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इर्दोगन ने कश्‍मीर पर पाक से वार्ता को बताया जरूरी, NSG पर किया समर्थन

तुर्की के राष्‍ट्रपति ने एनएसजी में भारत की सदस्‍यता का समर्थन किया है। इसके अलावा उन्‍होंने जम्‍मू कश्‍मीर के मुद्दे को सुलझाने के लिए पाकिस्‍तान से वार्ता करने पर भी जोर दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 03:20 AM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 05:50 AM (IST)
इर्दोगन ने कश्‍मीर पर पाक से वार्ता को बताया जरूरी, NSG पर किया समर्थन
इर्दोगन ने कश्‍मीर पर पाक से वार्ता को बताया जरूरी, NSG पर किया समर्थन

नई दिल्‍ली (पीटीआई)। भारत के दौरे पर पहुंचे तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच वर्षों से उलझे कश्‍मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने पर बल दिया है। उनका कहना है कि 70 सालों से चली आ रही कश्मीर समस्या का निदान भारत व पाक को अब निकाल लेना चाहिए। बहुपक्षीय बातचीत के बगैर इस मुद्दे का समाधान नहीं हो सकता है। उनका कहना है कि वह भी बातचीत में शामिल होने के लिए तैयार हैं। भारत व पाक दोनों ही उसके मित्र हैं, वह चाहता है कि दोनों में बात हो।

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भारत समेत पाक को बताया दोस्‍त

एक न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि कश्‍मीर में किसी की मौत हिंसा के दौरान हो। इर्दोगन ने कहा कि भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही तुर्की के करीबी दोस्‍त हैं। ऐसे में दोनों के बीच विवाद का मुद्दा बने कश्‍मीर की समस्‍या को सुलझाने के लिए वह अहम भूमिका निभा सकते हैं। कश्‍मीर समस्‍या का समाधान न सिर्फ भारत और पाकिस्‍तान के लिए बेहतर होगा बल्कि पूरी दुनिया के लिए अच्‍छा होगा। सत्ता पर दोबारा अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन रविवार को अपनी पहली विदेश यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच गए।

एनएसजी पर भारत का समर्थन

राष्‍ट्रपति इर्दोगन ने एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है, साथ ही पाकिस्तान के दावे पर भी सहमति जताई है। बोले कि भारत को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उनका यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि बीती 15 जुलाई को सेना ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया था। उन्हें देश से बाहर भागना पड़ा, लेकिन बाद में वे फिर सत्ता के शीर्ष पायदान पर पहुंचे, लेकिन चिंता का विषय यह है कि एर्दोगन इस कुर्दिश विद्रोह के लिए आतंकी संगठन फेतुलाह गुलेन को उत्तरदायी मानते हैं।

तुर्की की चिंता

तुर्की राष्ट्रपति पहले ही कह चुके हैं कि संगठन के सदस्य भारत में घुसपैठ कर गए हैं। उनकी मांग है कि उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, लेकिन विदेश मंत्रालय की सचिव रुचि घनश्याम का कहना है कि तुर्की ने उन्हें आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन के भारत में होने की जानकारी दी है।

कश्‍मीर पर भारत नहीं करेगा बात

भारत उस पर अपनी चिंता जता चुका है। उनका कहना है कि भारत तुर्की के साथ पाकिस्तान या फिर कश्मीर को लेकर कोई बात नहीं करेगा। पाकिस्तान के साथ तुर्की के संबंधों का पैमाना अलग है अलबत्ता भारत के साथ इस देश के संबंध बेहद मजबूत धरातल पर हैं। तुर्की राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी इमाइन व कैबिनेट के सदस्यों के अलावा 150 उद्योगपति भी आ रहे हैं।

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