तैयार करने का निर्णय लिया है। इसमें अभी कुछ समय लग सकता है। अरविंद केजरीवाल सरकार आगामी जून में पूर्णकालिक बजट पेश करेगी। अगले तीन महीने के खर्च को ध्यान में रखकर लेखानुदान प्रस्ताव तैयार करने का काम सोमवार को भी चला। बताया जा रहा है कि तीन महीने के लिए दिल्ली का बजट लगभग 9 हजार करोड़ रुपये का होगा।

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वैट नियम में संशोधन का प्रस्ताव लाया जाएगा

दिल्ली सरकार ने व्यापारियों को विश्वास में लेकर राजस्व बढ़ाने की कवायद शुरू की थी। इस संबंध में विधानसभा के विशेष सत्र में बड़ा फैसला लिया जा सकता है। पिछले दिनों दिल्ली सरकार ने वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) नियमों में संशोधन करते हुए अतिरिक्त वैट भुगतान के समायोजन का फैसला लिया था, इस संबंध में विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव लाया जाएगा। ताकि व्यापारियों की समस्याओं को दूर किया जा सके।

पिछले दिनों दिल्ली के कई व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सचिवालय में मुलाकात की थी। उन्होंने व्यापारियों की परेशानी दूर करने के लिए अतिरिक्त वैट भुगतान का समायोजन अगले वित्त वर्ष के कर में किए जाने तथा आर 9 फॉर्म भरने की तिथि 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। सरकार ने व्यापारियों की मांगें मान ली थीं। अब इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

सदन में गूंजेगी मुखालफत की आवाज

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नाम पर भले ही भाजपा के महज तीन विधायक हों, लेकिन मंगलवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय विशेष सत्र के मद्देनजर सदन में सत्ता पक्ष के खिलाफ जोरदार मुखालफत तय है। दिल्ली विधानसभा परिसर में मौजूद नेता प्रतिपक्ष के कमरे पर ताला लगाए जाने से टकराव की भूमिका पहले ही तैयार की जा चुकी है। यह पहला मौका है जब सदन में नेता प्रतिपक्ष नहीं है। इस मुद्दे पर भी भाजपा विधायक सरकार से नाराज हैं।

जनता से बजट बनवाने संबंधी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की घोषणा को अमल में लाने के मद्देनजर सरकारी मशीनरी बजट बनाने के नए तौर-तरीकों को समझने और आजमाने में जुट गई है। यही वजह है कि मार्च के आखिरी सप्ताह में सरकार पूर्णकालिक बजट के बदले लेखानुदान प्रस्ताव ला रही है। इसी को पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।

यह भी बताया जा रहा है कि सरकार की खराब माली हालत को सुधारने को लेकर जारी कवायद के मद्देनजर भी दिल्ली का बजट लाने में देरी के आसार हैं। पिछले सत्र में केजरीवाल ने सदन में घोषणा की थी कि उनकी सरकार जनता से पूछ कर अपना बजट तैयार करेगी। इसके लिए प्रयोग के तौर पर तीन-चार विधानसभाओं की जनता की राय ली जा रही है।

विपक्ष के नेता पद पर मचा है घमासान

दिल्ली विधानसभा के नियम-कानूनों के मुताबिक विपक्ष के नेता पद के लिए विपक्षी सदस्यों की संख्या तय नहीं की गई है। ऐसे में तीन विधायक होने के बावजूद भाजपा का यह दावा है कि उसे यह कुर्सी मिलनी चाहिए। दूसरी ओर सरकार और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष तक का यह कहना है कि जब तक भाजपा की ओर से औपचारिक तौर पर इस मामले में आग्रह नहीं किया जाता, तब तक भला इस मुद्दे पर कैसे विचार किया जा सकता है। विपक्ष की इच्छा यह है कि लोकतांत्रिक परंपराओं के मद्देनजर उन्हें यह कुर्सी खुद ही दे दी जानी चाहिए। लेकिन विधानसभा में मौजूद नेता प्रतिपक्ष का कमरा बंद कराए जाने के बाद साफ हो गया है कि सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा पर कोई विशेष मेहरबानी किए जाने की कोई वजह नहीं है।

भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि सदन में पार्टी के कितने विधायक हैं लेकिन जनता के मुद्दों पर पार्टी सदन में अपनी आवाज जरूर बुलंद करेगी ओर सत्ता पक्ष द्वारा दबाव बनाए जाने की कोशिशों से जरा भी नहीं घबराएगी।

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