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यूएई में फंसे भारतीयों को वापस लाएगी मोदी सरकार, दो स्पेशल फ्लाइट्स की व्यवस्था

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से भारतीयों को स्‍वदेश लाने के लिए दो स्पेशल फ्लाइट्स की व्यवस्था की गई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 09:55 AM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 09:55 AM (IST)
यूएई में फंसे भारतीयों को वापस लाएगी मोदी सरकार, दो स्पेशल फ्लाइट्स की व्यवस्था

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के संकट के बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से भारतीयों को स्‍वदेश लाने के लिए दो स्पेशल फ्लाइट्स की व्यवस्था की गई है। जानकारी के मुताबिक एक फ्लाइट अबू धाबी से कोच्चि, जबकि दूसरी फ्लाइट दुबई से कोझिकोड को जाएगी। इन स्पेशल फ्लाइट्स के जरिए भारतीयों को 7 मई से कई चरणों में लाया जाएगा।

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मोदी सरकार अब तक दुनिया के कई देशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित स्‍वदेश ला चुकी है। सबसे पहले सरकार ने चीन में फंसे भारतीयों को लेकर आई थी, जहां से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद से भारतीयों को स्‍वदेश लाने का सिलसिला जारी है। अब यूएई में फंसे भारतीयों को स्‍वदेश लाने की तैयारी की गई है। केंद्र सरकार ने विमान और नेवी के जहाजों के जरिए विदेशों से भारतीयों को निकालने की मंजूरी दे दी है। विदेशों में फंसे भारतीयों को 7 मई से कई चरणों में लाया जाएगा। हालांकि, इसके लिए यात्रियों को भुगतान करना होगा।

गृह मंत्रालय ने इसे लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार, फ्लाइट्स और नेवी के जहाजों से विदेशों से भारतीयों को लाया जाएगा। इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल तैयार किया गया है। भारत के हाई कमिशन और दूतावास लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए भारतीयों की सूची तैयार कर रहे हैं।

बता दें कि यूएई में 150,000 से अधिक भारतीयों ने भारतीय मिशनों द्वारा शुरू किए गए ई-पंजीकरण के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते अपने घर आने के लिए पंजीकरण किया है। दुबई में भारत के महावाणिज्यदूत, विपुल ने शनिवार को गल्फ न्यूज को बताया था कि शनिवार शाम 6 बजे तक, हमने अधिक से अधिक आवेदन प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा था कि करीब 150,000 पंजीकरण अब तक हमारे पास आ चुके हैं। इनमें से चौथाई लोग अपनी नौकरी खोने के बाद वापस लौटना चाहते हैं। लगभग 40 प्रतिशत आवेदक श्रमिक हैं और 20 प्रतिशत पेशेवर हैं। कुल मिलाकर, 25 प्रतिशत ने देश छोड़ने के कारण के रूप में नौकरी-नुकसान का हवाला दिया है।


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